अपराध रोकने में नाकाम पुलिस सभी वारदात को दर्ज न करने या हल्की धारा में दर्ज करने का तरीका जारी रखे हुए है। इस तरीके को अपना कर ही पुलिस आंकडों से अपराध कम होने का दावा करती है। पुलिस के अपराध के आंकडें सचाई से कोसो दूर होते है। वर्ष 2010 में वर्दी वाले गुंडों यानि पुलिस वालों की भी एक से बढ कर एक करतूत सामने आने से पुलिस के निरंकुश होने का पता चलता है ।पुलिस का व्यवहार आज भी अंग्रेजों के जमाने वाला लगता है। इसलिए आज भी लोग अकेले थाने जाने से डरते है। वर्ष 2010 में भी थाने में लोगों के मरने के मामले सामने आए। इसमें विजय विहार थाने में हुई एक युवक की मौैत के मामले को पुलिस ने आत्महत्या बताया। लेकिन थाने में ऐसा कया होता है कि ठीक-ठाक गया शिकायतकर्त्ता भी वहां जाकर आत्महत्या कर लेता है? गुलाबी बाग थाने में एक युवक को पुलिस ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई ।

गैंगरेप ; बुजुर्गों की हत्या ;सनसनीखेज लूट की वारदात पूरे साल सुर्खियों में रही। विदेशी युवतियां भी बलात्कार का शिकार हुई। धौला कुंआ से एक युवती को आधी रात के बाद अपराधी अपनी गाडी में उठा कर ले गए। युवती की सहेली ने पुलिस को तभी वारदात की सूचना दे दी। अपराधी प्रमुख सडकों रिज रोड पटेल नगर आदि से होते हुए मंगोल पुरी गए। गैंग रेप के बाद वहां युवती को छोड गए। इस वारदात ने रात के समय की जाने वाली गश्त और चेकिंग के पुलिस के दावे की पोल खोल दी। हालांकि ज्यादातर वारदात में अपराधी पकडे गए। लेकिन सच यह है कि लोग खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते है। यह सच है कि जानकार दवारा किए जाने वाले अपराध को कोई भी पुलिस नहीं रोक सकती। लेकिन यह भी सच है कि पुलिस ईमानदारी से कोशिश करे तो आए दिन हो रही लूट ; चेन झपटमारी ; छेडखानी ; गाडी चोरी और जेबकटने की वारदात को तो काफी हद तक रोक ही सकती है।

अपराधियों को पीछे छोडते पुलिसवालो की करतूत;- आम महिला की तो छोडिए महिला पुलिसकर्मी दफतर में साथी पुलिसकर्मी से ही सुरक्षित नहीं है। राजौरी गार्डन में डीसीपी दफतर में तैनात एक महिला एएसआई को मोबाइल पर अश्लील फिल्म दिखाने के आरोप में सब-इंस्पेकटर मुकेश छाबडा को गिरफतार किया गया।इस महिला पुलिसकर्मी ने तो हिम्मत दिखाई। लेकिन न जाने कितनी महिला पुलिसकर्मी इस तरह के यौन शोषण की शिकार होती होगी?

कनाट प्लेस में चलती कार में गैंगरेप के आरोप में यातायात पुलिस के एक सिपाही मनोज कुमार को गिरफतार किया गया। भजन पुरा के एक बिजनसमैन ने पुलिस वालों के साथ मिलकर अपनी नौकरानी की पीट-पीट कर हत्या कर दी। इस मामले में तीन पुलिस वाले भी पकडे गए। आला अफसर आंखे मूंदे रहते है लेकिन जगजाहिर है कि रात के समय थाने में पुलिस वाले शराब पिए रहते है। यह बात एक बार फिर साबित हुई। विकास पुरी थाने के एसएचओ आनंद लाकडा को थाने में शराब पीने के कारण लाइन हाजिर किया गया।नन्दनगरी थाने में इंस्पेकटर संजय नागपाल के कमरे में फ्रिज से सात बोतल बियर बरामद हुई।

आला अफसर अगर अचानक रात को थानों में जाए तो पता चलेगा कि शराब के नशे मे मौजूद पुलिस वाले मदद मांगने आए व्यकित से कैसा व्यवहार करते हैं।

बंद करने की धमकी देकर; सुपरदारी पर गाडी छोडने; रिपोर्ट दर्ज करने या जमानत के मामले में पैसा वसूलना जगजाहिर है। महिलाओं की चेन झपटने के ज्यादातर मामले पुलिस दर्ज ही नही करती। इससे पुलिस के महिलाओं के प्रति गंभीर और संवेदनशील होने के दावे की असलियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। जगजाहिर यातायात पुलिस के रिश्वत वसूलने की आंखों देखी मुख्यमंत्री ने भी विधानसभा में उजागर की।