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उत्तर प्रदेश में भाजपा की वापसी आसान नहीं

फिर भी योगी से बेहतर चेहरा पार्टी के पास नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-25 12:01
बंगाल चुनाव की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी और उसके मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मनोबल गिरा हुआ है। इस बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव भी हुए थे और उसमें भी भारतीय जनता पार्टी की हार हुई थी। उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों के चुनाव पार्टी के आधार पर नहीं होते, लेकिन जिला परिषद के सदस्यों के चुनाव दलीय आधार पर ही होते हैं और जिला परिषद चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के मात्र 20 फीसदी उम्मीदवार ही जीत सके थे। 26 फीसदी उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के जीते थे। सबसे ज्यादा निर्दलीयों की जीत हुई थी। अब जिला परिषद के वे सदस्य जिला परिषद के अध्यक्षों का चुनाव करेंगे। कोरोना की तेज लहर के कारण उनके चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। जुलाई के पहले सप्ताह में उनका चुनाव होना है।

पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला के कारण ही कश्मीर बन सका भारत का हिस्सा

आरएसस और हिन्दू महासभा के गलत समय पर हुए आंदोलन ने मामला बिगाड़ा
एल. एस. हरदेनिया - 2021-06-23 10:21
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई व्यक्ति व संगठन जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार मानते हैं। परंतु इसके विपरीत पूरे विश्वास से यह दावा किया जा सकता है कि यदि जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला नहीं होते तो जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं बन पाता। भारत को आजादी देने के लिए ब्रिटिश संसद ने जो कानून बनाया था उसके अनुसार इंडिया को दो राष्ट्रों में विभाजित किया जाना था। भारत की सभी रियासतों को तीन विकल्प दिए गए थे। वे चाहेँ तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते थे या आजाद भी रह सकते थे। उन्हें यह फैसला दोनों राष्ट्रों के बनने के पहले लेना था। फैसला लेने का अधिकार संबंधित रियासत के राजा- नवाब को दिया गया था।

त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार लगातार तनाव का सामना कर रही है

भाजपा विधायकों को मिलाने के लिए तृणमूल कांग्रेस सक्रिय
सागरनील सिन्हा - 2021-06-22 09:39
फिलहाल बीजेपी नेतृत्व को इस बात से संतोष हो सकता है कि वह किसी तरह अपने असंतुष्ट विधायकों को पार्टी छोड़ने से रोककर राज्य में बगावत की आग पर काबू पाने में कामयाब रही है. हालाँकि, आंतरिक दरार मरी नहीं है। पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष को भेजकर भगवा पार्टी के दिल्ली नेतृत्व की सतर्कता ने असंतुष्टों को अपनी विद्रोही आवाजों को शांत करने के लिए मजबूर कर दिया।

सरकार मगरूर है

मगर विपक्ष तो भी नाकारा है!
अनिल जैन - 2021-06-21 15:21
भारतीय राजनीति इस समय अपने इतने निकृष्टतम दौर से गुजर रही है कि वह देश की समस्याओं का समाधान करने के बजाय खुद अपने आप में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। किसी भी लोकतंत्र के लिए इससे ज्यादा बुरा दौर और क्या हो सकता है कि जब महंगाई पूरी तरह लूट में तब्दील हो चुकी हो, सत्ता में बैठे लोगों का भ्रष्टाचार अपनी सारी हदें पार कर संस्थागत स्वरूप ले चुका हो, अभूतपूर्व वैश्विक महामारी के चलते लाखों लोग उचित इलाज, दवा और ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ चुके हों, लोगों को अपने परिजनों के शव अंतिम संस्कार करने के लिए पैसे न होने या श्मशानों में जगह न मिलने के कारण नदी में बहाना पडे़ हों और कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन के नाम पर देश का अधिकांश हिस्सा पुलिस स्टेट में तब्दील हो चुका हो।

आईपीसी की धारा 124ए से संबंधित देशद्रोह को हटाना अनिवार्य है

मोदी सरकार लोकतांत्रिक असहमति को रोकने के लिए इसका दुरूपयोग कर रही है
बिनॉय विश्वम - 2021-06-19 12:20
जब से आरएसएस के नेतृत्व वाली भाजपा सत्ता में आई है, संविधान की लोकतांत्रिक भावना पर लगातार हमले हो रहे हैं। वास्तव में स्वयं लोकतंत्र और उसके मूल्यों को राज्य सत्ता के प्रबंधकों द्वारा घोर खतरा है। देशभक्ति के नाम पर, एक बिल्कुल अलग रूप धारण करने का प्रयास किया गया है, जिसमें जनता से कोई सरोकार नहीं है और बदले में उनसे कोई प्यार नहीं है। उनके लिए, असहमति को एक अपराध के रूप में दर्शाया गया है और राष्ट्रविरोधी शब्द का इस्तेमाल हर उस व्यक्ति पर हमला करने के लिए किया गया है जिसने ‘हिंदुत्व’ के रास्ते में आने की हिम्मत की।

