एक दूसरे पर आरोप लगा रहे दो नेताओं में से एक जेल जा चुके हैं, तो दूसरे को परेशान होना स्वाभाविक है। हालांकि सीबीआई ने अभी शीला दीक्षित के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है, पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा गठित शुंगलू समिति ने शीला दीक्षित की सरकार को भी घोटाले में शामिल बताया है और कार्रवाई करने की मांग की है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुंगलू समिति की उस रिपोर्ट को केन्द्रीय गृहमंत्रालय के पास भेज दिया है। दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है और यहां का पुलिस प्रशासन केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधीन ही काम करता है, लिहाजा दिल्ली की शीला सरकार के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने के लिए केन्द्र का गृह मंत्रालय सांवैधानिक रूप से सक्षम है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने शीला दीक्षित की सरकार को शुंगलू समिति की रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए एक महीने का समय दिया है।

सुरेश कलमाड़ी की गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने शीला दीक्षित से इस्तीफा मांगा है और केन्द्र सरकार पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। खुद शीला दीक्षित अपने आपको पाक साफ बता रही हैं और कह रही हैं कि जांच के बाद यह साबित हो जाएगा कि वे पूरी तरह से साफ हैं। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के नाम पर हो रहे अनाप शनाप खर्चों पर जिनकी नजर रही है, उनका मानना है कि शीला दीक्षित कलमाड़ी से भी बड़ी समस्षा में फंस सकती हैं, क्योंकि दिल्ली सरकार की परियोजनाओं में किए गए घपलों की राशि कलमाड़ी की आयोजन समिति में हुए घपलों की राशि से कई गुना ज्यादा है। दिल्ली सरकार को केन्द्र सरकार ने हजारांें करोड़ रुपए राष्ट्रमंडल खेलों के नाम पर आबंटित किए थे। खुद दिल्ली सरकार ने अपने स्रोतों से प्राप्त राजस्व का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रमंडल खेलों के नाम पर खर्च किया। अनुसूचित जाति कोष के पैसे तक राष्ट्रमंडल खेलों के नाम पर खर्च किए जा रहे थे।

जाहिर है भाजपा के दबाव के अतिरिक्त शुगलू समिति की रिपोर्ट भी शीला दीक्षित की चिंता का विषय बन गई है। केन्द्र सरकार पर राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार की जांच की कार्रवाई तेज करने का जबर्दस्त दबाव विपक्ष और जनता की ओर है। 2 जी स्पेक्ट्रम की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही है, जबकि राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई खुद अपने ही तरीके से कर रही है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक विपक्षी नेता ने आपसी बातचीत में कहा है कि लोग 2 जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले की जांच की तुलना कर रहे हैं और देख रहे हैं कि खेलों के घोटाले की जांच उसी तत्परता से होती है या नहीं, जिस तत्परता से 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच हो रही है। प्रधानमंत्री को कहा गया कि उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। यदि राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार की जांच में कमजोरी पाई जाती है और दोषियों को बुक नहीं किया जाता है, तो बदनामी प्रधानमंत्री की होगी और माना जाएगा कि उन्होंने दोषियों को बचाने का काम किया।

प्रधानमंत्री खुद भ्रष्टाचार के मामले में काफी दबाव मंे आ गए हैं। अन्ना हजारे के आंदोलन के दबाव में संयुक्त मसौदा समिति के लिए तैयार हो जाने के उनके निर्णय से पता चलता है कि वे कितने दबाव में हैं। सोनिया गांधी पर भी भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ रही आवाजों का भारी दबाव है। ऐसी स्थिति में शीला दीक्षित की चिंता और भी बढ़ती जा रही है। दिल्ली प्रदेश की राजनीति के पर्यवेक्षकों का मानना है कि सुश्री दीक्षित की सोनिया गांधी से काफी नजदीकी रही है और उसके कारण ही वे असंतुष्ट कांग्रेसियों को एक के बाद एक ठिकाने लगाती रही हैं। (संवाद)