इस मामले में मनमोहन सिंह भी पहले के प्रधानमंत्रियों जैसे ही हैं। उनको यह अहसास तक नहीं की उनके काफिले के गुजरने के दौरान लोगों को कितनी परेशानी का सामना करना पडता है। पीएम के गुजरने के रास्ते पर लगने वाले जाम में फंसने के कारण लोगों के मरने की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी है लेकिन सुरक्षा के नाम पर लोगों को काफी देर तक रोकने की व्यवस्था अब तक जारी रहने से तो यही लगता है कि पीएम को आम आदमी की परवाह नहीे है । पीएम बुराडी में कांग्रेस के महाधिवेशन से वापस घर जा रहे थे पीएम के काफिले की सुरक्षा और सुविधा के लिए पुलिस ने आम लोगों का रोेक दिया। राजघाट पर इस वजह से लगे जाम में एक एंबुलेंस भी फंस गई थी। उसमें दिल के दर्द से तडफ रहे शाहदरा के अनिल जैन को इलाज के लिए पंत अस्पताल में ले जाया जा रहा था दिल के मरीज के इलाज मे समय सबसे कीमती होता हैै। जाम की वजह से अनिल की रास्ते में ही मौत हो गई । यदि समय पर अनिल अस्पताल पहुंच जाता तो डाक्टर उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर सकते थे।

पीएमओ ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार से इस घटना के बारे में रिपोर्ट मांग कर अपनी खानापूर्ति कर ली। इसके अलावा पीएम मौत पर गहरा दुख प्रकट कर देंगे। लेकिन सुरक्षा के नाम पर लोगो को होने वाली परेशानी को समाप्त करने के लिए पीएम कोई कदम उठाने की पहल क्यों नहीं करते? यह सच है कि पीएम को सबसे ज्यादा खतरा आतंकवादियों से है। पीएम की जान की परवाह हरेक आदमी को है। लेकिन पीएम को भी तो आम आदमी की जान की परवाह उतनी ही होनी चाहिए जितनी अपनी जान की है। ये कैसी विडंबना है कि पीएम हो या अन्य वीवीआईपी नेता इनको आम आदमी ही अपने प्रतिनिघि चुनते है। ये वीवीआईपी बनते ही सबसे पहले अपनी जान और माल की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करते है और आम आदमी जाए भाड में । पीएम के काफिले के लिए जिस तरह यहां पर आम आदमी को रोक दिया जाता है रास्ते बंद कर देते है ऐसा विदेशों में नहीं होता। हर चीज में विदेश की नकल करने वाले ये नेता इस मामले में नकल क्यों नहीं करते?

वीआईपी की सुरक्षा के लिए आम आदमी को परेशानी न हो तभी तो पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियों की काबलियत का पता चल सकेगा। पीएम या अन्य वीवीआईपी के काफिले के गुजरने के लिए रास्ता बंद कर देना या लोगों को रोक देने में पुलिस की कौन सी पेशेवर काबलियत है?

ये तो सबसे आसान व्यवस्था है इसी लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों सें जुडे आला अफसर इस व्यवस्था को जारी रखना चाहते है। आम आदमी को इस व्यवस्था के कारण होने वाली परेशानियां की पुलिस को तो कभी परवाह रहती ही नही। लेकिन अफसोस कि हमारे वीवीआइपी भी इस मामले में संवेदनहीन हो गए है।

एक बार अष्टावक्र ने राजा से कहा कि अपनी सुविधा के लिए किसी को रास्ते में जाने से रोकना राजा के लिए उचित नहीं हैं और ब्राहमण का कर्तव्य है कि राजा अगर अनुचित कार्य कर रहा है तो उसे रोके और उचित बात बताए। तो मनमोहन सिंह जी ये राज धर्म या इंसानियत नहीं कि अपनी सुरक्षा के लिए आम आदमी की जान को खतरे में डाल दिया जाए।

आप हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करे या कोई अन्य ऐसा रास्ता अपनाए कि लोगों को परेशानी न हो। आप इस मामले में ऐसी मिसाल पेश करे कि आपको इसके लिए भी याद रखा जाए। पुलिस और सुरक्षा एजेंसी के आला अफसर तो वहीं सुरक्षा व्यवस्था आपको बताएंगे जिसमें उनको कम से कम मेहनत करनी पडें। लेकिन आपको तो ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि आपके या अन्य किसी वीवीआइपी के कारण आम आदमी को मुसीबत का सामना न करना पडें। आज की जो व्यवस्था है उसमें तो लोग जाम में फंस कर पीएम को ही कोसते है। ऐसे हालात मे ं सोहराब मोदी का एक डायलाग - तुम्हारा खून-खून हमारा खून पानी -याद आता है। इस तरह की घटना मीडिया के लिए अन्य घटनाओ की तरह सिर्फ एक खबर बन कर रह जाती है। जबकि इस वीआइपी सुरक्षा के नाम पर लोगो को जबरदस्त परेशानी और पुलिस वालों की बदतमीजी को झेलना पडता है। लोगो के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है जैसा अंग्रेज राज में होता होगा। लोगों को इस मुसीबत से बचाने के लिए मीडिया को इस गलत व्यवस्था के खिलाफ जोरदार अभियान ं चलाना चाहिए। तब ही सरकार जागेगी। मीडिया को इस बारे में वीवीआइपीे और सुरक्षा एजेंसियों के अफसरों की बातों में नहीं आना चाहिए। मीडिया को आम आदमी के अधिकारों की आवाज उठानी चाहिए। मीडिया के सरकार की हां में हां मिलाने के कारण सरकार इस तरह लोगोे को परेशान करने वाली सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की हिम्मत करती है।