कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। पिछले दिनों हुए स्थानीय निकायों के चुनावों में उसने शानदार सफलता हासिल की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उसे भारी सफलता हाथ लगी थी। इस तरह दो साल एक के बाद एक हुए चुनावों में जीत हासिल कर वह तीसरे साल विधानसभा का चुनाव करने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। वह पूरी तरह से आश्वस्त है कि जीत उसे ही हासिल होगी।
पिछले विधानसभा के चुनाव में जो राजनैतिक स्थिति थी, उसमें अब भारी बदलाव आ गया है। अनेक पार्टियां तथा गुट जो उस समय वामलोकतांत्रिक गठबंधन के साथ थे, आज उसका साथ छोड़कर कांग्रेस के नेतृत्व वाने संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं।
पी जे जोसफ का केरल कांग्रेस गुट पिछले विधानसभा चुनावों के समय वाम लोकतांत्रिक मोर्चे का हिस्सा था। लेकिन अब वह इस मोर्चे से निकल चुका है। उसका विलय केरल कांग्रेस के मणि गुट के साथ हो चुका है और मणि गुट कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे का हिस्सा पहले से ही है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की स्थिति भी पहले से बेहतर हुई है। उसके साथ मुसलमान अब पहले की अपेक्षा ज्यादा जुड़ रहे है। स्थानीय निकायों के चुनावों में उसके उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। इंडियन यूनियन लीग भी वाम मार्चे का साथ छोड़ चुका है। इतना काफी नहीं था। एम पी वीरेन्द्र कुमार की पार्टी भी अब सीपीएम के नेतृत्व वाले मोर्चे का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ जा चुकी है।
जाहिर है आज माहौल वाम मोर्चा के पक्ष में नहीं है। स्थिति को बेहतर करने के लिए सीपीआई के प्रदेश सचिव ने सीपीएम को कुछ प्रस्ताव दिए थे। उसके तहत मोर्चे को छोड़कर गए कुछ पार्टियांे और गुटों को फिर से मोर्चे में लाने की कोशिश करने को कहा गया था। यह प्रस्ताव सीपीएम को पूरी तरह पसंद तो नहीं आया था, पर कुछ लोगों ने इसका स्वागत भी किया था।
इस बीच वाम लोकतांत्रिक मोर्चा अल्पसंख्यक मतों को अपनी ओर करने के लिए सक्रिय हो गया है। इंडियन नेशनल लीग के कुछ नेता अपनी एक अलग पार्टी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सीपीएम उन कोशिशों को हवा दे रही है। यदि वह संभव हो सका तो वह नई पार्टी सीपीएम के नेतृत्व वाले मोर्चे का हिस्सा बन जाएगी।
लॉटरी घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग कर राज्य सरकार ने अपनी स्थिति मध्यवर्ग में बेहतर करने की कोशिश की है। गौरतलब है कि पिछले कुड महीनों से लॉटरी घोटाले का यह मसला मध्यवर्ग के बीच एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कांग्रेस इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही थी। उसे इसका फायदा मिला भी। अब इसकी जांच सीबीआई से करने की सिफाारिश कर वाम लोकतोत्रिक मोर्चे की सरकार ने इस घोटाले का बोझ कांग्रेस के ऊपर ही डाल दिया है।
दोनों मोर्चे के मतों का अंतर 7 लाख ही है। जाहिर है दो से तीन फीसदी मतों के इधर से उधर हो जाने पर परिणाम उलट जाते हैं। सत्तारूढ़ मोर्चा यही करने की कोशिश कर रहा है। (संवाद)
भारत
खोई जमीन पाने की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा की नई कोशिश
कांग्रेस की कोशिश अपनी स्थिति मजबूत करने की
पी श्रीकुमारन - 2011-01-03 11:18
तिरुअनंतपुरमः अगले 4 महीने में विधानसभा के आमचुनाव होने हैं। उन चुनावों को ध्यान में रखते हुए जहां सत्तारूढ़ वामलोकतांत्रिक मोर्चा पिछले दो चूनावों में अपनी खोई जमीन को वापस करने की जी तोड़ कोशिश कर रहा है, वहीं कांग्रेस अपनी स्थिति को और भी मजबूत करने में लगी हुई है।