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व्यापार वार्ता के बीच नई दिल्ली को ट्रंप का संदेश: झुको या टूट जाओ

दबाव बनाने के लिए दवाओं पर 200 प्रति शत टैरिफ लगाने की धमकी
के रवींद्रन - 2025-07-17 11:25 UTC
भारत को और अधिक व्यापार रियायतें देने के लिए मजबूर करने का ट्रंप प्रशासन का दोहरा रवैया, चल रही व्यापार वार्ता में एक नये और विशेष रूप से आक्रामक चरण का संकेत देता है। यह दंडात्मक आर्थिक उपायों के खतरे को भू-राजनीतिक दबाव के साथ जोड़ता है, जिससे नई दिल्ली के लिए स्थिति बेहद अनिश्चित हो जाती है। इस घटनाक्रम के केंद्र में ट्रम्प की नई दिल्ली को एक कड़ी चेतावनी है: या तो आज्ञा मानो, या भुगतने के लिए तैयार रहो।

नरेंद्र मोदी सरकार और चुनाव आयोग में अद्भुत तालमेल

बिहार मतदाता सूची का लक्ष्य सत्ता हासिल करने से आगे एनआरसी तक
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-07-16 11:12 UTC
सभी परिस्थितियां और बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने का तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के बीच अद्भुत तालमेल की ओर संकेत कर रहे हैं। भाजपा लंबे समय से दावा करती रही है कि बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों और मतदाताओं के दोहरे नाम मतदाता सूची में हैं और इसलिए इसे साफ़ करने की ज़रूरत है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया है कि उसकी सरकार ने राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए मतदाता सूची से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटवाने के इरादे से यह प्रक्रिया शुरू की है। एक तीसरी राय यह है कि ये अल्पकालिक लक्ष्य हैं और इस कवायद का असली मकसद बिहार में सत्ता हासिल करने से कहीं आगे बढ़कर पूरे देश को अपने दायरे में लेना है, और अंततः देश के लिए एनआरसी का एक खाका तैयार करना है, जो भारत के लोगों के कड़े प्रतिरोध के कारण रुका हुआ है।

राहुल गांधी पिछले एक साल में विपक्ष के एक प्रभावी नेता के रूप में उभरे

इंडिया ब्लॉक को एकजुट करने के लिए उन्हें और भी बहुत कुछ करना होगा
कल्याणी शंकर - 2025-07-15 10:56 UTC
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले एक साल से विपक्ष के नेता (एलओपी) हैं। इस भूमिका में, वह भारत की संसद में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह सरकार को जवाबदेह ठहराते हैं और जनता के विचारों के पक्ष में बोलते हैं। हालाँकि विपक्ष के नेता की भूमिका संविधान में नहीं है, लेकिन यह गांधी को वरिष्ठ नौकरशाहों और सरकारी अधिकारियों को चुनने और सरकार पर कड़ी नज़र रखने में मदद करती है। वह विभिन्न संसदीय समितियों में भी शामिल हो सकते हैं। राहुल सरकार की शक्ति पर अंकुश लगाना चाहते हैं और ज़रूरत पड़ने पर कई विधायी कार्यों को सफलतापूर्वक रोक चुके हैं।

चुनाव आयोग का संवैधानिक अधिकार सर्वव्यापी नहीं

मनमाने आचरण के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी चेतावनी
के. रवींद्रन - 2025-07-14 11:09 UTC
बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सर्वोच्च न्यायालय के रुख से सबसे महत्वपूर्ण सीख यह है कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के पास स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का संवैधानिक अधिकार तो है, लेकिन उसे अनियंत्रित विवेकाधिकार से कार्य करने का अधिकार नहीं है।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति का खस्ताहाल

अमेरिकी वैश्विक रणनीति में कनिष्ठ सहयोगी की भूमिका निभाना मुख्य कारण
प्रकाश कारत - 2025-07-12 11:25 UTC
हाल के दिनों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की विदेश नीति ने जो बदनामी अर्जित की है, उसे कम करके नहीं आंका जा सकता। 13 जून को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्पेन द्वारा पेश किये गये एक प्रस्ताव को पारित किया, जिसमें गाजा में तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम का आह्वान किया गया था। प्रस्ताव में इज़राइल पर "नागरिकों को युद्ध के एक तरीके के रूप में भुखमरी" का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। 193 सदस्य देशों में से 149 ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, 12 ने विरोध किया जबकि 19 ने मतदान में भाग नहीं लिया। भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया, बल्कि मतदान से दूर रहा।

