दरअसल बांग्लादेश तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है। भारत का पूर्वोत्तर इलाका शेष भारत से एक बहुत ही पतली गली से जुड़ा हुआ है और पूर्वोत्तर के अनेक हिस्सों में उस पतली गली का इस्तेमाल करने से समय भी ज्यादा लगता है और इंधन भी ज्यादा फूंकना पड़ता है। इसलिए भारत बांग्लादेश से अनेक सालों से गुजारिश कर रहा था कि वह अपनी भूमि और अपनी सड़कों का इस्तेमाल उन भारतीय वाहनों को करने दे, जो भारत के किसी इलाके से चलकर पूर्वोत्तर राज्यों में जाना चाहते हैं।

लेकिन बांग्लादेश इसके लिए तैयार नहीं हो रहा था। जब बांग्लादेश नेशनल पार्टी की सरकार थी, तो उस समय तो वहां का प्रशासन भारत के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखता ही नहीं था। खालिदा जिया की सरकार भारत से बेहतर सबंध बनाने की इच्छुक थी ही नहीं। लेकिन शेख हशीना की सरकार के गठन के बाद भारत के प्रति ढाका का रवैया बदलने लगा। उस बदले हुए रवैये का ही परिणाम है कि अब भारत के वाहन बांग्लादेश की सड़कों से होते हुए अपने देश के एक बिन्दु से दूसरी बिन्दु तक आ जा सकेंगे। इसके बदले में बांग्लादेश को टैक्स के रूप में भुगतान भी किया जाएगा। एक अनुमान के अनुसार भारतीय वाहनों के बांग्लादेश की सड़कों से गुजरने के कारण टैक्स के रूप में उसे करीब 800 करोड़ रुपए सालाना का राजस्व प्राप्त होगा।

यानी भारतीय वाहनों को अपनी सड़कों का इस्तेमाल नहीं करने देने की जिद के कारण बांग्लादेश को लगभग 800 करोड़ रुपए का सालाना नुकसान हो रहा था। सरकारी खजाने को हो रहे इस नुकसान से बचाने के लिए ही शेख हशीना की सरकार ने भारत को ट्रांकजट अघिकार देना कबूल किया है। इसके अलावा अन्य तरह के फायदे भी बांग्लादेश को होंगे। इस नीति के कारण भारत के निर्यातक बांग्लादेश के बंदरगाहों का भी निर्यात के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे। बांग्लादेश ने अपने कुछ बंदरगाहों की क्षमता का विस्तार किया है और उनकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पाता। भारतीय मालों के कारण उनकी क्षमता का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होगा और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। वहां के लोगों के बीच अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। जाहिर है, भारतीय व्यापार के बांग्लादेश की सीमा में घुसने के कारण वहां की आर्थिक गतिविधियां भी तेज होंगी।

इससे भी बड़ी बात है कि इसके कारण भारत के साथ उसके रिश्ते और भी मजबूत होंगे। बांग्लादेश भी भारत से ट्रांजिट अघिकार की चाह रखता है। वह नेपाल और भूटान के साथ अपना रिश्ता मजबूत करना चाहता है। इसके लिए उसे भारत की सड़कों के इस्तेमाल की जरूरत पड़ेगी। इसलिए वह चाहता है कि भारत उसे अपनी सड़कों का इस्तेमाल करने दे। यदि बांग्लादेश अपनी सड़कों का इस्तेमाल करने की इजाजत भारत को दे रहा है, तो भला भारत को बांग्लादेश के वाहनों को वही सुविधा उपलब्ध कराने में क्या दिक्कत होगी?
(संवाद)