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अमेरिकी सुपर प्रॉफिट के लिए दुनिया को नष्ट करने पर तुले हैं ट्रम्प

राष्ट्रों को वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को बचाने के लिए खड़ा होना चाहिए
के रवींद्रन - 2025-03-06 10:36
दुनिया अभी कोविड-19 महामारी की छाया से उभरी ही है, जो एक ऐसा संकट जिसने अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया, आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया और वित्तीय बाजारों को उथल-पुथल कर दिया था। जैसे-जैसे राष्ट्र पुनर्निर्माण का प्रयास कर रहे हैं, एक और तूफान मंडरा रहा है - जो महामारी से भी अधिक घातक और लंबे समय तक चलने वाला है। ट्रम्पियन टैरिफ के रूप में जाना जाने वाला आर्थिक वायरस ने अपना विघटनकारी मार्च शुरू कर दिया है, जिसने वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता पर ग्रहण लगा दिया है।

खनिजों पर अमेरिका-यूक्रेन डील चीन को मात देने की एक सोची-समझी कोशिश

वर्तमान में चीन में ही होता है इस तरह के 85 प्रतिशत संसाधनों का शोधन
अंजन रॉय - 2025-02-28 10:40
24 फरवरी, 2022 को शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध अब तीन साल बाद समाप्त होने वाला है। अपने दावों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस युद्ध को समाप्त करने के लिए सभी पक्षों के साथ सौदे कर रहे हैं। यह सच है कि ट्रम्प ने शर्मनाक तरीके से सभी सिद्धांतों को त्याग दिया है और अपने मगा (मेक अमेरिक ग्रेट अगेन) लक्ष्यों की तलाश में रूसी राष्ट्रपति के साथ एक गुप्त समझौता किया है।

डोनाल्ड ट्रम्प के नाटो से दूरी बनाने के बाद यूरोप की परीक्षा की घड़ी

यूरोपीय राष्ट्रों की अमेरिका के बिना सुरक्षा गारंटी की संरचना पर अलग-अलग राय
नित्य चक्रवर्ती - 2025-02-19 10:56
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के अस्सी साल बाद, यूरोप, विशेष रूप से पश्चिमी यूरोप अव्यवस्थित सा हो गया है, क्योंकि आठ दशकों से उनका ट्रान्साटलांटिक सहयोगी, संयुक्त राज्य अमेरिका, नये ट्रम्प सिद्धांत के तहत नाटो से संबंधित यूरोपीय देशों की सुरक्षा की गारंटी देने से इनकार कर रहा है। इससे पहले भी अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे, लेकिन उनका महाद्वीप की भू-राजनीति पर इतना व्यापक प्रभाव कभी नहीं पड़ा, जितना 2025 में पड़ रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप जो चाहते थे वह सब नरेंद्र मोदी से हासिल किया

अमेरिका से हथियारों और तेल के निर्यात में भारी वृद्धि होगी
टी एन अशोक - 2025-02-15 11:06
वाशिंगटन: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय भू-राजनीतिक स्थिति तेजी से बदल रही है और कई देशों में नये नेता सत्ता संभाल रहे हैं। गुरुवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मोदी की निर्धारित बैठक से अमेरिका के लिए उनके व्यापार विस्तार के मामले में सकारात्मक परिणाम सामने आये, लेकिन भारत के लिए सटीक लाभ का आकलन अभी किया जाना बाकी है। हालांकि एक बात स्पष्ट है। ट्रंप आप्रवासियों पर अपनी नीति पर अड़े रहे और मोदी ने इस पर सहमति जतायी। भारतीय प्रधानमंत्री ने ट्रंप की प्रशंसा की, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाये जाने वाले भारी ‘पारस्परिक’ टैरिफ से बचने की कोशिश की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की अपनी पहली यात्रा के लिए वस्तुतः व्हाइट हाउस लौटे, ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति के पहले कार्यकाल 2016 से 2020 के दौरान बनाये गये संबंधों को मजबूत किया जा सके और आपसी लाभ के लिए अपने सौहार्द को और आगे बढ़ाया जा सके।

गाजा पट्टी पर डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणा में रियल एस्टेट डेवलपर की आवाज़

राष्ट्रपति की इस अनोखी योजना ने दोस्तों और दुश्मनों दोनों में हंगामा मचा दिया
अंजन रॉय - 2025-02-07 10:45
डोनाल्ड ट्रम्प, जो अब राजनीति और कूटनीति की दुनिया में रोज़ाना उथल-पुथल मचाने के आदी हो चुके हैं, ने अपना ध्यान संघर्षरत गाजा पट्टी की ओर मोड़ दिया है। अब उन्होंने विवादित क्षेत्र के ऊपर से अमेरिकी साम्राज्यवादी ईगल उड़ाने का वायदा किया है।

