गौरतलब है कि राज्य सरकार ने राज्य के गरीब लोगों को दो रुपए प्रति किलो की दर से चावल देने की एक योजना चलाई थी। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि चुनाव के ठीक पहले यह मतदाताओं को लुभाने वाली योजना है और चुनावी आचार संहिता का उल्लंधन है। कांग्रेस की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने उस योजना पर रोक लगा थी। राज्य सरकार ने उस रोक के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दी और न्यायालय ने यह कहते हुए आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया कि राज्य सरकार ने उस योजना का फैसला आचार संहिता के प्रभाव में आने के पहले ही ले लिया था, लिहाजा उस आचार संहिता का उल्लंधन नहीं माना जा सकता।
उस योजना का विरोध कर और निर्वाचन आयोग में शिकायत कर उसे रुकवाने के कारण कांग्रेस और उसके समर्थक दलों को गरीबों के सामने अपनी बात रखने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा। जाहिर है, इसके कारण उन्हें चुनावी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। अपनी जीत को निश्चित मान रहे कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे को निश्चय ही इस फैसले से एक बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस और उसके साथी दलों के लिए चिंता का एक और कारण मलंकारा आर्थोडॉक्स चर्च द्वारा लिया गया फैसला है। उस चर्च ने कांग्रेस के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े करने का फैसला किया है। कांग्रेस से उसकी शिकायत यह है कि उसने टिकट बंटवारे के समय उसकी सिफारिशों का ख्याल नहीं रखा। मारथोमा नाम का एक अन्य चर्च समूह भी कांग्रेस के खिलाफ है। उसे भी अपने उम्मीदवारों को तरजीह न मिलने का गम है और उसने भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ काम करने का संकल्प किया है। इन दोनों चर्च समूहों के कारण कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे को दक्षिणी और केन्द्रीय जिलों में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
कांग्रेस की चिंता का एक अन्य कारण सीपीआई सचिव सी के चंद्रप्पन और सीपीएम नेता व गृहमंत्री कोदियरी बालाकृष्णन द्वारा त्रिसुर और कन्नूर के बिशप से की गई मुलाकात है। त्रिसुर के बिशप ने साफ साफ कहा है कि वे अपने समर्थकों को किसी पार्टी विशेष के लिए वोट करने की अपील नहीं करेंगे। उनके समर्थक अपनी इच्छा के अनुसार मतदान करने के लिए आजाद हैं।
इस बीच टिकट बंटवारें के कारण न केवल कांग्रेस में बल्कि उसके प्रमुख साथी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस (मणि) मंे भी घमासान मचा हुआ है।इन पार्टियों के आघिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ उन्हीं के विद्रोही उम्मीदवार भी अच्छी खासी संख्या में चुनाव मैदान में उतरते दिखाई पड़ रहे हैं।
राज्य युवा कांग्रेस की एक नेता जया डाली ने पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वह कांग्रेस के आघिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही है और उन्हें सत्तारूढ़ मोर्चा का समर्थन भी हासिल हो रहा है। केरल राज्य ईकाई के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला को खुद भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उनके विधानसभा क्षेत्र से उनके खिलाफ इंटक के नेता राजन चुनाव लड़ने की अपनी मंशा का इजहार कर चुके हैं।
कांग्रेस के उम्मीदवारों की पूरी सूची आने के बाद और भी विद्रोही उम्मीदवारांे के सामने आने की आशंका है। कांग्रेस के अनेक बड़े नेता आरोल लगा रहे हैं कि रमेश चेनिंथाला और ओमेन चांडी आपस में मिलकर अपने अपने समर्थकों को टिकट दे रहे हैं और अन्य नेताओं के समर्थकों की उपेक्षा कर रहे हैं। टिकट वितरण को लेकर उन नेताओं के युवा समर्थको के बीच में खासा असंतोष है।
कांग्रेस की तरह केरल कांग्रेस (मणि) गुट में भी भयंकर घमासान चल रहा है। टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के समर्थन से पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर चुके हैं। मोर्चा की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का भी यही हाल है। (संवाद)
केरल में कांग्रेसी मोर्चे को झटका
दो ईसाई ग्रुप मोर्चे के खिलाफ हुए
पी श्रीकुमारन - 2011-03-26 10:09
तिरुअनंतपुरमः गुटबाजी और टिकट वितरण के मामले पर पहले से ही संकट का सामना कर रहे कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे को एक और बड़ा झटका लगा है। यह झटका उच्च न्यायालय के एक फैसले के रूप में सामने आया है। अदालत ने निर्वाचन आयोग के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा चलाई गई दो रुपए प्रति किलो चावल की योजना के अमल को रोक दिया गया था।