सी रंगराजन ने कहा है कि वित्त वर्ष 2009–10 में देश का सकल घरेलू उत्पाद या आर्थिक प्रगति की दर 6.5 रहने की आशा है। यह दर बीते वर्ष की दर, 6.7 से दशमलव 0.2 प्रतिशत कम है।
रंगराजन ने ज़ोर देकर कहा “आर्थिक आंकडों का आकलन करते समय हमको ध्यान रखना होगा कि अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट अभी तक पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है और सूखे या वर्षा नहीं होने के कारण उपजे हालात को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।”
जहाँ अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में विकास होगा वहीं कृषि क्षेत्र की विकास दर में दो प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। मानसून में कमी के कारण खाद्य उत्पादन में भी कमी होगी।
इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन 223 मिलियन टन रहने की उम्मीद है। अनुमान है कि यह बीते वर्ष से 11 मिलियन टन कम रहेगा। उन्होंने कहा कि इसके ''बावजूद खाद्यान्न उत्पादन में कमी के कारण चिंता की कोई बात नहीं है और देश में पर्याप्त अनाज उपलब्ध होगा "।
परिषद का अनुमान है कि दिसम्बर तक खाने की वस्तुओं के दामों में स्थायित्व आ जायेगा और कीमतें स्थिर होंगी। पर साथ ही उन्होंने चेताया की ये आने वाली फसलों के ऊपर भी निर्भर करता है कि खाने की चीज़ों के दाम किस तरह आगे बढ़ते हैं।
परिषद् के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र जिसमें निर्माण क्षेत्र भी शामिल है, में विकास की दर 8.2 प्रतिशत रहने की आशा है। सेवा के क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर भी 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले साल यह दर 9.7 प्रतिशत थी।
वित्तीय घाटे पर टिप्पणी करते हुए श्री रंगराजन ने कहा कि यह पिछले साल भी बढ़ा था और इस वर्ष और अधिक बढ़ने का अनुमान है। केंद्र सरकार के लिए पिछले वर्ष ये 6.2 प्रतिशत था और इस वर्ष ये 6.8 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। अगर राज्य और केंद्र सरकारों के वित्तीय घाटे को संयुक्त रूप से लें तो ये घाटा 10.09 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
श्री रंगराजन ने कहा कि वित्तीय घाटे के इस स्तर को लम्बे समय तक कायम नहीं रखा जा सकता। "जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बेहतर होगी वैसे ही धीरे-धीरे वित्तीय घाटे को कम कर सकने के लिए कदम उठाये जा सकेगें और ये कदम अगले वर्ष ही उठाये जा सकेगें।"
परिषद के अनुसार निकट भविष्य में सबसे महत्वपूर्ण है कि कीमतों पर ध्यान दिया जाये इसके लिए ज़रूरी है की रबी की फसल को बढ़ाने के लिए सभी संभव कदम उठाये जाएँ। दूसरी सबसे ज़रूरी बात है कि जन वितरण प्रणाली को मज़बूत किया जाए तभी व्यवस्था में डाला गया सामान सही लोगों तक पहुँच पायेगा।
श्री रंगराजन ने कहा कि मध्यावधि में कृषि और ऊर्जा दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की ज़रुरत है। कृषि क्षेत्र के लिए ज़रूरी है कि उत्पादन में वृद्धि हो और ये तभी हो सकता है जब किसानों को नई तकनीकें और बीज उपलब्ध होंगे।
उनका कहना था कि ऊर्जा के क्षेत्र में ज़रूरी है की लक्ष्यों को पाया जाये और अगले पंद्रह साल में हमें ज़रूरी ऊर्जा उत्पादन के लिए सभी काम कर लिए जायें।#
भारत: अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि, पर कृषि क्षेत्र नहीं
वित्तीय घाटे में बढ़ोतरी होगी
विशेष संवाददाता - 2009-10-21 12:52
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलहाकार परिषद् के अध्यक्ष सी रंगराजन ने यहां एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल अर्थव्यवस्था की विकास दर तो बढ़ेगी, पर कृषि क्षेत्र की विकास दर में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।