ऐसी स्थिति में खुद संघ के शीर्षस्थ अधिकारियों की भी नहीं चल पा रही है। उनकी बातों को खुद भाजपा के अन्दर पूरी तरह नहीं माना जाता। आखिर ऐसे में उनके पास सलाह देने के अलावा चारा भी क्या है। इसमें कोई शक नहीं कि भाजपा संघ का ही राजनीतिक प्रभाग है, लेकिन संघ की पकड़ पार्टी में लगातार ढीली होती गयी है।
ऐसी स्थिति में भाजपा के अन्तरकलह और नेताओं के भीतरघात से भाजपा और संघ के साधारण कार्यकर्ताओं में क्षोभ बढ़ता गया है।
एक समय था जब संघ भाजपा को समर्थन देने और न देने के मामले में विचार-विमर्श करने को विवश हो गयी थी। लेकिन अंतत: कोई चारा नहीं रहने के कारण संघ भाजपा से न तो अलग हो सका और न ही भाजपा को अलग कर सका। भाजपा में गड़बड़ी पैदा करने वाले नेताओं की ताकत भी कम नहीं है और संघ के हस्तक्षेप से भी काम बनने को नहीं।
इसी लिए संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने फिर कहा है कि पार्टी में जो कठिनाइयाँ हैं उनका समाधान वो ख़ुद करे ।
श्री भागवत के अनुसार “भाजपा को संघ ने कई सलाह दी है और अगर भविष्य में भी माँगी गई तो ये सिलसिला जारी रहेगा, लेकिन भाजपा को अपना उपचार ख़ुद करना होगा।"
संघ प्रमुख ने भाजपा को लताड़ते हुए जयपुर में कहा , "पार्टी को शल्य चिकित्सा अपनानी है, दवा लेनी है या कीमोथेरेपी करनी है, जो भी हो, उसे ये ख़ुद तय करना होगा।"
हालाँकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि अगर भाजपा भविष्य में उनसे सलाह माँगेंगी तो सलाह देने का क्रम जारी रहेगा।
ध्यान रहे कि लोकसभा के चुनावों के बाद भाजपा संकट से गुज़र रही है। कठिन समय में पार्टी को नेतृत्व से लेकर विचारधारा तक कभी बदलाव तो कभी मज़बूती का सुझाव दिया जाता है।
पिछले दो आम चुनावों से पार्टी को नुकसान हो रहा है और उसे संसद में विपक्षी की भूमिका निभानी पड़ रही है। चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर नेतृत्व और कार्यशैली पर आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिला है।
उधर शिव सेना के 'नया माराठा मानुष' की नीति से असहमति जताते हुए भागवत ने कहा है कि वो व्यापक समाज बनाना चाहते हैं और उत्तर भारतीयों के प्रति शिवसेना की राय से वे सहमत नहीं हैं।
उन्होंने देश में आरक्षण की नीति पर पुनर्समीक्षा की बात की और कहा है कि एक समिति बने जो आरक्षण के नए स्वरूप को तय करे।
उनका आग्रह है कि आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन सेना जैसे क्षेत्रों में आरक्षण की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।
भागवत के इन बयानों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है।#
भारतीय राजनीति: भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
भाजपा की समस्या और संघ की बेवशी
क्या पार्टी अपनी समस्या का समाधान खुद कर पायेगी
विशेष संवाददाता - 2009-10-28 05:39
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जारी 'संकट' पर कहा है कि पार्टी में जो कठिनाइयाँ हैं उनका समाधान वो ख़ुद करे। ऐसा उन्होंने पहली बार नहीं कहा है बल्कि संघ के आम स्वयंसेवकों से लेकर उच्चाधिकारी तक यही कहते रहे हैं। उनका ऐसा कहना लाजिमी भी है क्योंकि भाजपा संघ के कार्यकर्ताओं से ही भरी है जिन्होंनें भाजपा की ऐसी दुर्गति की है। गैर संघी भाजपा नेताओं की ताकत भी बढ़ते जाने से संघ बेवश और किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया है।