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मध्य प्रदेश बजट में किसानों की दशा पर फोकस होगा

राज्य सरकार की वित्तीय हालत पतली है
एल एस हरदेनिया - 2021-02-16 10:49
भोपालः ऐसी परियोजनाओं और योजनाओं को शामिल करना जो किसानों को खुश कर सकता है और आगामी स्थानीय चुनावों में मतदाताओं को लुभाने में मदद करता है, मध्य प्रदेश के अगले बजट का मुख्य आकर्षण हो सकता है। बजट, आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश, किसान और सरकारी कर्मचारी राज्य के बजट में एक पखवाड़े में विधानसभा में पेश किए जाने वाले सरकार के प्राथमिकता वाले क्षेत्र होंगे। बजट सत्र 22 फरवरी से शुरू होगा और 26 मार्च तक जारी रह सकता है।

बार-बार भूकंप

यानी पृथ्वी मनुष्य से खुश नहीं है!
अनिल जैन - 2021-02-15 09:46
उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के इलाके में भूंकप यानी धरती के डोलने-थरथराने का सिलसिला नया नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय से यह सिलसिला बेहद तेज हो गया है। इस इलाके के किसी न किसी हिस्से में आए दिन भूकंप के झटके लग रहे हैं। पिछले साल मई और जून के महीने में कुल 14 मर्तबा भूकंप के झटकों ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर के साथ ही हरियाणा और पंजाब के एक बडे हिस्से को भयाक्रांत किया था। हालांकि उन सभी झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.0 से 4.5 तक थी, लेकिन इस बार 12 फरवरी की रात 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप के झटकों ने दिल्ली-एनसीआर समेत समूचा उत्तर भारत कांप उठा।

प्रधानमंत्री कुलीनतंत्र को त्यागें

तीनों कृषि कानूनों को वापस लें
सीताराम येचुरी - 2021-02-13 11:23
संसद के संयुक्त सत्र के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए डेढ़ घंटे लंबे भाषण में राष्ट्रपति नरेंद्र मोदी ने अपना और अपनी सरकार का अधिकांश समय राष्ट्रपति के अभिभाषण पर टिकाने में बिताया। तथ्य यह है कि यह अभिभाषण केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता पीएम करते हैं और राष्ट्रपति उसे पढ़ते है।

कांग्रेस की सहारनपुर रैली से कार्यकत्ताओं की हौसल आफजाई

प्रियंका गांधी ने जमीनी स्तर पर उत्तर प्रदेश में पार्टी को गतिशील किया
प्रदीप कपूर - 2021-02-12 09:49
लखनऊः एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा संबोधित किसान महापंचायत की शानदार सफलता ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है।

सजा काटकर शशिकला की जेल से वापसी

सत्तारूढ़ एआईएडीएमके के लिए बज रही है खतरे की घंटी
एस सेतुरमन - 2021-02-11 09:41
दिवंगत सर्वोच्च नेता सुश्री जयललिता की विश्वासपात्र सुश्री शशिकला की जेल से वापसी हो चुकी है। सोमवार को बेंगलुरु से चेन्नई जाने की उनकी यात्रा 17 घंटे की रही और वह एक शानदार यात्रा थी। कई केंद्रों पर सभी रस्मी स्वागत और भीड़ के जश्न के बीच, उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी की चुनावी योजनाओं को लेकर एक मजबूत राजनीतिक संदेश दिया।

भारत का 2021-22 का बजट मोदी सरकार के लिए एक बडा जुआ है

विकास दर और घाटे के प्रोजेक्शन में इसकी सफलता छिपी हुई है
नंतू बनर्जी - 2021-02-10 09:49
सरकार के 2021-22 के बजट अनुमानों के पीछे बहुत सी धारणाएँ भारत के नए बजट को एक बड़ा जुआ बनाती हैं। आगामी वित्त वर्ष में 34.83 लाख करोड़ रुपये 2021-22 में 19.76 लाख करोड़ रुपये की प्राप्तियों (उधार के अलावा) के अधीन है, जो कि 2020-21 के संशोधित अनुमान से 23 प्रतिशत अधिक है। 2020-21 में प्राप्तियों के लिए संशोधित अनुमान महामारी के कारण वर्ष के लिए मूल बजट अनुमानों से 29 प्रतिशत कम थे। 2021-22 के लिए बजट प्राप्तियों का लक्ष्य पूरी तरह से इस महत्वपूर्ण धारणा पर आधारित है कि नॉमिनल जीडीपी 14.4 प्रतिशत बढ़ेगा। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के अपने मुख्य आर्थिक सलाहकार जीडीपी के पूर्वानुमान के आधार पर भिन्न भिन्न राय रखते हैं।

