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चिकित्सा शिक्षा नीति में कई झोल हैं

योग्य गरीब छात्रों पर विशेष ध्यान दिए जाने चाहिए
डॉ अरुण मित्रा - 2019-06-28 11:16
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा सार्वजनिक हो चुका है। इसका मतलब यह है कि देश भर के लोग इस मसौदे पर अपने इनपुट दे सकते हैं, और उसके बाद संसद में बहस के बाद स्थायी समिति में इस पर चर्चा की होगी। चिकित्सा शिक्षा पर आम तौर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति दस्तावेज के साथ बहस की जाती है। लेकिन वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति दस्तावेज ने खंड संख्या 16.8 में इसे ‘हेल्थकेयर शिक्षा’ के रूप में स्थान दिया है।

बिहार में लालू युग का अंत

कौन भरेगा राजनैतिक शून्य?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-06-27 11:11
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बिहार में लालू युग का खात्मा कर दिया है। वैसे लालू यादव की राजनैतिक मौत 2014 के लोकसभा चुनाव में ही हो गई थी। मुकदमे में सजा पाने के बाद वे 2014 के लोकसभा चुनाव मेे खुद खड़े होने के योग्य नहीं रह गए थे। सोनिया गांधी ने एक अध्यादेश तैयार से उन्हें चुनाव लड़ने योग्य बनाने की कोशिश की थी, लेकिन राहुल गांधी ने उस कोशिश पर पानी फेर दिया था। उन्होंने उस अध्यादेश की काॅपी एक प्रेस कान्फ्रेंस में फाड़कर अपना खुला विरोध जाहिर किया था और मनमोहन सरकार को वह अध्यादेश वापस लेना पड़ा था।

मध्ययुगीन काल के मध्यकाल के कालखंडों में त्राहि-त्राहि मच गई

कमल नाथ-स्काइंडिया रिफ्ट वेडिंग
एल एस हरदेनिया - 2019-06-26 12:18
भोपलः यह एक तूफानी सप्ताह था जो 22 जून को समाप्त हो गया। उम्मीद की जा रही थी कि इस सप्ताह कैबिनेट फेरबदल होगा। लेकिन यह अफवाह साबित हुई। हालांकि सप्ताह के अंत तक फेरबदल का लोग इंतजार करते रहे। कैबिनेट परिवर्तन की रिपोर्टों ने मुख्यमंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच संभावित दरार का संकेत भी दिया।

समाजवादी पार्टी का अबतक के सबसे बड़े संकट से सामना

हार की समीक्षा के लिए अभी तक नहीं हुई है बैठक
प्रदीप कपूर - 2019-06-25 10:54
लखनऊः लोकसभा चुनाव के बाद बसपा नेता मायावती द्वारा डंप किए जाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी अब तक के अपने इतिहास का सबसे बड़ा संकट का सामना कर रही है। समाजवादी पार्टी को जोर का झटका लगा क्योंकि पार्टी लोकसभा चुनावों में लड़ी गई 37 में से केवल पांच सीटें ही हासिल कर सकी।

स्किल इंडिया ने अपनी आभा खो दी है

मोदी सरकार को इसे फिर से पटरी पर लाना होगा
ज्ञान पाठक - 2019-06-22 11:06
मोदी सरकार द्वारा पिछले तीन हफ्तों में की गई नई पहलों और कार्यों के बीच ‘स्किल इंडिया मिशन ’की स्पष्ट अनुपस्थिति यह स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि यह अब प्राथमिकता वाला क्षेत्र नहीं है। यहां तक कि राष्ट्रपति के संबोधन में भी इसका उल्लेख नहीं किया गया, हालांकि ‘कौशल’ शब्द का इस्तेमाल दो बार पासिंग कमेंट के रूप में किया गया। यह 2022 तक भारत को दुनिया की ’कौशल राजधानी’ बनाने के मोदी के उद्देश्य के लिए एक अशुभ संकेत है। 2017 में यह संकल्प पांच साल के भीतर न्यू इंडिया बनाने के हिस्से के रूप में लिया गया था।

सोनिया परिवार क्यों बोझ है कांग्रेस पर?