राज्यसभा में अगले साल बहुमत से और दूर हो जाएगी भाजपा

विधानसभा चुनावों में मिल रही हार भाजपा को पड़ रही है भारी
अनिल जैन - 2021-06-18 11:35
भाजपा और आरएसएस के अंदरूनी हलकों में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि अगले साल भाजपा और उसके गठबंधन यानी एनडीए को राज्यसभा में बहुमत हासिल हो जाएगा और उसके बाद केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण का कानून लाएगी और समान नागरिक संहिता संबंधी कानून भी पारित कराया जाएगा। भाजपा और आरएसएस के समर्थकों की ओर से यही दावा सोशल मीडिया में भी किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि अगले साल होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सीटें बढने के बजाय कम हो सकती है।

सत्ता हासिल करने के मिशन 2022 को अंतिम रूप दे रहे अखिलेश

भाजपा के आधार में गिरावट से समाजवादी पार्टी को मिला बढ़ावा
प्रदीप कपूर - 2021-06-17 10:53
लखनऊः पंचायत चुनावों में हालिया सफलता से उत्साहित अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए मिशन 2022 की तैयारी कर रहे हैं। अखिलेश यादव चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के लिए समर्थन आधार बढ़ाने के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के लिए आक्रामक मूड में हैं।

बुझ गया चिराग?

मौसम का हाल समझने में विफल मौसम वैज्ञानिक का बेटा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-16 10:49
रामविलास पासवान दलित नेता थे, लेकिन उनकी छवि दलित नेता की नहीं, बल्कि एक मौसम वैज्ञानिक की बन गई थी। राजनैतिक मौसम का उनका अनुमान सही होता था और हमेशा जीतने वाली पार्टी के साथ वे चले जाते थे। उनकी इस अवसरवादिता के कारण ही उन्हें मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है और इसके कारण ही वे 1989 से 2020 के एकतीस साल के दौरान वे लगभग सभी सरकारों का हिस्सा रहे। वे वीपी सिंह सरकार में में ही नहीं, देवेगौड़ा और गुजराल सरकार में भी मंत्री थे। उसके बाद अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे। उसके बाद बनी मनमोहन सरकार में भी वे कैबिनेट मंत्री थे। मनमोहन सरकार के बाद मोदी सरकार बनी और उसमें भी वे मंत्री थे। जब उनकी मौत हुई, उस समय भी वे मंत्री के अपने पद पर मौजूद थे। 1989 से 2020 के बीच वे सिर्फ दो सरकारों- चंद्रशेखर सरकार और नरसिंहराव सरकार- में मंत्री नहीं थे। इप एकतीस सालों में सबसे ज्यादा दिनों तक उनका मंत्री के पद पर बने रहने का रिकॉर्ड है।

हिमंत विश्व शर्मा सरकार ने प्रभावी ढंग से कोविड से लड़ाई लड़ी

एक महीने पुराने असम मंत्रिमंडल के हाथों कई कठिन काम
सागरनील सिन्हा - 2021-06-15 10:44
महामारी के समय में सरकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता कोविड-19 वायरस से निपटने की रही है। यही बात एक महीने पहले बनी हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली नई असम सरकार पर भी लागू होती है। हालांकि भाजपा सत्ता में लौट आई, मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत ने ले ली, जिन्होंने एक नए मंत्रिमंडल का गठन करके अपनी पारी की शुरुआत की, जो पुराने और नए चेहरों का मिश्रण है।

राम मंदिर निर्माण में चंपत घोटाला

उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतना भाजपा के लिए और हुआ दुष्कर
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-14 11:08
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने दिल्ली फतह तो कर ली। उन्हें मोदी- शाह मुख्यमंत्री पद से हटा नहीं सके, लेकिन क्या वे उत्तर प्रदेश भी फतह कर पाएंगे- इन सवालों पर राजनैतिक पंडित माथापच्ची कर ही रहे थे कि अयोध्या में राममंदिर निर्माण करवा रहे ट्रस्ट द्वारा घोटाले की एक ऐसी खबर आ गई है, जिसे झुठलाना असंभव है। आगामी चुनाव में योगी आदित्यनाथ निश्चय ही राममंदिर के निर्माण को मुद्दा बनाएंगे, लेकिन यह मुद्दा उनके खिलाफ भी जा सकता है, क्योंकि रामजन्म मंदिर निर्माण से घोटाला भी जुड़ गए है। राममंदिर सुनते ही लोगों के जेहन में घोटाला भी गूंजने लगेगा और भाजपा को यह मुद्दा फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाएगा।