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तमिलनाडु में भाजपा-अद्रमुक गठबंधन से एनडीए को 2026 के चुनाव में लाभ संभव

क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करके भगवा दक्षिण में विस्तार करने के लिए दृढ़ संकल्पित
कल्याणी शंकर - 2025-04-15 10:56
हालांकि तमिलनाडु विधानसभा चुनाव अभी एक साल दूर हैं, लेकिन भाजपा और अद्रमुक (एआईएडीएमके) के चुनावी गठबंधन की हालिया घोषणा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय स्तर पर बड़े राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बना यह गठजोड़ आगामी चुनावों में दोनों दलों को लाभ पहुंचा सकता है।

2014 से 15 प्रतिशत बढ़े प्राइवेट स्कूल, लगातार बढ़ा रहे फीस

सरकारी स्कूलों की संख्या में 8 प्रतिशत की कमी, गुणवत्ता में भी गिरावट
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-04-14 10:48
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार हमेशा से देश में शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती रही है। हाल ही के आंकड़ों से पता चलता है - 2014-15 से 2023-24 के दौरान प्राइवेट स्कूलों की संख्या में 14.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और उन्होंने पिछले तीन वर्षों में अपनी फ़ीस में 50-80 प्रतिशत की वृद्धि की है। दूसरी ओर, पिछले एक दशक के दौरान देश में सरकारी स्कूलों की संख्या में 8 प्रतिशत की कमी आयी है, जिनमें से अधिकांश भाजपा शासित राज्यों में हैं।

रिजर्व बैंक ने दिया संकट के समय भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन का संकेत

ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा
अंजन रॉय - 2025-04-11 11:18
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था डोनाल्ड ट्रम्प के व्यापक टैरिफ से अलग-थलग पड़ गयी है, भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को अपनी मूल नीति ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। गहरी अनिश्चितता के मौजूदा माहौल में, नीति दर में मामूली कटौती का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं हो सकता, लेकिन इस कदम का एक संकेत मूल्य है।

सीपीआई(एम) में गतिशीलता लाना नए महासचिव एम ए बेबी की सबसे बड़ी चुनौती

आक्रामक हिंदुत्व के खिलाफ लड़ना और केरल में सत्ता बरकरार रखना प्रमुख कार्य
नित्य चक्रवर्ती - 2025-04-09 10:40
71 वर्षीय सीपीआई(एम) पोलित ब्यूरो सदस्य मरियम अलेक्जेंडर बेबी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के छठे महासचिव का पदभार संभाला है। उन्हें 6 अप्रैल को मदुरै में संपन्न पार्टी की 24वीं कांग्रेस में मनोनीत किया गया था। बेबी केरल से सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता हैं और राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ है। वे केरल एलडीएफ सरकार में शिक्षा मंत्री थे और दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। अपने पिछले दो पूर्ववर्तियों की तरह बेबी भी छात्र आंदोलन के जरिए सीपीआई(एम) में शामिल हुए।

संशोधित वक्फ अधिनियम को लागू करना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती

इंडिया ब्लॉक पार्टियां अदालतों और आंदोलनों के माध्यम से विरोध जारी रखेंगी
कल्याणी शंकर - 2025-04-08 10:56
वक्फ संपत्ति संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर काफ़ी चिंता है, जिसे गत बुधवार को लोकसभा ने पारित कर दिया था। यह विवादास्पद विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम को आद्यतन करता है और केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियों पर ज़्यादा नियंत्रण देता है। अगले दिन राज्यसभा ने इसे मंज़ूरी दे दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पिछले हफ़्ते इसे स्वीकृति प्रदान की और इस प्रकार यह विधेयक अब क़ानून में तब्दील हो गया है।

नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प बहुत बड़ी भूल करने में भी एक समान

दोनों के शासनों में सत्व की जगह दिखावे, रणनीति की जगह भावनाओं का दोहन
के रवींद्रन - 2025-04-07 10:37
डोनाल्ड ट्रम्प और नरेंद्र मोदी एक-दूसरे के लिए प्रशंसा व्यक्त करते नहीं थकते। उनका परस्पर सम्मान एक अजीब अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक सौहार्द का आभास देता है, जो निर्विवाद है। जो चीज उन्हें जोड़ती है, वह केवल साझी विचारधारा नहीं है, बल्कि लोकलुभावनवाद, कथित देशभक्ति, और प्रायः नाटकीय परन्तु लापरवाह निर्णय लेने की प्रवृत्ति से आकार लेने वाला एक समान विश्वदृष्टि है।

