बीते तीन महीने से पार्टी में उबलते असंतोष और विक्षुब्ध नेताओं द्वारा लगातार किये जा रहे खुलासे से भयभीत पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गुरुवार की रात संघ मुख्यालय पहुंच कर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मदद की गुहार की थी। संघ प्रमुख ने भाजपा में बढ़ते असंतोष पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा में जो हो रहा है वह ठीक नहीं है।
संघ प्रमुख बनने के बाद अपने पहले प्रेस कांर्फेंस में मोहन भागवत ने पार्टी नेताओं की आयु सीमा के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बारे में भाजपा खुद फैसला करे। उन्होंने कहा कि पार्टी में कई वरिष्ठ नेता हैं और वे मैच्योर हैं। स्मरणीय है कि मोहन भागवत ने हाल में एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए पार्टी का नेतृत्व नई पीढ़ी के हाथों में सौंपे जाने की वकालत की थी। उनका इशारा पार्टी में अस्सी की उम्र पार कर चुके लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे नेताओं की तरफ था।
यह पूछे जाने पर कि नई पीढ़ी को मौका देने के लिए क्या लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ? संघ प्रमुख ने इस बारे में कोई सीधी टिप्पणी करने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि मेरी राय में संघ प्रमुख के लिए 50-60 की उम्र होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उम्र सीमा के बारे में भाजपा को तय करना चाहिए। गौरतलब है कि शिमला में भाजपा की चिंतन बैठक से ठीक पहले संघ प्रमुख ने पार्टी में अनुशासन में कमी का आरोप लगाते हुए कहा था कि पार्टी का नेतृत्व युवा पीढ़ी के हाथों में सौपा जाना चाहिए।
भागवत ने इस पर सीधी टिप्पणी करने से इंकार करते हुए माना कि हाल के लोक सभा चुनाव में पार्टी को मिले झटके से उसे तत्काल सबक लेना होगा। उन्होंने उम्मीद जाहिर की जल्द ही सब कुछ ठीक हो जायेगा। संघ प्रमुख ने कहा कि पार्टी को अपना भविष्य खुद तय करना होगा। भागवत ने इस बात से इंकार किया कि पार्टी पतन की ओर बढ़ रही है।
संघ प्रमुख ने जसवंत सिंह, अरुण शोरी , सुधीन्द्र कुलकर्णी और यशवंत सिन्हा और कंधार विवाद पर कोई भी टिप्पणी करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि संघ भाजपा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शोरी के उस कथन पर जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा पर संघ को कब्जा कर लेना चाहिए , भागवत ने कोई सीधा जवाब देने की जगह श्री शोरी के बारे में कहा वह आदरणीय और एक वरिष्ठ बुद्धिजीवी हैं।
आरएसएस प्रमुख ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को आदरणीय पुरूष बताते हुए काएदे आजम जिन्ना को देश विभाजन के लिए जिम्मेवार बताया और कहा कि सरदार पटेल देश भक्त नेता थे। उन्होंने कहा कि पटेल की देश की सेवा में अहम भूमिका थी।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने संघ प्रमुख की ताजा टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी स्तर पर इसकी समीक्षा होना अभी बाकी है लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि संघ हमारी मदद को आगे आएगा।#
भारत: राजनीति
भाजपा के आंतरिक मामलों में संघ कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा
विशेष संवाददाता - 2009-08-28 13:35
नई दिल्ली । गंभीर आंतरिक असंतोष से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने इंकार कर दिया है। संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि भाजपा के आंतरिक मामलों में संघ कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। उन्होंने भाजपा को अपने आंतरिक झगड़ों से खुद निबटने की सलाह दी है।