ओबामा की यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत में पांचवी यात्रा थी। उनके पहले राष्ट्रपति बुश भारत की यात्रा पर आए थे। उस यात्रा में परमाणु करार पर सहमति बनी थी। लिहाजा वह एक ऐतिहासिक यात्रा थी। उनके पहले बिल क्लिंटन राष्ट्रपति के रूप में भारत की यात्रा पर थे। उस यात्रा से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में गहराई आई थी।
ओबामा की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले गई है। जब ओबामा तीन दिनों तक भारत की अपनी यात्रा पर थे, तो चीन और पाकिस्तान की नजरें उन पर लगी हुई थी। उनकी यह यात्रा इसलिए भी खास मायने वाली थी, क्योंकि वह उनके पहले कार्यकाल में ही हो रही थी। इसका एक प्रतीकात्मक महत्व है।
पहले के राष्ट्रपतियों की तरह ओबामा भारत कोई रेबड़ी बांटने के लिए नहीं आए थे। अब भारत और अमेरिका का संबंध दो बड़ी शक्तियों के संबंध के रूप में देखा जाता है, जिनमें कोई याचक नहीं है, बल्कि दोनों अपने संबंधों को सुधारकर एक दूसरे के काम आ सकते हैं। भारत तेजी से विकास कर रही एक अर्थव्यवस्था है और अमेरिका इसे अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए तैयार एक इंजिन के रूप में देखता है।
इसके कई कारण हैं। एक कारण तो यह है कि भारत करीब 9 फीसदी की दर से विकास कर रहा है और जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट से तबाह हो रही थी, तब भी यह स्थिर थी। यहां का मध्य वर्ग तेजी से विस्तार पा रहा है। वह वर्ग विदेशी निवेश के प्रति आकर्षण भी रखता है। भारत में एक स्थिर लोकतंत्र भी है और यहां किसी तरह की राजनैतिक अस्थिरता की संभावना भी नहीं है। इसके अलावा भारतीय मूल के अनेक अमीर लोग अब अमेरिका में हैं। कई तो ओबामा प्रशायन के हिस्से भी बने हुए हैं। एक कारण चीन भी है। अमेरिका चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने के लिए भी भारत की ओर हसरत भरी निगाहों से देखता है।
ओबामा भारत में निवेश तलाशने के लिए आए थे। उन्होेने भारत के साथ 10 बिलियन डॉलर का सौदा भी किया। उन्होंने कहा कि वे अपने देश में जाकर अब यह कहेगे कि भारत अमेरिका की नौकरियों को नहीं ले रहा है, बल्कि उसके कारण 50 हजार अमेरिकियों को अब काम मिलने वाला है। ओबामा की पार्टी अभी अमेरिकी चुनावों में हार हुई है। भारत यात्रा की यह उपलब्धि उनके लिए जरूरी थी।
अमेरिका का भारत के साथ संबंध व्यापार से हटकर भी मायने रखता है। इसका कारण यह है कि भारत अब तेजी से बढ़ता कोई ताकत मात्र नहीं रहा, बल्कि यह एक ताकतवर राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। इसलिए अब भारत और अमरिका के बीच शक्ति संतुलन बराबरी का बन रहा है। दुनिया के अन्य देश भी ताकतवर बने हैं, लेकिन भारत की बात कुछ और ही है।
दरअसल अमेरिका को भारत जैसे एक देश की जरूरत है, जो उसकी एशिया नीति में उसके काम आए। चीन एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है और एक महाश्क्ति के रूप में अमेरिका को चुनौती दे रहा है। उसकी ताकत को संतुलित रखने के लिए अमेरिका को भारत की जरूरत है।
अब जब ओबामा की यात्रा समाप्त हो चुकी है, दोनों देशों को इस यात्रा के दौरान उपजी सद्भावना का फायदा उठाना चाहिए। इस यात्रा से यह जाहिर हो गया है कि दोनों देशों के संबंध और भी विस्तृत और गहरे बन सकते हैं। (संवाद)
ओबामा की यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है
भारत को इसका फायदा उठाना चाहिए
कल्याणी शंकर - 2010-11-12 18:41
बराक ओबामा आए। उन्होंने देखा। और क्या उन्होंने जीता भी? उनकी यात्रा को बुश अथवा क्लिंटन की यात्राओं की श्रेणी में तो नहीं डाला जा सकता, लेकिन इतना कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि यह यात्रा प्रभावकारी रही। वे असर छोड़ गए। उनकी यात्रा मुम्बई हमलों के शिकार हुए लोगों को श्रद्घांजलि देने से शुरू हुई। पूरा देश उसे देख रहा था जिसने अमेरिका में इतिहास बनाया है। ओबामा द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करना इस यात्रा की सबसे बड़ी घटना रही।