उत्तराखंड के एक ग्लेसियर फटने का मामला

हिमालय से आपराधिक छेड़खानी के नतीजे तो भुगतने ही होंगे!
अनिल जैन - 2021-02-09 10:14
उत्तराखंड समेत समूचे हिमालयी क्षेत्र में बरसात के मौसम में तो बादल फटने, ग्लेशियर टूटने, बाढ आने, जमीन दरकने और भूकंप के झटकों की वजह से जान-माल की तबाही होती ही रहती है। ऐसी आपदाओं का कहर कभी उत्तराखंड, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तो कभी पूर्वोत्तर के राज्य अक्सर झेलते रहते हैं। लेकिन यह पहला मौका है जब सर्दी के मौसम में उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के रूप में कुदरत का कहर बरपा है। वहां चमोली जिले में नंदादेवी ग्लेशियर के टूटने से भीषण तबाही मची है और बडे पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है। आश्चर्यजनक रूप से सर्दी के मौसम में घटी यह घटना एक नए खतरे की ओर इशारा करती है। कहने को तो यह खतरा प्राकृतिक है और इसे जलवायु चक्र में हो रहे परिवर्तन से भी जोडकर देखा जा रहा है लेकिन असल में यह मनुष्य की खुदगर्जी और विनाशकारी विकास की भूख से उपजा संकट है।

किसान आंदोलन का अंतरराष्ट्रीयकरण

प्रधानमंत्री मोदी कृषि कानून की लड़ाई हार चुके हैं
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-02-08 11:06
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभी भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और कृषि कानूनों के पक्ष में लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन इस सवाल का उनके पास कोई जवाब नहीं है कि जब पूरा देश लॉकडाउन के कारण घरों में बंद था, तो अध्यादेश के द्वारा इन कानूनों को बनाने की क्या जरूरत थी। उनके पास इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं है कि संसद में इस पर बहस कराए बिना इसे क्यों पारित कराया गया। उनके पास इस सवाल का जवाब भी नहीं है कि राज्यसभा में जब उनकी पार्टी अल्पमत में है और उनके राजग सहयोगी दलों में भी उन कानूनों को लेकर विरोध था, तो फिर राज्यसभा में मत विभाजन क्यों नहीं कराया गया।

मध्य प्रदेश में राममंदिर के चंदे के नाम पर हुड़दंग

पुलिस की मौजूदगी में अल्पसंख्यकों पर हमले
एल एस हरदेनिया - 2021-02-06 10:01
पिछले दिनों मध्यप्रदेश के कुछ स्थानों पर घटी साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के दौरान बहुसंख्यकों के संगठनों के सामने पुलिस ने घुटने टेक दिए और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को रोकने के बजाए मूकदर्शक की भूमिका अदा की। इस नतीजे पर वह स्वतंत्र जांच दल पहुंचा है जिसने अभी हाल में प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण किया।

सबकी स्वास्थ्य सेवा की ओर बजट का ध्यान नहीं

बच्चों के आहार पर खर्च में कमी चिंता का कारण
डॉ अरुण मित्रा - 2021-02-04 15:43
कोविड महामारी ने स्वास्थ्य सेवा में असमानताओं को उजागर किया है। समाज के गरीब और मध्यम आय वर्गों की देखभाल के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की विफलता बिलकुल स्पष्ट दिखी। आर्थिक रूप से अच्छी तरह से संपन्न वर्गों को निजी क्षेत्र से उपचार मिल सकता है। कॉरपोरेट अस्पतालों ने सरकार के नियमों का पालन नहीं किया। इसलिए यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य पर बजट को व्यापक सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की दिशा दी जानी चाहिए।