मायावती ने विधानसभा चुनावों की तैयारियां 2009 लोकसभा चुनाव के नतीने सामने आने के बाद की शुरू कर दिया था। उस चुनाव में बसपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। कांग्रेस और सपा से भी कम सीटें उनकी पार्टी को मिली थी। विधालसभा चुनाव में अपने बूते ही विधानसभा में बहुमत पाने वाली पार्टी को लोकसभा की मात्र 25 फीसदी सीटों पर सफलता पाना निश्चय ही बहुत ही निराशाजनक था।
उस हार से सबक लेकर मायावती ने विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी को तैयार करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने कार्यकर्त्ताओं को कहा कि वे जमीनी स्तर पर उतर कर पार्टी की गतिविधियों को तेज कर दें। उसके बाद तो विधानसभा के क्षेत्र पर सभाओं की झड़ी लग गई।
मायावती ने अब तक 200 विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अपन जन्म दिन 15 जनवरी के पहले वे शेष क्षेत्रों के उम्मीदवारों की भी घोषणा कर देंगी। गौरतलब है कि मायावती का जन्मदिन राज्य भर में प्रति वर्ष बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
पिछले कुछ महीनों में मायावती ने अपने कार्यकर्त्ताआंे को कहा है कि वह सरकार की उपलब्घियों को लोगों तक पहुचाए। उनका जोर सरकार द्वारा दलितों, पिछड़ो और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए सरकार द्वारा किए गए कामों के बारे में लोगों को जानकारी देने पर है। सरकार ने एक पुस्तिका भी छपवाई है, जिसमें दलितों के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यो का विस्तार से ब्यौरा दिया गया है।
पूर्व नौकरशाह पी एल पुनिया को केन्द्र सरकार ने अनुसूचित आयोग का अध्यक्ष बनाया है। वे बाराबांकी से कांग्रेस के सांसद भी हैं। आयोग के अघ्यक्ष बनने के बाद से ही उन्होंने मायावती सरकार के दौरान दलितों की उपेक्षा और उन पर हो रहे अत्याचार के मसलों को उठाना शुरू कर दिया है। मायावती ने यह पुस्तिका उनकी चुनौती का सामना करने के लिए प्रकाशित करवाई है। श्री पुनिया की चुनौती का सामना करने के लिए राज्य सरकार ने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिए प्रोटोकॉल विनियमों को ही बदल डाला है, जिसके कारण श्री पुनिया अपने पद का अतिरिक्त लाभ उठाने से वंचित हो गए हैं।
लोकसभा चुनाव में बसपा को बहुत बड़ा झटका अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर लगा था। पार्टी के उम्मीदवार मात्र दो आरक्षित सीटांे पर ही चुनाव जीत सके थे। आरक्षित सीट वे हैं, जहां दलितों की संख्या ज्यादा है। उन नजीतों से यह नतीजा निकाला जा रहा था कि मायावती को दलितों पर चल रहा जादू समाप्त हो रहा है। इसके कारण मायावती अब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों का खास ख्याल रख रही हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद यह तथ्य सामने आया है कि लोग अब विकास पर भी वोट देते हैं। इसलिए मायावती ने अब विकास कार्यो पर भी जोर देना शुरू कर दिया है। उन्होंने पार्टी के ब्राह्मण चेहरा सतीशचन्द्र मिश्र को अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने का जिम्मा दिया है।
उन्होंने श्री मिश्र को ब्राह्मण भाइचारा समितियों को आयोजित करवाने का भी जिम्मा दे दिया है। अन्य जाजियों का दलितों के साथ भाइचारा स्थापित करने के लिए समितियां बनाने के काम को भी तेज कर दिया गया है। (संवाद)
भारत: उत्तर प्रदेश
चुनाव की तैयारी में बसपा सबसे आगे
दलित और महिलाओं पर सबसे ज्यादा जोर
प्रदीप कपूर - 2011-01-13 13:21
लखनऊः बहुजन समाज पार्टी प्रमुख उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री मायावती ने 2012 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में अन्य पार्टियों पर बढ़त हासिल कर ली है। उन्होंने टिकट के बंटवारे में भी सबको पीछे छोड़ दिया है।