ट्रम्प टैरिफ का वैश्विक तेल व्यापार, ओपेक रणनीतियों पर गहरा प्रभाव

एशिया में पहुँच सकते हैं केनडा और मेक्सिको के कच्चे तेल के अधिशेष
के रवींद्रन - 2025-02-06 11:05
ओपेक+ एक बार फिर वैश्विक ऊर्जा संकट के केंद्र में है, क्योंकि यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रमुख कच्चे तेल आपूर्तिकर्ताओं पर टैरिफ लगाने से उत्पन्न नयी चुनौती से जूझ रहा है। टैरिफ, जिसमें केनडा के तेल पर 10 प्रतिशत और प्रतिशोध में केनडा में अमेरिकी आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क शामिल है, ने वैश्विक तेल मांग को बाधित करने, व्यापार प्रवाह को विकृत करने और ऊर्जा बाजारों में ओपेक+ द्वारा पहले से ही जटिल नाजुक संतुलन को बनाये रखने और अधिक खतरे में डाल दिया है। ट्रम्प ने उसके बाद केनडा और मेक्सिको के खिलाफ प्रतिबंधों को 30 दिनों के लिए रोकने की घोषणा की है, लेकिन जोखिम बने हुए हैं, जो बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य को नकारात्मक करते हुए कीमतों को स्थिर करने की ओपेक+ की क्षमता की और परीक्षा करते हैं।

डावोस में डोनाल्ड ट्रम्प की नीतिगत घोषणाओं के बाद पश्चिमी यूरोप में दहशत

चीन और रूस नहीं बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति से यूरोपीय संघ को सबसे ज़्यादा नुकसान
नित्य चक्रवर्ती - 2025-01-27 11:14
डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने और पदभार ग्रहण करने के पहले दिन उनकी नीतिगत घोषणाओं के एक सप्ताह के अन्दर उनका असर हर देश पर अलग-अलग पड़ा है, लेकिन यूरोपीय संघ के देशों, खासकर जर्मनी और फ्रांस में यह सबसे ज़्यादा दहशत का विषय है। गत 23 जनवरी को यह प्रक्रिया और भी तेज़ हो गयी, जब ट्रम्प ने डावोस में विश्व आर्थिक मंच के साथ बातचीत के दौरान अपनी नीतियों के बारे में विस्तार से बताया।

डॉ मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थक लहर

पाठ्यपुस्तकों में बदलाव और बड़े पैमाने पर उर्दू लागू कर मिटायी जा रही मुजीब की भूमिका
आशीष विश्वास - 2025-01-25 11:14
बांग्लादेश में अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अनिर्वाचित अंतरिम 'शासकों' का एक समूह पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए बेताब है। उस पाकिस्तान से जिससे उनका देश केवल पाँच दशक पहले हिंसक तरीके से अलग हुआ था। अपने स्वयं के (तत्कालिक?) इतिहास के एक अजीब उलटफेर में, बांग्लादेशियों ने दक्षिण एशिया में एक स्वतंत्र, संप्रभु देश के रूप में अस्तित्व में रहने और कार्य करने में स्पष्ट रूप से असमर्थता दिखायी है। वर्तमान स्थिति की विडंबना है कि ढाका स्थित अधिकारियों के बीच सम्प्रभुता की भावना ही खो गयी है।

अरबपतियों की अरबपतियों के लिए है डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी सरकार

नरेंद्र मोदी सरकार को राष्ट्र हित में अमेरिका के साथ संबंधों की समीक्षा करनी होगी
पी. सुधीर - 2025-01-24 10:38
डोनाल्ड ट्रम्प के अपनी सरकार के उद्घाटन भाषण और राष्ट्रपति के रूप में पहले दिन उनके द्वारा जारी किये गये कार्यकारी आदेशों की झड़ी से पता चलता है कि ट्रम्प ने वही किया जो उन्होंने कहा था कि वह करेंगे।

केनडा और ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करने की बात महज इच्छा नहीं

अतीत में कई देशों ने किया है विदेशी क्षेत्रों पर जबरन कब्ज़ा
नन्तू बनर्जी - 2025-01-14 10:49
ऐसा लगता है कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की केनडा और ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करने और मैक्सिको खाड़ी का नाम बदलने की बात महज उनकी सामान्य इच्छा नहीं है बल्कि इसके पीछे कोई राज की बात है। केनडा पर अमेरिका का कब्ज़ा तो ब्रिटिश सम्राट की भागीदारी वाली दोनों देशों के बीच एक संधि या केनडा के नागरिकों द्वारा अमेरिका में शामिल होने के पक्ष में जनमत संग्रह या बल प्रयोग के माध्यम से ही संभव है।