चुनाव अभियान के दौरान प्रतिद्वंद्वी पार्टियां तो एक दूसरे के खिलाफ कीचड़ उछाल ही रही हैं, पिछले दिनों एक छोटे समाचार चैनल के एक ऐंकर ने सीपीएम के मंत्री गौतम देब की धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी। श्री देब के खिलाफ दमदम विधालसभा क्षेत्र से ब्रत्य बसु चुनाव लड़ रहे हैं। उस चैनल पर उस समय उनका एक्यक्लूसिव इंटरव्यू चल रहा था। श्री बसु तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।

उस ऐंकर के पास श्री देब के खिलाफ बोलने का कारण था। श्री देब ने कुछ समय पहले उस ऐंकर और उस चेनल के मालिक के खिलाफ जमकर आग उगली थी। उस चैनल का मालिक एक चिट फंड मैनेजर है। देब ने पत्रकारों से बात करते हुए तब कहा था कि चुनाव समाप्त होने दीजिए। तब लोगों को पता चल जाएगा कि राज्य में एक सरकार है। सरकार तो हमारी ही बनेगी। आठवीं बार हम सत्ता में आएंगे। मैं घोषणा करता हूं कि में इन दोनों (ऐंकर और चैनल मालिक) को वहीं भेज दूंगा, जहां जाने के वे हकदार हैं। उनका इशारा दोनों को जेल भेज देने का था। उनका आगे कहना था कि पुराने और स्थापित चेनलों और अखबारों से उनका कोई झगड़ा नहीं है। वे दशकों से अखबार और चैनल चला रहे हैं। उनका काम अच्छा है, भले वे हमारा समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन ये चिट फंड वाले रातों रात चैनल खरीद लेते हैं। अखबार छापने लगते हैं। ये अलग किस्म के लोग हैं। आखिर इनके पास पैसा कहां से आता है। बड़े अखबारों और चैनलों के पत्रकारों को ज्यादा पैसा देकर ये अपने यहां कैसे ले आते हैं? वे चिट फंड में योगदान कर रहे लोगों को ठग रहे हैं। हमें सत्ता में आने दीजिए। हम उन्हें जेल की हवा खिला देंगे।

वित्त मंत्री असीमदास गुप्ता ने भी श्री देब के पद चिन्हों पर चलने का काम किया है। उन्होंने तो चिट फंडों के खिलाफ केन्द्र सरकार को पत्र तक लिख डाले। इस तरह की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। क्या किसी को इस तरह मीडिया को धमकी देने का अघिकार है? यदि कोई मीडिया हाउस अथवा उसका मालिक कोई गैरकानूनी काम कर रहा हो, तो उसे बुक करने के लिए कानून बने हैं। उन कानूनों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। पर यहां तो कार्रवाई करने की घमकिया्र देकर उनका मुंह बंद करने की कोशिश की जा रही है। सवाल उठता है कि यदि चिट फंड कंपनियां लोगों को ठग रही थीं, तो फिर सरकार ने उनके खिलाफ समय रहते कदम क्यों नहीं उठाए? उनके खिलाफ चुनाव प्रचार के दौरान ही बयानबाजी क्यों हो रही है?

पहली बार ऐसा हो रहा है कि मंत्रियों के साथ किसी मीडिया हाउस का इस तरह का झगड़ा सामने आ रहा है। इसके कारण चुनाव प्रचार का माहौल और भी गंदा हो गया है। (संवाद)