मज़दूरों की अखिल भारतीय हड़ताल की बड़ी सफलता एक चेतावनी

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष और तेज होने के आसार
पी. सुधीर - 2025-07-11 11:26 UTC
9 जुलाई को ऐतिहासिक हड़ताल में करोड़ों मेहनतकश लोग सड़कों पर उतर आये। पहले से तय इस हड़ताल को पहलगाम में निर्दोष नागरिक पर्यटकों पर हुए कायरतापूर्ण हमले के बाद लगभग डेढ़ महीने के लिए स्थगित करना पड़ा था। फिर भी, लोगों पर थोपी गयी मज़दूर-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की भावना अडिग रही।

केरल में राज्यपाल-सरकार टकराव में नया मोड़

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री के रुख का समर्थन किया
पी. श्रीकुमारन - 2025-07-09 11:22 UTC
तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर द्वारा आयोजित समारोहों में भगवा ध्वज लिए भारत माता की छवि प्रदर्शित करने को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध ने एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि राजभवन में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रमों के दौरान केवल राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीक ही प्रदर्शित किये जायें।

भारत को रक्षा व्यय में पर्याप्त वृद्धि करने की आवश्यकता

रक्षा पर भारी खर्च कर रही हैं वैश्विक सैन्य शक्तियां
नन्तू बनर्जी - 2025-07-08 11:21 UTC
यह विश्वास करना कठिन है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक प्रमुख सैन्य शक्ति भारत का रक्षा व्यय जीडीपी के प्रतिशत के रूप में कुवैत और ग्रीस जैसे छोटे-छोटे देशों से भी कम है। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में चीन के साथ जटिल भू-राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर कहा जा सकता है कि भारत अपनी रक्षा पर पर्याप्त खर्च नहीं कर रहा है, जबकि उसका नंबर 1 दुश्मन चीन लगातार बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान और नेपाल पर अपने बढ़ते आर्थिक और सैन्य नियंत्रण के साथ भारत को घेर रहा है, जिससे भारत पर चीन का खतरा बढ़ता जा रहा है।

9 जुलाई को अखिल भारतीय मज़दूर हड़ताल एक निर्णायक दौर होगा

विवादस्पद चार श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन का भाग्य दांव पर
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-07-07 11:02 UTC
देश भर के औद्योगिक क्षेत्रों से मिल रहे सभी संकेत बताते हैं कि 9 जुलाई, 2025 को अखिल भारतीय मज़दूर हड़ताल एक निर्णायक दौर होगा, जिसके परिणाम, चाहे अच्छे हों या बुरे, मज़दूर संघों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार दोनों को ही भुगतने होंगे और उनसे निपटना होगा। इस आम हड़ताल की सफलता या विफलता चार विवादास्पद श्रम संहिताओं के क्रियान्वयन का भाग्य तय कर सकती है, जिन्हें फिलहाल रोक रखा गया है, लेकिन केंद्र उन्हें जल्द से जल्द लागू करना चाहता है।

आरएसएस और भाजपा ने 1975 के आपातकाल के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी

नरेंद्र मोदी के 11 साल के शासन ने भी लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर किया आघात
डॉ. राम पुनियानी - 2025-07-05 10:34 UTC
जून 2025 में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के अधीन देश ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मनायी, जिसे इंदिरा गांधी ने 1975 में लगाया था। इस अवधि के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, जब कई लोकतांत्रिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दी गयी थीं, हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस अवधि को कुछ दलित नेता बहुत अलग तरीके से देखते हैं, जो पिछले दशक में इंदिरा गांधी द्वारा उठाये गये क्रांतिकारी कदमों जैसे बैंकों के राष्ट्रीयकरण और प्रिवी पर्स को खत्म करने को याद करते हैं। अब, जबकि बहुत कुछ लिखा जा चुका है, तब उसका नये सिरे से विश्लेषण किया जाना चाहिए।