सीपीएम नेताओं की परेशानी यह है कि इसे लेकर पार्टी के अंदर भी मतभेद पैदा हो गए हैं। आवास मंत्री गौतम देब ने नेताई कांड के अपराघियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है कि श्री देव सीपीएम के एक प्रभावशाली नेता हैं, जिनकी मांग की उपेक्षा नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा है कि यदि इसमें सीपीएम के कार्यकर्त्ता भी शामिल हों, तो उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।

उनका यह विचार बिमान बोस के विचारों से मेल नहीं खाते। गौरतलब है कि श्री बोस सीपीएम के प्रदेश सचिव ही नहीं, बल्कि वाम मोर्चा के चेयरमैन भी हैं। पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट आने के पहले ही श्री बोस ने कह दिया था कि नेताई का कांड तृणमूल कांग्रेस और माओवादियों की करतूत हो सकता है।

नेताई में सीपीएम के दफ्तर के सामने अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे गरीब लोगों पर गोलियों की बरसात की दी गई थी, जिसमें 7 लोग मारे गए थे। चूंकि वह कांड सीपीएम के दफ्तर के पास हुआ था और घेराव उसी दफ्तर का हुआ था, इसलिए माना जा रहा था कि वह काम सीपीएम के लोगों का ही होगा। लेकिन श्री विमान बोस ने उसका आरोप माओवादियों और तृणमूल कांग्रेस पर मढ़ना चाहा था। पर पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट में कुछ और बातें ही सामने आईं।

पुलिस अघीक्षक मनोज वर्मा पर आरोप लगता रहा है कि वे सीपीएम का पक्ष लेने वाले अघिकारी है, वैसे उनकी गणना एक योग्य और सक्षम अधिकारी के रूप में होती है। जिले में शांति व्यवस्था स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तृणमूल चाहे श्री वर्मा को सीपीएम समर्थक अधिकारी कहती रहे, पर उन्होंने उस कांड की जो रिपोर्ट दी है, उसे देखकर उन्हें सीपीएम समर्थक अघिकारी कहने मे कोई भी हिचकेगा।

श्री वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में वही सब बातें लिखी है, जो बातें प्रिंट और टीवी मीडिया में आ रही थीं। उन्होंने भी सीपीएम को ही उस कांड के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

नेताई का वह कांड मुख्यमंत्री के लिए बहुत ही नुकसानदेह साबित हो रहा है। उस कांड के कुछ पहले केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने आरोप लगाए थे कि सीपीएम के हथियारबंद कार्यकर्त्ता कानून अपने हाथ में ले रहे हैं और राज्य सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। यह आरोप लगाते हुए विदंबरम ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी, जिसे लीक कर दिया गया था। मुख्यमंत्री ने श्री चिदंबरम के उस आरोप को गलत बताया था।

लेकिन उस पत्र के कुछ ही समय बाद इस तरह की घटना ने श्री चिदंबरम को सही साबित कर दिया है, जबकि मुख्यमंत्री की स्थिति दयनीय हो गई है। मुख्यमंत्री ने तो नेताई की उस घटना के बाद गुस्से में अपना पद छोड़ने की धमकी तक दे डाली थी। बाद में उन्हें वैसा नहीं करने के लिए मना लिया गया। (संवाद)