लेकिन सरकार की नीतियों के कारण ये कंपनियां न केवल चलने की हालत में आ गई हैं, बल्कि वे फायदे मे भी चलने लगी हैं। राज्य सरकार ने उन कंपनियों को चलाने के लिए कोष का इंतजाम किया।
केरल के उद्योग मंत्री एलामरम करीम के अनुसार राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां प्रत्येक साल 300 करोड़ रुपए का मुनाफा कमा रही हैं।
पूर्ववर्त्ती सरकार के कार्यकाल में इन कंपनियां का सम्मिलित घाटा 69 करोड़ रुपए सालाना थी और उस सरकार ने तो इनमें से अनेक को बंद करने का भी फैसला कर लिया था।
इन कंपनियों को चलाने और फायदे में लाने का एक बड़ा कारण मजदूर संघों का सहयोग भी रहा। मजदूर संघों ने कंपनियों को चलाने में सहयोग दिया और औद्योगिक संबंध पिछले 5 सालों के दौरान बेहतर बने रहे।
पूर्ववर्त्ती यूडीएफ सरकार ने एक इंटरप्राइज रिफोर्म कमिटी का गठन किया था। उस कमिटी ने जांच करने के बाद 28 कंपनियों को बंद कर देने की सिफारिश कर रखी थी। इस तरह से 28 कंपनियों पर बंदी का खतरा मंडरा रहा था।
केरल में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की फायदेमंद स्थिति वैसे माहौल मे हुई है, जब केन्द्र सरकार व अन्य राज्य सरकारें घाटे में चलने वाले कंपनियों को बंद करने की नीति अपना रही हैं और अनेक कंपनियांे को बंद करने में लगी हुई हैं।
आगामी चुनाव में एलडीएफ इन कंपनियों को बंद न होने देने और उन्हें फायदे में लाने को अपना एक मुख्य चुनावी मुद्दा बनाएगी। (संवाद)
केरल की सरकारी कंपनियां फायदे में
सरकार की नीतियां काम आईं
पी श्रीकुमारन - 2011-02-01 11:07
तिरुअनंतपुरमः वीएस अच्युतानंदन की सरकार की एक बड़ी उपलब्धि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को फायदे में लग आने की है। इनमें से अधिकांश कंपनियां घाटे में चल रही थीं और उन पर बंद होने का खतरा मंडरा था।