देश की राजधानी को हरियाणा ने तीन तरफ से घेर रखा है। राज्य का एक बहुत बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आता है। इसलिए यहां की जमीन लगातार अधिगृहित हो रही है और कृषि योग्य जमीन उद्योगिक इकाइयों के लिए, रिहायशी कालोनियों के लिए और व्यावसायिक क्षेत्रों के निर्माण के लिए अधिगृहित होती रही है। कुछ साल पहले सेज के लिए जब जमीन का अधिग्रहण हो रहा था, तो उस समय भी बहुत हगामा हुआ था।

अब राज्य सरकार अधिग्रहण का नया अभियान चला रही है, तो इसका फिर राजनैतिक स्तर पर विरोध हो रहा है। कांग्रेस के अंदर से खुद वित्त मंत्री अजय सिंह यादव इसके खिलाफ विरोध का स्वर बुलंद कर रहे हैं। विपक्षी इंडियन नेशनल लोकदल इस मसले को अदालत में ले जाने की बातें कर रहा है।

कांग्रेस के असंतुष्टों का कहना है कि वे खेती योग्य जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ हैं। मुख्य विचक्ष्ी दल इंडियन नेशनल लोकदल का कहना है कि राज्य सरकार सरकारी परियोजनाओं के नाम पर जमीन का अधिग्रहण करती है, लेकिन स जीमन को बिल्डरों और कोलानाइजरों को दे दिया जाता है, जिनका इस्तेमाल कर वे भारी मुनाफा कमाते हैं। विपक्ष हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहता है कि अदालत ने अनेक बार राज्य सरकार द्वारा भूमि निजी हाथों में सौंपने की आलोचना की है।

दूसरी ओर सरकार का कहना है कि वह जमीन का अधिग्रहण सरकारी परियोजनाओं के लिए कर रही है। उसे समाज कल्याण और विकास के काम को बढ़ावा देने के लिए जमीन चाहिए। किसानों को उचित मुआवजा देने के लिए उसने पहले ही मुआवजे की रकम बहुत बढ़ा दी ह और बाद में भी लंबे समय तक किसानों को मुआवजा मिलता रहे, इसकी व्यवस्था भी कर दी गई है। उसका कहना है कि देश के अन्य राज्यांे के लिए वह एक उदाहरण भी पेश कर रही है और यही कारण है कि कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने अन्य कांग्रेस शासित राज्यों से कहा है कि वह हरियाणा को भूमि अधिग्रहण के मामले में अपना मॉडल बनाए।

लेकिन विरोधियांे का कहना है कि सरकार किसानांे को जा मुआवजा देती है, वह बाजार की कीमत से हमेशा कम ही होता है। इसके अलावा जिस कीमत पर वह किसानों से जमीन खरीदती है, उसी कीमत पर वह उसे निजी डेवलपरों के हाथों बेच देती है। इससे राज्य सरकार के खजाने पर भी असर पड़ता है और राज्य सरकार की भूमिका एक प्रोपर्टी एजेंट की रह जाती है।

कर्नाटक के राज्यपाल ने वहा के मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। उससे उत्साहित होकर हरियाणा का विपक्ष भी राज्यपाल से मांग कर रहा है कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री के खिलाफ भूमि घोटाले में मुकदमा चलाने की अनुमति दे। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण करके उसे निजी डेवलपरों के हाथों में बेचने के फैसले को विपक्ष घोटाला मान रहा है और हाई कोर्ट के फैसले को इसका प्रमाण मान रहा है। (संवाद)