गौरतलब है कि भारत एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से सड़क मार्ग से जोड़ना चाहता है। उसकी इस योजना की सफलता के लिए बांग्लादेश की सहमति जरूरी है, क्योंकि दोनो क्षेत्रों को जोड़ने वाला उच्च पथ उस देश से भी गुजरेगा। लेकिन बांग्लादेश को भारत की इय योजना में कोई दिलचस्पी नहीं है।

बांग्लादेश भारत को लेकर सशंकित रहता है। उसकी यह शंका उस समय बहुत ज्यादा हुआ करती थी, जब वहां बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार थी। बेगम खलिदा जिया भारत के साथ अपने देश के संबंध को बेहतर करना ही नहीं चाहती थी और हमेशा उसका विरोध करती थी।

अवामी लीग की सरकार के गठन के बाद स्थिति बदली है। अब प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद ने भारत से बेहतर संबंधों की शुरुआत कर दी है। इसके कारण वह भारत से उम्मीद करती है कि वह उसे नेपाल और भूटान से अपने सड़क मार्ग से जुड़ने की इजाजत दे दे। लेकिन भारत द्वारा इसी तरह के प्रस्ताव पर बांग्लादेश के वर्तमान प्रशासन का रवैया भी बहुत उत्साहजनक है।

बांग्लादेश फिलहाल नेपाल और भूटान से बिजली परियोजनाओं में सहयोग की बात भी कर रहा है। वह इन दोनों देशों में पनबिजली संयत्र स्थापित करना चाहता है और बदले में अपने लिए भी कुछ बिजली वहां से हासिल करना चाहता है। भारत के साथ गंगा जल बटवारे में भी वह नेपाल का सहयोग चाहता है। गंगा ही नहीं, अन्य नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर भी वह इधर गंभीर हो रहा है। भारत की तरह वह भी चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र पर बनाए जा रहे बांधों केा लेकर चिंतित है। बांध के बनने से ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह के प्रभावित होने का खतरा है। हालांकि चीन कह रहा है कि उसके बांधों से उ नदी के पानी के प्रवाह पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

भारत के साथ सड़क परिवहन के समझौतों से झिझकने के कारण बांग्लादेश का नुकसान ही हो रहा है। भारतीय चिंताओं को दरकिनार कर वह भारत से भी ज्यादा राहत की उम्मीद नहीं कर सकता और इसके कारण भूटान और नेपाल से घनिष्ठता बढ़ाने की उसकी योजना सफल नहीं हो पाएगी। इसके अलावा भारत को अपने सड़क मार्ग उपलब्ध कराने से उसका भी फायदा है। इसके कारण बांग्लादेश की आर्थिक विकास भी तेज होगी। बांग्लादेश की सड़कों से भारतीय माल गुजरने से वहां के लोगों को भी काम मिलेगा और अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर का वह पूरा इस्तेमाल कर पाएगा। उसके बंदरगाह चिटगांव पर व्यावसयायिक गतिविधियां बढ़ जाएंगी। उसके रेल गाड़ियों पर माल की ढुलाई ज्यादा होगी। और उसके कारण घाटे में चल रहा बांग्लादेश रेलवे फायदे में भी आ सकता है। (संवाद)