प्रधानमंत्री के समक्ष मंत्रिमंडल में फेरबदल को ले कर कई दिक्कतें और चुनौतियां हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि उनके मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा युवा चेहरे हों हालांकि वह स्वंय 70 पार कर चुके हैं। उनके मंत्रिमंडल में पार्टी के 70 से अधिक वर्ष के कई बुजुर्ग मंत्री और कम से कम नौ पूर्व मुख्यमंत्री है जिन्होंने केंद्रीय मंत्री बने रहने के लिए अपनी अहमियत से पार्टी को रूबरू करा दिया है। प्रणव मंुखर्जी,वीरभद्र सिंह,एस एम कृष्णा,बी के हांडिक ,सुशील कुमार शिंदे,ए के एंटोनी,वीरप्पा मोइली,व्यावलार रवि के अलावा घटल दल के मंत्री शरद पवार तथा फारूख अब्दुल्ला ये सभी 70 वर्ष पार कर चुके हैं।

फिलहाल, ए राजा, शशि थरूर तथा पृथ्वीराज चव्हाण से संबंधित मंत्रालय खाली है। इन रिक्तियों को युवा मंत्रियों से भरा जा सकता है। यूपीए सरकार का घटक एमडीके के नेता ए राजा के बदले टी आर बालु को लाना चाहते हैं लेकिन प्रधानमंत्री टी आर बालू केा पहले ही मंत्री बनाए जाने से असहमति जता चुके हैं।राजी तो वह ए राजा को भी मंत्री बनाने को ले कर नहीं थे लेकिन गठबंधन की मजबूरी के चलते उन्हें राजा को संचार मंत्री बनाना पड़ा था।

यूपीए सरकार मंहगाई पर काबू पाने में असमर्थ रही है। लेकिन इसके लिए न कांग्रेस और न शरद पवार अपने को जिम्मेवार मान रहे हैं। इस सबके बीच भी शरद पवार की गद्दी हिलाने का साहस प्रधानमंत्री के पास नहीं है।पवार के पास अभी कृषि, खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय हैं। शायद इनमें से कोई एक मंत्रालय उनसे छिन लिया जाए। इसी तरह सिब्बल के पास मानव संसाधन विकास मंत्रालय्ा, दूरसंचार और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय है। हो सकता है कि वह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय्ा छोड़ दें।

कहा जाता है कि वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं जिसमें उन्होंने कुछ सुधारों की शुरूआत की है और जिन्हें वह आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। केंद्रीय मंत्रियों सीपी जोशी (ग्रामीण विकास) और विलासराव देशमुख (भारी उद्योग) को पार्टी में कोई जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंधोपाध्याय को संप्रग में कांग्रेस के बाद सबसे बड़े घटक के प्रतिनिधि के तौर पर मंत्री पद मिल सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीन राज्यों- छत्तीसगढ़, गोवा और मणिपुर का कोई प्रतिनिधि नहीं है। सोनिया ने पिछले सप्ताह दो से अधिक बार सिंह के साथ गहन विचार विमर्श किय्ाा। कहा जा रहा है कि य्ाह विचार विमर्श मंत्रिमंडल में फेरबदल के बारे में था। अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल होता है तो मई 2009 में संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरूआत के बाद यह पहला फेरबदल होगा।