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अमेरिकी चीन व्यापार युद्ध और भारत

कमजोर होता युआन भारत की नई चिंता
नन्तू बनर्जी - 2019-08-16 09:48
संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ने पिछले सप्ताह एक अधिक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश किया क्योंकि बीजिंग ने अपनी मुद्रा को और कमजोर करने की अनुमति दी। गिरते हुए युआन न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक बड़ी चिंता बन गए हैं। लोअर युआन चीन को अपने निर्यात को अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर अधिक डंप करने में मदद करेगा। चीन को निर्यात करना अधिक कठिन होगा। राष्ट्रपति ट्रम्प के ट्रेजरी विभाग ने औपचारिक रूप से चीन को मुद्रा हेरफेर करार दिया है क्योंकि चीनी उद्यमों ने अमेरिका से कृषि उत्पादों की ताजा खरीद बंद कर दी है। जहां तक भारत का संबंध है, कमजोर युआन भारतीय बाजार में चीनी सामानों की बाढ़ ला सकता है और देश के आर्थिक विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक-इन-इंडिया अभियान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

कश्मीर समस्या के लिए नेहरू नहीं अमेरिका और ब्रिटेन जिम्मेदार

उन्होंने कश्मीर में जनमतसंग्रह नहीं होने दिया, क्योंकि वह तब भारत के साथ था
एल एस हरदेनिया - 2019-08-15 18:16
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी सहित संपूर्ण संघ परिवार जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर की समस्या के लिए उत्तरदायी मानते हैं। परंतु कश्मीर समस्या के इतिहास का बारीकी से अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि समस्या को उलझाने में ब्रिटेन व अमेरिका द्वारा की साजिशों की निर्णायक भूमिका थी। अमेरिका और ब्रिटेन, और विशेषकर ब्रिटेन यह चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर का पाकिस्तान में विलय हो जाए।

मुस्लिम कार्ड खेलने में मायावती व्यस्त

बीजेपी की चुनौती का सामना करने को हो रही हैं तैयार
प्रदीप कपूर - 2019-08-13 09:24
लखनऊः लोकसभा चुनाव में संतोषजनक प्रदर्शन के बाद जब पार्टी को 10 सीटें मिलीं तो बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती उत्तर प्रदेश में अपना वोट बैंक मजबूत करने में व्यस्त हो गई हैं। गौरतलब हो कि मायावती की पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी। उस पृष्ठभूमि में पार्टी को 2019 के चुनाव में 10 सीटें मिलना एक शानदार उपलब्धि ही कही जा सकती है।

6 अगस्त के बाद कश्मीर से भिड़ गया है भारत

370 को समाप्त करने के नतीजे कुछ भी हो सकते हैं
ज्ञान पाठक - 2019-08-10 10:16
कभी जम्मू-कश्मीर नाम के भारत संघ में एक राज्य था। भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद राज्य को समाप्त कर दिया गया, इसे संघ द्वारा शासित एक क्षेत्र तक सीमित कर दिया गया इसके साथ लद्दाख नाम का एक और केन्द्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आया। यह राज्य में अपने नागरिकों की आवाज को शांत करने के लिए संसद में बहुमत के जानवर बल पर संभव बनाया गया। इस निर्णय पर लोगों की राय विभाजित हैं। कुछ कहते हैं कि कार्रवाई जिस तरह से की गई, वह अनैतिक, नासमझभरा और अनुचित थी। कश्मीरियों ने इस घटना को ‘काला दिन’ कहा। हमें, उसके परिणामों का सामना करना होगा।

समाप्त होना ही 370 की नियति थी

स्थिति सामान्य करने में हमें सरकार की मदद करनी चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-09 11:02
संसद ने संविधान की धारा 370 के उन प्रावधानों को समाप्त कर दिया है, जिनसे जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलता था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय होगा, इसका पता तो तभी लगेगा, जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आएगा। फिलहाल हम कह सकते हैं कि उस राज्य का विशेष दर्जा समाप्त हो गया है। भारत का अभिन्न अंग तो वह पहले से ही है, लेकिन विशेष दर्जा समाप्त होने से अब वह देश के अन्य प्रदेशों जैसा ही हो गया है।

