केंद्र में सरकार कांग्रेस की है उसे चुनाव में भद्द पीटने का डर सता रहा है। कांग्रेस के करिश्माई नेताओं का जादू असरकारक सबित नहीं हो रहा है। अब कांग्रेस को अन्ना के स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है। सरकार संविधान की मर्यादा का पालने करते हुए अन्ना का अनशन तुड़वाना चाहती है। जबकि अन्ना दो कदम आगे बढ़ कर 13 अप्रैल केा जेल भरो आंदोलन की घोषणा कर चुके है। सरकार दुविधा में है और अन्ना इसे बखूबी समझ रहे हैं। यह है तीन दिन से चल रहे जंतर मंतर पर अन्ना के आमरण अनशन के माहौल से उपजे लबोलुआब जिसके परिणामस्वरूप सरकार जल्दी में आ कर समिति के गठन तथा विधेयक पेश करने का समय तय कर दिया है।
पूरे देश में भ्रष्टाचार केा ले कर थू थू करा चुकी केंद्र सरकार को लोकपाल विधेयक केा मजबूत और प्रभावी बनाने को विवश करने के लिए अन्ना हजारे 5 अप्रैल केा दिल्ली आ गए थे और तबसें वे अपना अंतिम हथियार आमरण अनशन आजमा रहे हैं।लोगों में क्रिकेट से भी ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है। अन्ना की मांग पूरी करने पर संविधान आड़े आ रहा है। जनता का कौन सही प्रतिनिधि है। चुनाव जीत कर आए एमपी एमएलए या समाज सेवक। यह प्रश्न यक्ष के समान सामने आ खड़ा हो गया है।गांधीवादी नेता हजारे केा यह पता है कि वह संविधान के विपरीत जाने के बात कह रहे हैं। सरकार संविधान के अंतर्गत काम करना चाहती है। कैबिनेट मंत्री कपिल सिब्बल माथा पच्ची कर चुके हैं।
आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मुद्दे पर राष्ट्पति और सोनिया गांधी मंत्रणा किए हैं। कांग्रेस की ब्रीफिंग मंे अभिषेक मनु सिंघवी ने अन्ना हजारे से अपील किया है वे अनशन तोड़ दें।उनकी मांगे मान ली गयी है। संयुक्त समिति में पांच पांच मेंबर सरकार और सिविक सोसायटी के होने की उनकी मांगा सरकार ने स्वीकार कर ली है। लेकिन संयुक्त समिति के अध्यक्ष सिविक सोसायटी के लोग नहीं हो सकते है। ऐसा प्रावधान संविधान मे नहीं है। संयुक्त समिति में शामिल कोई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री सिविक सोसायटी से चुने गए अध्यक्ष के अधीन कार्य कर नहीं सकता।समिति द्वारा तैयार मसौदे केा अध्यक्ष ही संसद में रखता है। सिविक सोसायटी से आए लोगों केा यह अधिकार नहीं है। इसलिए कांग्रेस का कहना है कि बिना विलंब किए अन्ना हजारे को यह बात मान लेनी चाहिए कि ज्वाइंट कमेटी के अध्यक्ष कोई मंत्री ही हो सकता है।
उधर,कांग्रेेस केा इस बात का डर भी है कि भविष्य में यह पंरपरा न बन जाए। गुर्जर,जाट और अल्पसंख्यक भी अपनी मांगो केा मनवाने के लिए सरकार से इस तरह की व्यवस्था की मांग कर सकती है। इसलिए कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कहते हैं कि ऐसा भविष्य मे नहंी होगा। लेकिन सरकार केा किस बात की जल्दी है,जो वह नए परंपरा को जन्म दे रही है। कांग्रेस का कहना है कि उसे अन्ना की चिंता सता रही है। लोग कह रहे हैं कि कांग्रेस को चुनाव मे हार का डर सता रहा है। सरकार ने लोकपाल बिल लाने में जितना ज्याद विलंब किया है उससे ज्यादा जल्दी अब उसे लागू करने में कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार 13 मई तक समिति का गठन कर लिया जाएगा और विधेयक केा मानसून सत्र में संसद मे पेश कर दिया जाएगा।
भारत
अन्ना का आमरण अनशन कांग्रेस के लिए बना टेंशन
13 मई तक समिति का गठन, विधेयक मेश होगा मानसून सत्र में
एस एन वर्मा - 2011-04-08 11:54