कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि राकांपा के साथ अभी औपचारिक तौर पर चुनावी समझौता होना बाकी है। उपर्युक्त समय पर इस बारे में फैसला लिया जायेगा। चुनावी गठजोड़ और सीटों के बंटवारे को लेकर राकांपा नेता शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच बातचीत होना बाकी है। राज्य में बीते दस साल से हम सत्ता में हैं और हम नहीं चाहते कि इस गठजोड़ में कोई दरार आए।

राज्य की सभी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की राकांपा के ताजा बयान पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इसे हम औपचारिक फैसला के तौर पर नहीं देख रहे हैं। उम्मीदवार उतारने की राकांपा की तरफ से की जा रही कथित घोषणा पर पार्टी ने कहा कि यह हम पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश मात्र है। उन्होंने दबे स्वर में सवाल किया कि क्या राकांपा ऐसा करने का साहस करने की स्थित में है ? उन्होंने कहा कि राकांपा को राज्य में अपनी जमानी स्थित का एहसास है और मेरा आकलन है कि राकांपा ऐसी कोई कोशिश नहीं करेगी जिससे उसे फजीहत हो। राकांपा नेता तारिक अनवर और पूर्णो संगमा इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं थे।

ठीक यही स्थित कांग्रेस की भी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को भले ही उम्मीद से अधिक सीटें मिल गई हो लेकिन विधान सभा चुनाव के गणित अलग होते हैं। हालांकि पार्टी का आकलन है कि वह पिरछली बार से बेहतर प्रर्दशन करने की स्थित में है। उनके इस दावे के बारे में पूछे जाने पर पार्टी सचिव ने कहा किसानों की कर्ज माफी , बाकाये के भुगतान में दी गई रियायतें , कर्ज माफी के दायरे में शामिल होने से शेष रह गए किसानों के बारे में बजटीय प्रवधान और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ढेर सारी लोकप्रिय घोषणाओं और मुम्बई का वल्रर्ड क्लास आकर्षक समुद्री पुल के निमार्ण से अधिक इस बार मुख्य विपक्षी दल भाजपा – शिव सेना का आपस में विखराव का हमे फायदा मिल सकेगा। मुम्बई में बाढ़ से निबटने के लिए बजट में आवंटित राशि का भी असर देखा जा सकेगा।

हालांकि पार्टी के ही एक अन्य तबके का आकलन है कि एक दशक तर सत्ता में रही कांग्रेस को सत्ता विरोधी रूझान का भी सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस को गैर मराठी वोटरों की भी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। मनसे द्वारा गैर मराठियों के खिलाफ चलाये गए हिंसक अभियान में कांग्रेस गठबंधन की सरकार से उन्हें अपेक्षित सुरक्षा नहीं मिल सकी।#