यहां 30 विधानसभा क्षेत्र हैं। पिडले चुनाव में अनमें 10 पर कांग्रेस की आौर 7 पर उसके सहयोगी डीएमके की जीत हुई थी अेार कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाई थी। इस बार कांग्रेस कुल 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और शेष पर डीएमके के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस की स्थिति यहां मजबूत बनी हुई है।

दरअसल जिस तरह से गोवा की राजनीति महाराष्ट्र ये प्रभावित होती है, उसी तरह पुदुचेरी की राजनीति तमिलनाडु से प्रभावित रहती है। तमिलनाडु में जिस तरह का गठबंणन होता है उसी तरह का बठबंधन यहां भी होता है। कांग्रेस और डीएमके का गठबंधन यहां भी है अंतर यह है कि तमिलनाडु में गठबंधन का नेता डीएमके है तो पुदुचेरी में कांग्रेस।

जयललिता की अन्ना डीएमके का गठबंधन एनआर कांग्रेस के साथ है। एनआर कांग्रेस का गठन कांग्रेस के एक पूर्व मख्यमं.ी के द्वारा ही किया गया है। 5 साल पहले हुए विधानसभ चुनाव के बाद कांग्रेस के एन रंगास्वामी मुख्यमंत्री बने थे। पर 2008 में उन्हें इस पद से हटा दिया गया और उनकी जगह वैद्यलिंगम मुख्यमंत्री बन गए। इस चुनाव में कांग्रेस ने वैद्यलिंगम ही अपना मुख्यमं?ी उम्मीदवार घोषित कर रखा है।

मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद एन रंगास्वामी ने कांग्रेस के साथ अपनी दूरी बना ली। एनआर कांग्रेस का गठन उन्होंने ही कर रखा है। उनकी पार्टी का अन्नाडीएके के साथ गठबंधन है। मुकाबला इन्हीं दोनों मोर्चे के बीच हो रहा है। कांग्रेस गठबंधन के लिए खुद सोनिया गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

दूसरी तरफ एनआर कांग्रेस को अपने नेता की अच्छी छवि पर भरोसा है। जयललिता का समर्थन उनके साथ है। लोगों का विश्वास भी उनके साथ है। इसलिए यदि कांग्रेस को कोई खतरा है तो एनआर से ही है। पर सवाल उठता है कि क्या एनआर कांग्रेस को इतना नुकसान पहुंचा सकते हैं कि उसकी सरकार ही नहीं बन सके?

फिलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी लग रहा है। चुनाव प्रचार में कांग्रेस और डीएमके ने बढ़त प्राप्त कर ली है, जबकि मुख्य विपक्षी गठबंधन ने सही ढंग से अपना अभियान भी शुरू नहीं किया है। जनता के सामने वहां दो विकल्प हैं। एक विकल्प स्वच्छ छवि का एक नेता है, तो दूसरा विकल्प एक बड़ी पार्टी।

कांग्रेस और डीएमके गठबंधन को दोनों के बीच हुई खींचतान का डर भी सता रहा है। टिकट और सीटो पर तालमेल को लेकर दोनों पार्टियों के बीच जो भारी रस्साकशी हुई थी, उसका प्रभाव मतदान पर भी पड़ सकता है, क्योंकि उसके कारण दोनों पार्टियों के कार्यक्त्तओं के बीच में संबंध खट्टे हो गए थे।

भ्रष्टाचार भी सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए नुकसान का कारण बन सकता है। डीएमके पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे है। उसके एक नेता ए राजा जेल में बंद हैं। उनके कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ भी जांच चल रही है। कांग्रेस के खिलाफ भी राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार विराधी मुहिम चल रही है। इसके कारण मतदाताओं के सत्तारूढ़ गठबंधन कमजोर पड़ सकता है।

तमिलनाडु की तरह यहां भी लोकलुभावने वायदों की बाढ़ आई हुई है। कोई मु्त् मोबाइल फोन बांटने की बात कर रहा है, तो कोई मु्फ्त चावल की मात्रा वर्तमान 25 किलो से बढ़कर 35 किलो करने की बात भी कर रहा है। विधानसभा की सीटें 30 से बढ़ाकर 40 करने की बात भी की जा रही है।

कांग्रेस अपनी जीत के प्रति बहुत ही आशान्वित है। उसे लगता है कि सरकार विरोधी भावनाओं के बावजूद वह चुनाव जीत लेगी। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए यह निश्चय ही हौसला आफजाई का कारण बनेगा। (संवाद)