कांग्रेस को परिवार की छत्रछाया से बाहर आना ही होगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-06-21 09:55
कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर नहीं बने रहना चाहते हैं। यह और भी अच्छी बात है कि वह यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके परिवार का कोई अन्य सदस्य भी इस पद पर नहीं बैठे। यह कांग्रेस के अंदर पनप रही चापलूसी संस्कृति के लिए बहुत बड़ा झटका है और चापलूसों और चमचांे को राहुल गांधी का यह फैसला निश्चय ही बहुत अखर रहा होगा। अब तो नये कांग्रेस अध्यक्ष के कुछ नाम भी सामने आने लगे हैं। कभी सुशील कुमार शिंदे का नाम आता है, तो कभी मनीष तिवारी का। एक बार तो खड़गे का नाम भी सामने आया। फिलहाल अशोक गहलौत के नाम को गंभीरता से लिया जा रहा है। पूर्व हाॅकी खिलाड़ी कांग्रेस के नेता असलम शेर खान ने खुद अपना नाम प्रस्तावित करते हुए दो साल के लिए अध्यक्ष पद संभालने की इच्छा संभाली।

कमलनाथ ने मंत्रिमंडल में सहयोगी दलों को शामिल करने की पहल की

भाजपा की चुनौती का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री की योजना
एल एस हरदेनिया - 2019-06-20 11:25
भोपालः अपनी सरकार के छह महीने पूरे होने की पूर्व संध्या पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार को अस्थिर करने के भाजपा के मंसूबे को हराने के लिए एक अनूठा सूत्र सुझाया है। सोनिया गांधी को संबोधित एक पत्र में कमलनाथ ने उनसे अपने मंत्रिमंडल में छह रिक्तियों को संभव बनाने का अनुरोध किया है। ऐसा तब किया जा सकता है जब तीन गुट के नेता अपने दो प्रत्याशियों को स्वेच्छा से मंत्रालय छोड़ने के लिए कहें। तीन गुट के नेता खुद दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ हैं।

क्या 2022 तक हम न्यू इंडिया प्राप्त कर लेंगे?

लंबी लंबी बातों से सच्चाई छिप नहीं जाती
ज्ञान पाठक - 2019-06-19 17:52
मोदी ने भारत में ’अच्छे दिनों’ की शुरुआत के लिए 60 महीने का समय मांगा था। लोगों ने उन्हें 2014 में भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए वोट दिया। तीन साल बीत गए। अच्छे दिन नहीं आए। फिर वह 2022 तक पांच साल के भीतर एक न्यू इंडिया बनाने का विचार लेकर आए। 2017-22 की अवधि को बार-बार पंचवर्षीय योजना के रूप में उल्लेख किया गया था, और नई बनाई गई सरकारी थिंक टैंक, नीति आयोग को इस पर काम करने के लिए सक्रिय किया गया था। राजनीतिक रूप से इसने उनके लिए काम किया और उन्हें पांच साल के लिए और विस्तार मिला, हालांकि वादा किया गया ‘अच्छे दिन’ उनके शासन के 60 महीनों के अंत तक ‘बुरे दिन’ में बदल गए। 2019 के चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने भारत में 1942-47 के बीच की अवधि के साथ अगले पांच साल यानी 2019-24 की तुलना की।

गरमी के कहर को किसने बनाया जानलेवा?

हमारी सरकारों और हमारे सामाजिक तंत्र का निष्ठुर रवैया जिम्मेदार
अनिल जैन - 2019-06-18 13:44
देरी से ही सही मगर मॉनसून केरल के तट पर दस्तक देता हुआ इस वर्ष की अपनी भारत-यात्रा पर निकल पडा है। चूंकि इस बार केरल में ही मॉनसून के आने में पूरे एक सप्ताह की देरी हुई है तो जाहिर है कि देश के बाकी हिस्सों में भी उसकी आमद में देरी होगी ही। मॉनसून के इंतजार में व्याकुल हो रहे देश के विभिन्न हिस्सों को इस समय भीषण गरमी ने बुरी तरह झुलसा रखा है। वैसे तो हर साल मई के महीने में गरमी पूरे शबाब पर होती है और जून आते-आते जब धूल भरी आंधी चलने लगती है तो गरमी का असर कुछ कम होने लगता है। मगर इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। आधा जून बीतने को है लेकिन गरमी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है।

दक्षिणपंथ का उदय और वामपंथ का पतन

क्या कम्युनिस्ट 21वीं सदी के लिए अनफिट हैं?
अमूल्य गांगुली - 2019-06-17 12:53
यह एक संयोग नहीं हो सकता है कि दक्षिणपंथी भाजपा का उत्थान और केंद्रीय-वाम और वाम दलों का पतन साथ साथ रहा है।