केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा और राज्यसभा में इसे सदन पटल पर रखा।

रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद राज्यसभा में भाजपा सदस्यों ने नारेबाज़ी की और इस पर समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह ने आपत्ति जताई और इसके बाद भाजपा और समाजवादी पार्टी के कुछ सदस्यों के बीच हाथापाई हो गई।

इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

सोमवार को अंग्रेज़ी के एक अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में आयोग की रिपोर्ट के कथित रुप से लीक हो जाने के बाद विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया था और रिपोर्ट को तत्काल संसद में पेश किए जाने की मांग की थी।

इसके बाद मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें रिपोर्ट को संसद में पेश करने का फ़ैसला किया गया था।

लिब्रहान आयोग ने ये रिपोर्ट प्रधानमंत्री को इस साल जून में सौंपी थी।

वैसे सरकार ने पहले कहा था कि वह रिपोर्ट को संसद के इसी सत्र में प्रस्तुत करेगी लेकिन इसकी तारीख़ नहीं बताई गई थी।

नियमानुसार सरकार के लिए यह बाध्यकारी था कि वह रिपोर्ट सौंपे जाने के छह महीने के भीतर रिपोर्ट संसद में पेश करे। लेकिन सोमवार के घटनाक्रम ने सरकार को बाध्य कर दिया कि वह रिपोर्ट मंगलवार को ही पेश करे।

लोकसभा की कार्रवाई शुरु होने के तुरंत बाद विपक्ष की उपनेता सुषमा स्वराज ने रिपोर्ट पेश किए जाने की मांग फिर से उठाई।

समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने भी यही मांग दोहराई लेकिन उसी समय संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने सूचना दी कि सरकार ने रिपोर्ट सदन में पेश करने का फ़ैसला कर लिया है।

इसके बाद वहाँ प्रश्नकाल सुचारु रुप से चलता रहा। दोपहर 12 बजे के बाद उन्होंने लोकसभा में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट और उस पर सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की।

उधर राज्यसभा में कार्रवाई शुरु होते ही हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
इसके बाद विपक्ष के नेताओं को जानकारी दी गई थी कि सरकार मंगलवार को ही रिपोर्ट सदन में पेश करने जा रही है।

लोकसभा में रिपोर्ट पेश करने के कुछ समय बाद गृहमंत्री चिदंबरम ने राज्यसभा में रिपोर्ट पेश की।

लेकिन इसके बाद सदन में मचे हंगामे के बाद राज्यसभा की बैठक दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सवाल ये उठ रहा है कि रिपोर्ट किसने लीक की।

गृहमंत्री पी चिदंबरम ने संसद में ऐलान किया कि रिपोर्ट की एक ही प्रति है और वो उनके पास सुरक्षित है।

जब एम एस लिब्रहान से पत्रकारों ने पूछा कि कहीं उन्होंने तो इंडियन एक्सप्रेस को रिपोर्ट नहीं दी थी
, तो वो भड़क उठे।

ये पूरा हंगामा इस कारण शुरू हुआ कि दिल्ली के अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि उनके पास रिपोर्ट के कुछ अंश हैं।

अख़बार के अनुसार इस रिपोर्ट में लिब्रहान आयोग ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी , लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सबको दोषी ठहराया है।

ग़ौरतलब है कि छह दिसंबर , 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद जगह-जगह दंगे हुए थे और फिर इस मामले की जाँच के लिए न्यायमूर्ति लिब्रहान की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया था।#