नागरिकता संशोधन अधिनियम और उसके बाद
फिलहाल तो पूर्वोत्तर में रहने वाले गायपट्टी के लोग संकट में हैं
2019-12-14 11:03
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राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ नागरिकता संशोधन विधेयक अब नागरिकता संशोधन अधिनियम बन चुका है। इस अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट के टेस्ट में पास होना अभी बाकी है। वहां इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी गई है और संविधान की मूल संरचना के इसे खिलाफ बताया गया है। गौरतलब हो कि केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि संसद ऐसा कोई कानून नहीं बना सकती और सरकार ऐसा कोई निर्णय नहीं ले सकती, जो संविधान की मूल संरचना के खिलाफ हो। भारत का संविधान एक धर्म निरपेक्ष संविधन है और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा मौलिक अधिकारों के प्रावधानों में की गई है, जिनमें कहा गया है कि कानून की नजर में सभी लोग बराबर हैं और धर्म या मजहब के आधार पर यहां के नागरिकों में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।