उन्होंने कहा कि अर्थव्यस्था घरेलू और बाहरी दोनों तरह के आघात सहन करने में उल्लेखनीय रूप से लचीली साबित हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक संकट से उबरने की प्रक्रिया बहुत व्यापक रही और कृषि, उद्योग एवं सेवा क्षेत्र सभी ने विकास की प्रक्रिया में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की जीडीपी 2.5 प्रतिशत बढ़ी है तथा वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही के दौरान यह 4.4 प्रतिशत रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसकी विकास दर मात्र 0.2 प्रतिशत थी। श्री मुखर्जी आज यहां पीएचडी चैंम्बर ऑफ कामर्स की 105 वीं वार्षिक महासभा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्तूबर के दौरान मर्केन्डाइज निर्यात में 27 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में इस दौरान समग्र रूप से 10.3 विकास दर रही। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में जीडीपी दर 9 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ी। वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि दर बहुत उत्साहजनक है, मगर हम आत्मसंतुष्ट नहीं हो सकते, क्योकि हमारे समक्ष अभी बहुत सी चुनौतियां मौजूद हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि यह एक ऐसी ही हकीकत है जिसका हम सामना कर रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी और घरेलू आघात सहने के लिए पर्याप्त लचीली
मगर अब भी कई चुनौतियां मौजूद : श्री प्रणब मुखर्जी
विशेष संवाददाता - 2010-12-24 18:57
नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि 2010-11 की पहली छमाही में सकल घेरलू उत्पाद (जीडीपी) 8.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जबकि पिछले दो वर्ष में यह औसतन 7 प्रतिशत पर रही थी।