वाम मोर्चा के नेता कह रहे हैं कि चुनाव आयोग को उस टीम को भेजने की कोई जरूरत ही नहीं थी, क्योंकि अभी तक तो उसने चुनाव की तिथियों की घोषणा भी नहीं की है। उनका कहना है कि निर्वाचन आयोग की वह टीम वाम मोर्चा के दलों के खिलाफ दुर्भावना से ग्रस्त थी और उन्होंने उन्हीं क्षेत्रों का दौरा किया, जिन क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों ने उन्हें जाने को कहा। जाहिर है उस टीम की रिपोर्ट के खिलाफ वे अभी से आग उगल रहे हैं, जबकि रिपोर्ट अभी सौंपी भी नहीं गई है।
दरअसल चुनाव आयोग की उस टीम ने पश्चिम बंगाल के अपने दौरे के दौरान जो कुछ भी देखा और समझा उससे राज्य के बारे में कोई अच्छी तस्वीर बन ही नहीं सकती। उनके दौरे के दौरान राज्य की वाम मोर्चा सरकार और राज्य प्रशासन दोनों की पोल खुल गई है।
टीम के सदस्य अपने आपको निष्पक्ष रखने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। वे सभी पार्टियों के कार्यकर्त्ताओं एवं समर्थकों से बातें कर रहे थे। वे समाज के सभी वर्गो की राय जान रहे थे। वे पत्रकारों की राय भी ले रहे थें। बौद्धिक समुदाय के अन्य लोगों से भी उन्होंने संवाद किया, ताकि सभी प्रकार की जानकारियां उन्हें हासिल हो सकें।
इसके अलावा उन्होंने राज्य के सभी इलाकों का दौरा भी किया। दौरे के बाद उनके चेहरे के भाव दिखा रहे थे कि उन्होंने वहां जो कुछ देखा, उससे वे सदमे में थे। यात्रा शुरू करने के पहले उन्होंने शायद जो सोचा भी नहीं था, वह सब उन्हें देखने को मिला।
मिदनापुर जिले के शुनिया इलाके में उन्होंने सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं को एक दूसरे के साथ जूझते देखा और उन्हें आपस में लड़ते देखकर उन्हें कहना पड़ा कि उनलोगों को वहां एक साथ रहना है और एक साथ शांति से किस तरह रहें, इसके बारे में कोई बाहर का आदमी उन्हें नसीहत नहीं दे सकता।
एक अन्य टीम हुगली जिले के आरामबाग के दौरे पर थी। उस टीम को पता चला कि सैकडों अपराधियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। पुलिस की रिकार्ड में दर्ज किया गया है कि प्रयास के बावजूद पुलिस यह पता नहीं लगा पाई की वे कहां हैं। स्थानीय लोगों ने चुनाव आयोग की टीम को बताया कि वे अपराघी निर्भय होकर सड़कों पर घूमते दिखाई दे सकते हैं और पुलिस भी उन्हें घूमते देखती है, पर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता, क्योंकि वे सत्तारूढ़ पार्टियों के कार्यकर्त्ता अथवा समर्थक हैं। पिछले कई सालों से करीब 60 हजार वैसे अपराधियों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी हैं, पर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता। (संवाद)
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चुनाव आयोग टीम का बंगाल दौरा
वाम मोर्चा नेताओं के चेहरों पर शिकन
आशीष बिश्वास - 2011-01-25 09:00
कोलकाताः पिछले सप्ताह राष्ट्रीय चुनाव आयोग की एक टीम पश्चिम बंगाल की यात्रा पर थी। उस यात्रा के दौरान उस टीम को राज्य की हालत का जायजा लेना था और उसके बाद उसे निर्वाचन आयोग को अपनी रिपोर्ट देनी है। राज्य के सत्ताधारी वाममोर्चा के नेता उस टीम के दौरे पर जिस तरह से बिफर रहे हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें उस टीम की रिपोर्ट अपने खिलाफ जाती दिखाई पड़ती है।