इस मुद्दे को भारत की संसद में आज लाया गया। पर्यावरण और वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयराम रमेश ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वीकार किया कि यमुना नदी के जल की गुणवत्ता दिल्ली और आसपास के इलाकों में मानव उपयोग के लिए असुरक्षित है। यह प्रश्न श्री गोपाल व्यास और बलवंत उर्फ बाल आप्टे ने राज्य सभा में उठाया।
हालांकि उन्होंने कहा कि यमुना नदी जल के परिशोधन में काफी सफलता हासिल की गयी है। अपशिष्ट पदार्थों और कचड़ों को साफ करने के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं।
उन्होंने कहा कि जल की गुणवत्ता की लगातार निगरानी की जा रही है। स्वतंत्र संस्थाओं के माध्यम से भी यमुना जल की जांच और मोनिटरिंग करवायी जा रही है।
इस जांच में पाया गया कि हरियाणा में ताजेवाला से लेकर पलला तक के यमुना नदी के विस्तार में नदी का पानी काफी ठीक और प्रदूषण का स्तर मानव उपयोग के लिए सुरक्षित सीमा के अन्दर ही है।
हालांकि, दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में नदी के खंड वजीराबाद बांध के ऊपर से ओखला तक के बहाव और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में इसका पानी जीवधारियों के संदर्भ में मानकों को पूरा नहीं करता । इसमें रासायनिक पदार्थ काफी मात्रा में हैं और ऑक्सीजन की इसमें भारी कमी भी है। यमुना नदी के जल की गुणवत्ता अपेक्षित स्तर तक लाने के लिए जिन साधानों की जरुरत है उनमें सीवेज उपचार क्षमता का विकास और ताजा पानी का बहाव भी शामिल है। लेकिन दोनों की उपलब्धता में भारी कमी के कारण सुधार नहीं हुआ है.।
यमुना के पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए यमुना एक्शन प्लान यमुना कार्य योजना उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के 21 शहरों में 1993 में शुरु किया गया था। पहले चरण का काम 2003 में पूरा किया गया जिसे 682 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ पूरा किया गया। इनमें से 596 करोड़ रुपये केन्द्र और शेष राज्यों की सरकारों द्वारा वहन किया गया था।
दूसरा चरण दिसंबर, 2004 में शुरू हुआ। सितम्बर, 2009 तक इस चरण में 226.89 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे।
केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच 85:15 के अनुपात में हिस्सेदारी के आधार पर इस योजना में खर्च किया जा रहा है।
यमुना कार्य योजना के तहत कचड़ा शोधन संयंत्र परियोजनाएं, जल मल निकासी उपचार संयंत्र, कम लागत की स्वच्छता सुविधाओं के निर्माण, कचड़ा से बिजली उत्पादन संयंत्रों की स्थापना, शमशान घाटों में सुधार आदि किये जा रहे हैं। अब तक 753.25 मिलियन लीटर प्रतिदिन गंदे जल को साफ करने की क्षमता हासिल की गयी है।
इसके अलावा, दिल्ली की सरकार ने सीवरेज और सीवेज उपचार शुरू किया गया है। अन्य योजनाओं के तहत काम के लिए पूरी तरह से प्रदूषण लोड का पता लगाकर कर्यवाही की जा रही है। दिल्ली जल बोर्ड के साथ अवरोधक नाली बिछाने के लिए योजनाएं तैयार की गयी हैं। तीन प्रमुख सीवेज उपचार संयंत्र नजफगढ़, शाहदरा नालों के लिए स्थापित किये गये हैं। अनुपूरक निर्माण, नालियों का अवरोधन, नालियों और ट्रंक नाली की मरम्मती, बिना सीवर वाली कॉलोनियों और ग्रामीण क्षेत्रों से गाद निकालने के लिए सीवरेज प्रणाली के बिछाने की भी योजनाएं लागू की जा रही हैं।#
भारत: नदी जल की गुणवत्ता
900 करोड़ से अधिक खर्च: यमुना बेहतर नहीं बन सकी
बेइंतहा गंदगी बह रही है, प्रदूषण के खतरनाक स्तर
ज्ञान पाठक - 2009-11-30 12:59
नई दिल्ली : 900 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये जाने के बाद भी यमुना जल की गुणवत्ता में सुधार नहीं किया जा सका। पहले से ही यमुना नदी प्रणाली की पारिस्थितिकी खतरे में है, जबकि इसका पानी मानव उपयोग के लिए अत्यंत खतरनाक बन गया है।