इस अवसर पर श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रकाश के क्षेत्र में मानकीकरण में मानकों का विकास करने की जरूरत है, जिससे बिजली की क्षति को कम से कम और कुशलता को अधिक से अधिक रखा जा सके और उसका उपयोग भी सुरक्षित रहे। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व स्‍तर पर बढ़ती हुई प्रतिस्‍पर्धा को देखते हुए विशेष रूप से प्रकाश के क्षेत्र में उत्‍पादों के निर्माण में मानकों का प्रयोग अनिवार्य हो गया है।

राष्‍ट्रीय प्रकाश संहिता – 2010 में अच्‍छे तौर-तरीकों का प्रावधान है, जिन्‍हें विभिन्‍न विभाग और सार्वजनिक निकाय भी आसानी से अपना सकते है। जहां तक सार्वजनिक प्रकाश जैसे प्रकाश का स्‍तर, गुणवत्‍ता और तंत्रों का संबंध है, संहिता में लोगों की सुविधा के लिए आवश्‍यक प्रावधानों की सिफारिश की गई है और विभिन्‍न पेशेवरों के लिए प्रकाश उत्‍पादों और प्रकाश के डिजाइनों के तरीकों के बारे में तकनीकी मार्ग निर्देशों की जानकारी भी दी गई हैं।

भारतीय मानक कार्यालय द्वारा प्रकाशित एनएलसी का उद्देश्‍य प्रकाश के अच्‍छे तौर-तरीकों और प्रणालियों को प्रोत्‍साहित करना है। इनसे बिजली से होने वाले प्रदूषण, चकाचौंध को कम करने के साथ-साथ ऊर्जा की बचत होगी और इसके साथ-साथ सुरक्षा, उपयोगिता और उत्‍पादकता को भी बनाए रखा जा सकेगा।

यह संहिता भवनों आदि के अंदर और बाहर बिजली की बड़े पैमाने में व्‍यवस्‍था करने में प्रकाश की प्रणालियों पर लागू होगी। इनमें विशेष क्षेत्र जैसे अस्‍पताल, खेल परिसर और मेट्रो रेल आदि शामिल हैं।