तूरिन के पास एक रूढ़िवादी रोमन कैथोलिक परिवार में पली बढ़ी और एक छोटे से बिल्डिंग कांट्रेक्टर की बेटी सोनिया माइनो को आखिरकार 1998 में कांग्रेस पार्टी की मशाल थामने के लिए मना लिया गया और एक बार फिर कांग्रेस की कमान एक गांधी के हाथों में सौंप दी गई। यह इस बात का सबूत था कि कांग्रेस पार्टी अब भी गांधी नेहरू परिवार पर किस कदर निर्भर थी। सोनिया ने कई बार अपने विदेशी मूल के मुद्दे को खारिज किया है। उन्हें इटली में बहुत कम जाना जाता है और उन्होंने 1989 में ही भारत की नागरिकता हासिल कर ली थी। उनका कहना है कि विदेश में उनकी पैदाइश को कुछ लोग उनके खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में खासतौर से महिलाओं और गरीबों के बीच वह कोई बाहरी व्यक्ति नहीं हैं।
एक बार सोनिया गांधी ने कहा था- मुझे कभी महसूस नहीं हुआ कि वे मुझे एक विदेशी के तौर पर देखते हैं क्योंकि मैं विदेशी नहीं हूं। मैं एक भारतीय हूं। करीब दो दशक पहले सबसे पहले एक प्रधानमंत्री की पत्नी के तौर पर लोगों का उनकी ओर ध्यान गया और उसके बाद उनकी विधवा के तौर पर। भारतीय राजनीति के गलियारों में धीरे-धीरे कदम बढ़ाती सोनिया लोकसभा में सत्तारुढ़ गठबंधन संप्रग की अध्यक्ष के तौर पर उभरीं। वर्ष 2004 में फोर्ब्स पत्रिका ने सोनिया गांधी को दुनिया की तीसरी सर्वाधिक शक्तिशाली महिला का दर्जा दिया। वर्ष 2007 में टाइम पत्रिका ने उन्हें अपनी सौ सर्वाधिक प्रभावकारी हस्तियों की सूची में स्थान दिया।
9 दिसंबर 1946 को इटली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं सोनिया 1964 में कैम्ब्रिज शहर में बेल एजुकेशनल ट्रस्ट के भाषा स्कूल में अंग्रेजी पढ़ने के लिए गईं। यहीं एक सर्टिफिकेट पाठयक्रम के दौरान सोनिया की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी से अकस्मात मुलाकात हुई। शुरुआत में सोनिया राजनीतिक गतिविधियों से बचती रही थीं और पूरी तरह एक गृहिणी की भूमिका में ढल चुकी थीं।
भारतीय सार्वजनिक जीवन में उनकी मौजूदगी उनकी सास तथा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या और उनके पति के प्रधानमंत्री निर्वाचित होने के बाद बढ़ी। प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते सोनिया उनकी सरकारी मेजबान की भूमिका अदा करतीं और उनके साथ अलग-अलग देशों की यात्रा पर जातीं। वह अपने पति के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से जुड़े मामलों को भी समय-समय पर देखती रहीं। 1984 में उन्होंने अपनी देवरानी के खिलाफ चुनाव प्रचार में जमकर भाग लिया जो उस समय अमेठी सीट पर राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में थीं।
शुरू में सोनिया राजनीति में नहीं आने पर अड़ी हुई थीं लेकिन कई शीर्ष नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस की खराब होती हालत को देखकर उन्होंने अपने फैसले पर फिर विचार किया। उन्होंने पार्टी में राजीव की जगह लेने के लिए पड़ रहे दबाव का विरोध किया और कई सालों तक राजनीति से दूर रहीं। 1997 में कोलकाता में कांग्रेस के सम्मेलन में आखिरकार वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य के रूप में शामिल हो गईं।
सोनिया ने 1998 में आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभाली और इस पद पर आसीन होने वाली वह नेहरू गांधी परिवार की पांचवीं तथा विदेशी मूल की आठवीं व्यक्ति बन गईं। 1998 में सोनिया पार्टी में और अधिक सक्रिय भूमिका अदा करने पर सहमत हो गईं लेकिन 1999 के आम चुनाव में भाजपा के हाथों पार्टी की हार ने उनके प्रयासों को परदे के पीछे धकेल दिया। विपक्ष की नेता के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सोनिया ने मजबूती के साथ जिम्मेदारी संभाली और 2004 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई। उस दौरान कांग्रेस की अगुवाई वाले नवगठित संप्रग गठबंधन की वह अध्यक्ष बनीं।
इस अवधि में लाभ के पद को लेकर पैदा विवाद से उन्हें थोड़ा आघात लगा और उन्होंने लोकसभा की सदस्यता तथा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया। निर्वाचन कानूनों के अनुसार कोई भी निर्वाचित व्यक्ति लाभ के पद पर नहीं रह सकता। लेकिन इस्तीफे के बाद वह मई 2006 में फिर रायबरेली से निर्वाचित हुईं। इस बार वह चार लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतीं और उसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने का मौका नहीं मिला। यह प्रमाण है जो साबित करता है कि इस देश में हमेशा लम्बे समय तक शासक कौन होता है, और इस देश पर लम्बे समय तक कौन राज करता है,करता रहा है। #
यूपीए सरकार और लिट्टे का खात्मा
20, 21, 22 मई और सोनिया
राजनीतिक संवाददाता - 2009-05-24 08:52
नई दिल्ली। यूपीए सरकार ने श्रीलंका सरकार को अस्त्र-शस्त्र की भारी मदद की। लिट्टे प्रमुख का खात्मा हुआ। राजीव गांधी के हत्या के मुख्य सूत्रधार लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण की मौत का प्रमाण 20 मई को एम .के नारायण ने श्रीलंका में जाकर लिया। 21 मई को राजीव गांधी शहीदी दिवस पर राजीव के समाधी पर सपरिवार जाकर फूल चढ़ाई। 22 मई को कांग्रेसनीत सरकार की दूसरी बार सायं साढ़े पांच बजे ताजपोशी की तैयारी की। इन तीनो की केन्द्र बिन्दू हैं सोनिया ।