नफ़रत की राजनीति की आयु लंबी नहीं होती, पर बहुत नुकसानदायक होती है

नफरत की राजनीति से मुकाबला के लिए एकजुटता जरूरी
विशेष संवाददाता - 2019-08-08 16:47
हमारे देश के और दुनिया भर के बेहतरीन वैज्ञानिकों की अपने समाज के विषय में स्पष्ट समझ होती है जो मानवीय मूल्यों की ही पक्षधर होती है लेकिन हमारे यहां और दुनिया के कई देशों में आज जो सत्ता पर काबिज़ ताकतें हैं वे तमाम मनगढ़ंत अवधारणाओं को अपने हितों के लिए उभार रही हैं, जो कि समाज के लिए खतरनाक है। यह विचार प्रख्यात ऊर्जा विज्ञानी व जन विज्ञान कार्यकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ के हैं। भोपाल में “आज के हालात - चुनौतियां और विकल्प” विषय शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए।

मौलाना आजाद और भारत छोड़ो आंदोलन

जरा याद करो कुर्बानी
एल एस हरदेनिया - 2019-08-08 09:16
सच पूछा जाए तो कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि तय नहीं की थी। वास्तव में अप्रत्यक्ष रूप से भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि अंग्रेज़़ों ने तय कर दी थी। हुआ यह कि 7 और 8 अगस्त 1942 को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन आयोजित किया गया था। अधिवेशन में ही 8 अगस्त को यह प्रस्ताव पारित हुआ कि अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद को कह दिया जाए कि अब आप भारत को छोड़ दें। गांधी जी को उम्मीद थी कि इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद शायद अंग्रेज़ शासक कांग्रेस को बातचीत के लिए आमंत्रित करेंगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ और 9 अगस्त की प्रातः 4 और 5 बजे के बीच कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुलकलाम आज़ाद, सरोजनी नायडू आदि शामिल थे। सच पूछा जाए तो कांग्रेस की पूरी की पूरी कार्यकारिणी के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

क्यों पिछड़े हैं ओबीसी, दलित और आदिवासी?

सामाजिक पूंजी का अभाव उनके बढ़ते कदम को रोकता है
डाॅ अनिल यादव - 2019-08-07 10:12
भारत में आदिवासी, दलित व ओबीसी के लोग सब जगह पिछड़े हैं, तो उसका एक प्रमुख कारण इन वर्गों के व्यक्तियों के पास सामाजिक पूँजी का भारी अकाल होना भी है। अमेरिका की ड्युक विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र के प्रोफेसर नान लिन ने एक अभूतपूर्व व्यापक परिवर्तनकारी “सामाजिक पूँजी” का सिद्धांत पेश किया, जिसे पूरी दुनिया में मान्यता मिली। नान लिन ने जबरदस्त तर्कों, तथ्यों, आंकड़ो द्वारा सिद्ध कर दिया कि “आप क्या जानते हैं और किसे जानते हैं, वह आपके जीवन और समाज में फर्क लाता है।” अर्थात यदि दो व्यक्ति एक समान योग्यता के हैं, मान लीजिये दोनों के पास बी. टेक. की डिग्री है, लेकिन एक व्यक्ति ‘किसे’ जानता है के मामले में आगे है, तो जीवन में भी वही आगे जाएगा।

कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति

मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-08-06 09:30
जनसंघ के दिनों से ही धारा 370 को समाप्त करना भाजपा नेताओं का सपना रहा है। इस सपने को नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आखिरकार पूरा कर ही दिया। वैसे 370 पूरी तरह समाप्त हुआ भी नहीं है। इसके वे ही प्रावधान समाप्त हुए हैं, जिनसे जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था। भाजपा के नेता जब 370 को हटाने की मांग करते थे, तो उनका मतलब इस विशेष दर्जे को हटाने से ही होता था।

आरएसएस की पत्रिकाएं राष्ट्रीय मीडिया को हिन्दू विरोधी कहती है

उन पत्रिकाओं में ‘मुस्लिम अत्याचार’ को मिल रहा है कवरेज
एल एस हरदेनिया - 2019-08-05 10:52
भोपलः ‘उल्टा चोर कोतवाल से डाटे’ एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है। यह कहावत पूरी तरह से दो सप्ताहिक ‘आॅर्गेनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ पर लागू होती है जो आरएसएस के संरक्षण में छपती हैं। लगभग हर अंक में दोनों में ‘नारद’ नामक एक कॉलम छपता है। संयोग से आरएसएस का मानना है कि नारद मानव सभ्यता के पहले रिपोर्टर थे। भोपाल स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जब यह आरएसएस द्वारा नियंत्रित किया गया था, अपने छात्रों को बताता था कि यदि वे एक आदर्श खोजी पत्रकार बनना चाहते हैं तो उन्हें नारद से सीखना चाहिए। यहाँ मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि जुलाई 2019 के महीने में प्रकाशित दोनों साप्ताहिकों में क्या लिखा था।