संसद में वक्फ बिल के पारित होने से पूरे देश में राजनीतिक हलचल

सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों ही अगले चरण की कार्रवाई के लिए कस रहे हैं कमर
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-04-05 11:14
भारत की संसद के दोनों सदनों में वक्फ बिल के पारित होने से तुरंत ही राजनीतिक हलचल मच गयी, जिसका असर पूरे भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से असम तक महसूस किया गया। दोनों ही पक्षों के राजनीतिक दल – विपक्षी इंडिया ब्लॉक और भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र की सत्तारूढ़ एनडीए - इससे अधिकतम राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दोनों ही पक्षों को उभरने वाली नई चुनौतियों के लिए खुद को फिर से तैयार करना होगा।

ट्रम्प के टैरिफ़ पर केनडा, मैक्सिको और चीन से भारत सबक ले

अमेरिकी राष्ट्रपति के एकतरफा कदम से नहीं मिल रहे वांछित परिणाम
डॉ. नीलांजन बानिक - 2025-04-03 11:27
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीनी आयात पर 20 प्रतिशत और केनडाई और मैक्सिकन वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाया। केनाडा ने 20.7 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के अमेरिकी निर्यात पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाकर जवाबी कार्रवाई की। यदि 21 दिनों के बाद ट्रम्प टैरिफ़ में कटौती नहीं करते हैं, तो इस प्रतिशोध को 86.2 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के सामानों तक बढ़ाने की संभावना है। चीन ने पहले भी विभिन्न अमेरिकी निर्यातों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ़ लगाकर जवाबी कार्रवाई की है। भारत पर टैरिफ़ 2 अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाले हैं। अमेरिका केनडा का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इसलिए, केनडा अत्यधिक असुरक्षित है। विशुद्ध रूप से संख्याओं (विशेष रूप से जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यापार) के आधार पर, यह स्पष्ट है कि केनडा और मैक्सिको को ट्रम्प के टैरिफ से सबसे अधिक नुकसान होने की संभावना है। विशेष रूप से, स्टील पर 25 प्रतिशत टैरिफ और एल्युमीनियम उत्पादों पर 10 प्रतिशत टैरिफ के साथ-साथ विभिन्न अन्य वस्तुओं पर टैरिफ के कारण।

लोकसभा में अभी सीटों की संख्या सीमित रखने का समय

भारी आबादी वाले भारत को सीमित की जरूरत, परिसीमन की नहीं
नन्तू बनर्जी - 2025-04-02 10:40
अगर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े संघीय लोकतंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका में, प्रतिनिधि सभा में सीटों की संख्या 1913 से 435 तक सीमित रह सकती है, तो भारत के प्रत्येक राज्य में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए सीटों की संख्या और प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को जनसंख्या वृद्धि के अनुसार नये सिरे से तय करने के लिए नवीनतम परिसीमन अभ्यास को उचित ठहराने का कोई कारण नहीं है। देश अब कई वर्षों के अंतराल के बाद जनगणना अभ्यास से गुजर रहा है। वास्तव में, भारत को इस बात पर अधिक चिंतित होना चाहिए कि अपनी जनसंख्या वृद्धि को कैसे नियंत्रित किया जाये और अपने विधानमंडलों को वास्तव में मतदाताओं के लिए योगदान देने वाला कैसे बनाया जाये।

सीवरों में हो रही मौतों पर जिम्मेदारों को मिले कड़ी सजा

4 सालों में मध्यप्रदेश के सीवरों में 16 लोगों की हुई मौत
राजु कुमार - 2025-04-01 11:31
भारत में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मैनुअल सफाई कानूनन प्रतिबंधित है, इसके बावजूद सफाई कर्मचारी अपनी जान गंवा रहे हैं। मध्यप्रदेश में पिछले चार सालों में 16 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। यह सिर्फ एक राज्य की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश में सफाई कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में है। राष्ट्रीय स्तर पर सफाई कर्मचारियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) ने इन मौतों को लेकर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन का कहना है कि जब तक दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी और सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक यह अमानवीय प्रथा जारी रहेगी।