कहा कि कृषि क्षेत्र में सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) विकास अतीत से हटकर नगण्‍य परंतु सार्थक रहा। मंत्री महोदय ने आशा व्‍यक्‍त की, कि चालू वर्ष में सामान्‍य मानसून रहा है, इसको देखते हुए हम कृषि और सम्‍बद्ध क्षेत्र का विकास लगभग छह प्रतिशत रहने की उम्‍मीद करते हैं। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2010-11 के लिए पहली छमाही के अनुमानों से कृषि विकास के 3.8 प्रतिशत रहने का पता चलता है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह एक प्रतिशत था।

वित्‍त मंत्री ने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र में उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के कई कार्यक्रमों में सुधार किया गया है। पिछले वर्ष के अपने बजटीय भाषण की याद दिलाते हुए उन्‍होंने कहा कि सरकार ने चार सूत्री रणनीति तैयार की हैं। इसमें कृषि उत्‍पादन, उत्‍पाद के खराब होने में कमी लाने, कृषकों को ऋणगत समर्थन देने और खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र को बढ़ावा देना शामिल है। उन्‍होंने कहा कि इसमें आधारभूत मंशा हरित क्रांति क्षेत्र में प्राप्‍त की गई उपलब्ध्यिों को सुदृढ़ करना है और इसके साथ-साथ अन्‍य क्षेत्रों यथा पूर्वी प्रदेश और दलहन जैसी विशिष्‍ट फसलों की तरफ साधनों को लगाना है।

अंत में कृषि क्षेत्र से संबंधित हितधारकों के विभिन्‍न संघों के प्रतिनिधियों ने विचार के लिए अपने सुझाव प्रस्‍तुत किये। इस बैठक में कृषि क्षेत्र से संबंधित विभिन्‍न संघों\मंचों के लगभग 15 प्रतिनिाधियों ने भाग लिया।