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भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पर राजनीति का साया

लोकपाल विधेयक हो सकता है इसका शिकार
अमूल्य गांगुली - 2011-06-08 10:47
फजीहत के बाद कांग्रेस को अब कुछ राहत मिल रही है। इसका कारण यह है कि भ्रष्टाचार विरोधी अभियान अब राजनैतिक रंग ले रहा है। जब तक यह गैर राजनैतिक लोगों के हाथों में था, तो केन्द्र सरकार और कांग्रेस के लिए उससे निबटना कठिन हो रहा था। इसके सामने देश की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी अपने आपको लाचार पा रही थी। जब केन्द्र सरकार के 4 मंत्रियों ने एक योगी संन्यासी को हवाई अड्डे पर रिसीब किया, तो इस सरकार की प्रतिष्ठा काफी धूमिल हो चुकी थी और इससे उसकी लाचारी का पता चलता था। उस अशालीन कदम की अपनी मूर्खता को छिपाने के लिए केन्द्र सरकार ने रामदेव और उनके समर्थकांे को रामलीला मैदान से ही रातों रात खदेड़ दिया। भाग रहे रामदेव को पकड़कर हरिद्वार भेज दिया गया।

सुधर रही है कश्मीर की हालत

केन्द्र को और राजनैतिक कदम उठाने चाहिए
बी के चम - 2011-06-08 10:44
चंडीगढ़ः पिछले कुछ महीनों से कश्मीर की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। सवाल उठता है कि क्या यह स्थिति आगे भी कायम रहेगी और कबतक? पिछले 3 दशकों से पाक स्थित आतंकी ताकतें घाटी में अशांति फेला रही हैं। क्या उन ताकतों का प्रभाव आने वाले दिनों में कम हो पाएगा?

जुल्म के निहत्थे प्रतिवाद की एक नजीर

राजकिशोर - 2011-06-08 10:41
दूसरी महा लड़ाई के दौरान, जब लंदन और पेरिस पर बमों की बारिश हो रही थी और हिटलर के जुल्मों को रोकना बेहद मुश्किल लग रहा था, तब महात्मा गांधी ने एक असाधारण सलाह दी थी। इस सलाह के लिए देश-विदेश में गांधी जी की कठोर आलोचना हुई थी और उनकी बात को बिलकुल हवाई करार दिया गया था। जिस तरह के वातावरण में हमारा जन्म और परवरिश हुई है, उसमें गांधी जी की बहुत-सी बातें हवाई ही लगती हैं। लेकिन कोई बात हवाई है या उसमें कुछ दम है, इसका इम्तहान तो परीक्षण के दौरान ही हो सकता है। गांधी जी की सलाह पर अमल किया जाता, तो यह सामने आ सकता था कि प्रतिकार का एक अहिंसक रूप भी हो सकता है और इससे भी बड़ी बात यह कि वह सफल भी हो सकता है।

सत्याग्रहियों पर लाठीचार्ज

कांग्रेस ने अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं
उपेन्द्र प्रसाद - 2011-06-06 09:37
काले धन के खिलाफ बाबा रामदेव के अभियान से निबटने की जो रणनीति कांग्रेस ने बनाई, वह शुरू से ही दोषपूर्ण थी। सरकार काले धन के खिलाफ अपनी गंभीरता दिखाकर ही बाबा के अभियान से सफलतापूर्वक निबट सकती थी, लेकिन उसने बाबा को अन्ना कैंप के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जो उसकी बहुत बड़ी भूल थी।

गोगोई की चुनौतियां

बोडोलैंड की मांग फिर जोर पकड़ेगी
बरुण दास गुप्ता - 2011-06-04 09:01
कभी कभी अप्रत्याशित सफलता कुछ अप्रत्याशित समस्याएं पैदा करती हैं। असम विधानसभा चुनाव के पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि इस बार किसी को बहुमत नहीं मिलेगा। कांग्रेस की सीटें 53 से कम होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही थी और माना जा रहा था कि भाजपा और असम गण परिषद की सीटें बढ़ जाएंगी।

कांग्रेस की कमजोरी के पीछे क्या है?

पार्टी के फिर से उत्थान के लिए छिड़ी है बहस
कल्याणी शंकर - 2011-06-03 08:56
कांग्रेस का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों के एक समूह ने हिंदी क्षेत्र और खासकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पतन के लिए इन्दिरा गांधी और उनके आपातकाल को जिम्मेदार बताया है। जब पतन के लिए इन्दिरा गाध्ंाी का नाम लिया गया, तो पार्टी के अंदर अनेक लोगों की भवें तन गईे। उसके बाद कांग्रेस ने अपने आपको उस किताब में लिखे गए इतिहास से अलग कर लिया।

समस्याओं के समाधान के लिए हनुमानजी की शरण में जाएं

सरकार की मध्यप्रदेश की जनता को सलाह
एल एस हरदेनिया - 2011-06-03 08:53
भोपालः मध्यप्रदेश सरकार ने अब औपचारिक रूप से राज्य की जनता से अपील की है कि अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हनुमानजी की शरण में जाएं। सरकार का कहना है कि यदि राज्य के लोगों के सामने किसी प्रकार की समस्या आए, तो वे राज्य सरकार की ओर न ताकें, बल्कि हनुमानजी की शरण में जाएं। उनकी शरण में जाने के बाद उनकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी।

बनारस से कांग्रेस का चुनाव अभियान शुरू

आगरा में सपा करेगी अपनी रणनीति का खुलासा
प्रदीप कपूर - 2011-06-01 10:14
लखनऊः भट्टा पारसौल में राहूल गांधी की यात्रा की सफलता से उत्साहित होकर काग्रेस ने भारी पैमाने पर मायावती सरकार के खिलाफ मिशन 2012 को सफल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।

केरल में यूडीएफ सरकार संकट में

सहयोगी दलों ने कांग्रेस के सामने खड़ी की मुश्किलें
पी श्रीकुमारन - 2011-05-31 10:00
तिरुअनंतपुरमः केरल की चांडी सरकार के गठन को अभी दो सप्ताह ही हुए हैं, लेकिन इसके सामले संकट का साया मंडराने लगा है। सरकार के पास मात्र दो विधायकों का ही बहुमत है, वैसी हालत में इसकी स्थिरता पर पहले दिन से ही सवाल खड़ा हो गया है। आशा के अनुरूप छोटे दलों ने अपनी मांग बढ़ानी शुरू कर दी है।

किसान को बचाएं कि बचाएं उद्योग को

राजकिशोर - 2011-05-31 09:45
समाचारपत्रों में प्रकाशित खबरों से लगता है कि किसान बगावत पर उतारू हैं। वे देश के औद्योगिक विकास के लिए अपनी जमीन देना नहीं चाहते। यह औद्योगिक नजरिया है, जो सरकारी नजरिए के साथ मिल कर सहज ही राष्ट्रीय नजरिया बन जाता है। राष्ट्रीय नजरिया यानी उनका नजरिया जो इस समय राष्ट्र का संचालन कर रहे हैं। इन्हीं लोगों में वह मध्य वर्ग भी है, जो अपना भविष्य भारी पूंजी के औद्योगिक विकास में देखता है।