जम्मू व कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उस दिन से ही बीजेयुमो की राष्ट्रीय एकता यात्रा का विरोध कर रहे हैं जिस दिन उन्हें इसके बारे में जानकारी मिली थी। बीजेपी उनके अनुरोध को ठुकरा कर अपने पूर्व नियोजित यात्रा के कार्यक्रम की तैयारी में लगी रही। यह यात्रा 12 जनवरी से पश्चिम बंगाल से शुरू हो गयी थी और मंगलवार, 25 जनवरी को जम्मू व कश्मीर राज्य में प्रवेश करने वाली है। अभी तक यह यात्रा 11 राज्यों से गुजर चुकी है।
उमर अब्दुल्ला जब यह लगा कि बीजपी श्रीनगर में राष्ट्रीय ध्वज लहराने के इरादे पर अड़ी हुई है तो वे अपनी बातों पर समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली पंहुच गए। उन्होंने केंद्र सरकार से इस यात्रा को स्थगित करने में सहयोग भी मांगा। एक तरह से उन्होंने कांग्रेस और केंद्र सरकार से इस मामले में साथ देने का आश्वासन भी ले लिया।
उमर ने बीजेपी को न्योता भी दिया कि वह राज्य सरकार द्वारा आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकती है। उमर का कहना है कि काफी प्रयासों के बाद राज्य में शांति का माहौल पैदा हुआ है और बीजेपी की श्रीनगर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की जिद से अलगाववादी फिर से भड़क सकते हैं और राज्य में हिंसा की घटनाएं हो सकती हैं। अलगाववादी नेता सैयद अहमद गिलानी ने इसके विरोध में 26 जनवरी को श्रीनगर बंद का आहवान भी किया है। लेकिन बीजेपी पर उमर अब्दुल्ला तो क्या प्रधानमंत्री की नसीहतों का भी कोई असर नहीं दिख रहा है। उल्टे अरुण जेटली जैसे वरिष्ठ नेता ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा है कि दो महीने पहले दिल्ली में कश्मीर के अलगाववादी नेता राष्ट्र के खिलाफ बाते कह कर चला जाता है और प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोलते लेकिन श्री नगर के लाल चौराहे परं देशभक्तों को राष्ट्रीय ध्वज न फहराने की नसीहत दे रहे हैं।
अरुण जेटली ने जम्मू व कश्मीर की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस यात्रा में शामिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के देश भर के राष्ट्रभक्त कार्यकर्ताओं को राज्य में आने से रोक रही है, कार्यकर्ताओं को गिरफतार कर रही है। यहां तक कि जम्मू जाने वाली रेलगाड़ियों को कैसिल की जा रही है या उनके मार्ग बदले जा रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार ने अलगाववादियों के सामने झुक गयी है। राष्ट्भक्तों का दमन कर रही है।
राजनीतिक प्रेक्षकों को बीजेपी द्वारा इस तरह की यात्रा औचित्य नजर नहीं आ रहा है। इस समय कांग्रेस और क्रेद्र सरकार भष्ट्राचार और मंहगाई के मुद्दे पर जनता के बीच अलोकप्रिय हो गयी है। विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसे समय में बीजेपी द्वारा राष्ट्रीय एकता यात्रा और इससे उत्पन्न होने वाले विवादों के कारण जनता का ध्यान अलग हट सकता है जिसका फायदा कांग्रेस उठा सकती है। कांग्रेस इसे समझती है और वह उमर का हर तरह से सहयोग कर इस यात्रा को फेल करने में लगी हुई है।
भारत
गरमाने लगी है राष्ट्रीय एकता यात्रा की राजनीति
एस एन वर्मा - 2011-01-23 04:30
नई दिल्ली। भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आहुत राष्ट्रीय एकता यात्रा सवालों के घेरों मे आ गयी है। कांग्रेस और केद्र सरकार ने भी इस यात्रा को लेकर बयानबाजी शुरू कर दी है। जम्मू व कश्मीर के मुख्यमंत्री और कांग्रेस को इस यात्रा के पीछे बीजेपी की तुच्छ राजनीति नजर आ रही है। वहीं प्रधानमंत्री ने बीजेपी को नसीहत दी है कि उसे गणतंत्र दिवस जैसे पावन अवसर को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस सब के वाबजूद बीजेपी श्रीनगर के लाल चौराहे पर 26 जनवरी को तिरंगा लहराने की जिद पर यह कह कर अड़ी हुई है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता जुड़ी हुई है।