एक ऐतिहासिक आदेश में सुप्रीम कोर्ट के जज ए एच एम शम्सुद्दीन चौधरी और शेख एम जाकिर हुसेन की खंडपीठ ने मार्शल ला को अमान्य करार देते हुए कहा कि बंदूक की ताकत पर सत्ता हासिल करने वाले लोगों को उचित सजा दी जानी चाहिए।ै जाहिर है, उसका मतलब जिया उर रहमान और एच एम इरशाद की सत्ता से जुड़ा हुआ है। उन दोनों की सत्ता से जुड़े जिंदा लोगों का सजा देने का यह फैसला पाकिस्तान परस्त इस्लामी कट्टरवादी ताकतों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है।
गौरतलब है कि सुश्री हसीना वाजेद की नेतृत्व वाली सरकार ने कहा था कि 1970-71 के दौरान बांग्लादेश के लोगों के साथ जुल्म करने के लिए पाकिस्तान को माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि उस समय पाकिस्तान के कारण बांग्लादेश के करीब 30 लाख लोग मारे गए थे। आवामी लीग की सरकार ने कहा था कि यदि पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ बेहतर संबंध बनाना चाहता है, तो उसे माफी मांगनी ही चाहिए। लेकिन देश के करोड़ों लोगों को उस समय निराश होना पड़ा था जब पाकिस्तान ने अपनी ज्यादतियों के लिए माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया था।
हालांकि पाकिस्तान इतना कहकर चुप हो जाता है कि उस दौरान जो कुछ भी हुआ वह खेदजनक था। जाहिर है पाकिस्तान एक तो माफी नहीं मागता और सिर्फ खेद व्यक्त करता है और दूसरे किस बात के लिए उसे खेद है, उसे भी वह पूरी तरह स्पष्ट नहीं करता। अब यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान द्वारा माफी मांगने का मसला शेख हसीना वाजेद के लिए बेहद ही संवेदनशील है और उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उसकी सरकार के दौरान पाकिस्तान के साथ उनके देश का रिश्ता सामान्य नहीं रह सकता।
दोनों के राजनैतिक रिश्ते संतोषजनक नहीं रहने का असर पाकिस्तान पर ज्यादा पड़ेगा। बांग्लादेश उससे ज्यादा प्रभावित नहीं होगा। इसका कारण यह है कि सार्क के अंदर पाकिस्तान भारत को अपना प्रतिस्पर्धी मानता है और वह इसके खिलाफ सार्क के अन्य देशों का समर्थन जुटाने की कोशिश करता रहता है। उसकी इस कोशिश में बांग्लादेश से उसका यह रिश्ता बाधक साबित हो रहा है। बांग्लादेश भी सार्क का पाकिस्तान जैसी आबादी वाला देश है। जब तक वह सार्क के अंदर पाकिस्तान के खेमें में पूरी तरह नहीं आता, भारत के खिलाफ उसकी सारी कोशिशें नाकाम ही साबित होंगी।
गौरतलब है कि जिया उर रहमान अथवा उनकी विधवा खलिदा जिया की सरकारो ने कभी भी पाकिस्तान सरकार ने बांग्लादेश के लोगों के खिलाफ किए गए जुल्म के खिलाफ कैफियत तलब नहीं की है। उसी तरह इरशाद अथवा उनकी पार्टी की सरकार ने भी कभी भी पाकिस्तान पर माफी मांगने के लिए दबाव नहीं बनाया।
बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला सिद्दिकर रहमान द्वारा उनके खिलाफ मार्शल ला कोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने के क्रम में आया है। इस फैसले से पाकिस्तानी परस्त इस्लामी ताकतों के हौसले पस्त होते दिखाई पड़ रहे हैं। (संवाद)
बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता - कट्टरवादियों को लगा बड़ा झटका
विशेष संवाददाता - 2011-01-10 11:12
कोलकाताः बांग्लादेश में इस्लामी कठमुल्लावाद को उस समय बहुत बड़ा झटका लगा जब देश के सुप्रीम कोर्ट ने बंगाली राष्ट्रीयता को फिर से स्थापित करने का आदेश जारी किया और मार्शल ला से संबंधित सारे कानूनों और उनकी विरासतों से देश के राजनैतिक जीवन से समाप्त करने को कहा।