अन्ना हजारे के नागरिक समाज ने बनारस, सुल्तानपुर और लखनऊ में अपने जन लोकपाल बिल के समर्थन में तीन सभाएं कीं। इन सभाओं में खुद अन्ना को भी आना था, पर खराब स्वास्थ्य के कारण वे सभा मेु खुद नहीं आ पाए। बनारस और सुल्तानपुर की सभाओं को उन्होंने फोन सं संबोधित किया। लखनऊ की सभा को वे फोन से भी संबोधित नहीं कर पाए, क्योंकि जिस समय सभा हो रही थी, उस समय वे पुणे से दिल्ली विमान के द्वारा आ रहे थे।

सिविल समाज के नेता स्वामी अग्निवेश और अरविंद केजरीवाल ने उन तीनों सभाओं को संबोधित किया। हास्य अभिेनेता सामाजिक कार्यकर्त्ता जसपाल भट्टी ने भी उन सभाआंे को संबोधित किया। सभाओं में जिस तरह की भीड़ इक्कटठी हुई और जिस तरह से लोगों ने वहां अपने उत्साह दिखाए, उससे तो यही लगता है कि राज्य में भ्रष्टाचार एक बड़ा मसला बन चुका है और आने वाले विधानसभा चुनावों को यह प्रभावित करेगा। बनारस और सुल्तानपुर में तो लोगों के उत्साह का कोई ठिकाना ही नहीं था।

इन सभाओं की सबसे बड़ी विशेषता इनमें मध्यवर्ग के लेागों का शामिल होना रहा। मध्य वर्ग के वे लोग जो समाज का मत तैयार करने में भूमिका अदा करते हैं, इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह तक इसमें शामिल हो चुके हैं। अनेक रिटायर जज भी इसमें शिरकत कर चुके हैं।

सुल्तनानुर की सभा में भी लोगों का उत्साह देखने लायक था। वहां की सभा का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी का बहुत बड़ा गढ़ है। उनके इलाके में भी लोगों ने भारी संख्या में अन्ना के लोगांे की सभा में शिरकत की और पूरे उत्साह के साथ वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

गौरतलब है कि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी और समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अन्ना से अनुरोध किया था कि वे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ें। यह तो नहीं कहा जा सकता कि अन्ना ने उनके अनुरोध पर यहां सभाएं की, लेकिन उनकी सभाओं से राज्य की राजनीति की गर्मी और भी बढ़ जाने वाली है।

मुख्यमंत्री मायावती ने अन्ना हजारे की यह कहकर आलोचना की थी कि उनके द्वारा तय किए गए 5 पैनल सदस्यों में से कोई भी दलित समाज से नहीं है। वे अभी भी मांग कर रही हैं कि पैनल में एक दलित को रखा जाए। स्वामी अग्निवेश ने मायावती को इसके लिए आड़े हाथों लिया और उनसे पूघा कि उन्होेनं राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या किया? श्री अग्निवेश ने कहा कि यदि वे अपनी मांग पर गंभीर हैं, तो उन्हें पहले अपने राज्य में जन लोकायुैत का गठन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन दलितों और पिछड़ों के मतों से मायावती चुनाव जीमकर सरकार बनाती हैं, वे दलित और पिछड़े भ्रष्टाचार के सबसे बड़े शिकार हैं।

स्वामी अग्निेवेश और अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके आंदोलन में राजनैतिक पार्टियों को मंच नहीं उपलग्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति में शामिल कुछ लोग ईमानदार भी हैं। यही नौकरशाही में शामिल कुछ लोगों के लिए भी सच हैख् लेकिन इसके बावजूद किसी राजनीतिज्ञ को आंदोलन में बतौर नेता शामिल होने नहीं दिया जाएगा।

अन्ना हजारे ने फोन से लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि केन्द्र सरकार ने मजबूत लोकपाल के गठन को टालने की कोशिश की तो वे एक बार फिर आमरण अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि वे जेल जाने से भी नहीं डरते।

अन्ना हजारे देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की सभाएं आयोजित करेंगे। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश को सबसे पहले चुना तो शायद इसके पीछे इस राज्य का देश की सबसे बड़ी आबादी वाला होना है। इसके अलावा यहां पिधानसभा का चुनाव भी होना है, जिसमें कांग्रेस पूरी ताकत के साथ उतरने वाली है और इसे जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। जाहिर है अन्ना का उदृदेश्य कांग्रेस पर चुनावी दबाव डालना भी है। लेकिन इस क्रम में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा चुनावी मुददा बनकर उभर रहा है, जो मायावती के लिए भी खतरनाक हो सकता है। (संवाद)