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झारखंड में भाजपा की उलझन

आसान नहीं है सरकार बनाना
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-05-13 10:42
झारखंड में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनाने का मामला अधर में लटका हुआ है और पूरे राज्य में प्रशासप पंगु बना हुआ है। झामुमो भाजपा के नेतृत्व में सरकार में २शामिल होने के लिए तैयार है और मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने भी साफ साफ की दिया है कि भाजपा द्वारा नया नेता चुने जाने के बाद वे मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे।

श्रीनगर यात्रा: डल झील में सैर के दौरान हुआ मौत से साक्षात्कार, नहीं था लाइफ गार्ड जैकेट

एम.वाई सिद्दिकी - 2010-05-13 08:28
मेरी हाल की कश्मीर यात्रा और डल झील में शिकारे पर सैर का आनंद सीधे मौत से साक्षात्कार के रूप में सामने आया, जब मैं, मेरी पत्नी शबाना और पुत्र के अलावा एक कश्मीरी दोस्त के साथ शिकारा में सवार होकर डल झील सैर करने को निकले ही थे, भयंकर बर्फीली आंधी और तुफान ने हमारे नाव को पलट दिया। खेवैया सहित हम चारों बीस फीट गहरी झील में पहुंच गये। यह वाकया सीधे मौत से साक्षात्कार ही तो था!

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति

राहुल गांधी के दलित अभियान को करारा झटका
अमूल्य गांगुली - 2010-05-13 08:16
केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार बचाने की कीमत कांग्रेस का उत्तर प्रदेश की अपनी राजनीति से चुकानी पड़ रही है। बजट सत्र के दौरान विपक्ष के कटौती प्रस्ताव को पराजित करने के लिए कांग्रेस को बसपा की सहायता लेनी पड़ी। बहुजन समाज पार्टी ने केन्द्र सरकार के पक्ष में मतदान भी किया और सरकार को गिरने से बचा भी लिया, लेकिन उसके साथ अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया।

कहां हैं सरकार और हमारे कृषि मंत्री शरद पवार?

शशिकान्त सुशांत - 2010-05-13 08:12
पिछले साल किसानों ने आलू नहीं बोया परिणामतः 45 रुपये किलो आलू बिक गया यह अनमोल रत्न, इस देश में। इसी भाव के लालच में किसानों ने इस बार कुछ ज्यादा बुआई कर दीं परिणाम 25 पैसे किलो भी किसी बहुराष्ट्रीय चिप्स बनाने वाली कंपनी के लिए खरीदना गवारा नहीं रहा। देश की राजधानी और इसके सटे इलाकों के बाजारों में आलू के भाव 7-8 रूपये से कम नहीं हुए। कस्बों और गांवों में इसके भाव 5 रूपये पर टिके रहे। खेत में आलू का भाव 50 पैसा किलो था हद से हद एक रूपये किलो और बाजार में कम से कम 5 रूपये किलो यह राष्ट्रीय औसत है।

बटाइदारी बिल के अखाड़े में बिहार के महारथी राजनीतिज्ञ

शशिकान्त सुशांत - 2010-05-13 08:09
बिहार को ऐसे ही देश की राजनीतिक प्रयोगशाला का ‘उत्प्रेरक’ नहीं कहा जाता क्योंकि वहीं पर क्रांतिकारी राजनीतिक फार्मूलों का ईजाद होते आया है। आजादी के बाद देश में जितनी भी क्रांतियां हुई हैं, उसकी जन्मभूमि, प्रयोग भूमि और कर्मभूमि कहीं न कहीं पृष्टभूमि भी बिहार की धरा ही रही है। आजादी के पहले गांधीजी का असहयोग आंदोलन और बिनोवा भावे का भूदान आंदोलन की प्रयोगस्थली भी बिहार ही रहा है। देश में राजनीति को नई दिशा देने का मामला हो या फिर बिहार को ही गर्त में ले जानी राजनीति की मिसाल हो, सब तरह का मसाला आपको बिहार में मिल जाएगा।

‘हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे’

कुमार अमिताभ - 2010-05-13 08:05
भ्रष्टाचारी अपना एक घर भरने के चक्कर में जाने कितने घरों का चिराग गुल कर देता है, उस एक की जेब भरने की हवस के लिए सैकड़ों हजारों परिवारों को बदहाली, कंगाली की कगार पर ला खड़ा कर सकती है । इसका ज्वलंत उदाहरण बीते सप्ताह उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामलों से मिल जाता है।

मौद्रिक नीति और मुद्रास्फीति

के.आर. सुदामन - 2010-05-12 10:13
विकसित देशों में, समय-समय पर जो मौद्रिक नीति उनके केंद्रीय बैंकों द्वारा घोषित की जाती है, उसका लक्ष्य मुद्रास्फीति की दर को निम्न स्तर पर बनाए रखना होता है। भारत और अन्य अनेक विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंकों के दो लक्ष्य होते हैं-मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और विकास को गति देना।

सत्ता पर पकड़ के लिए जाति गणना

Dr Atul Kumar - 2010-05-11 10:05
प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह अर्थ शास्त्र के डॉ हो सकते है, प्रधानमंत्री हो सकते है लेकिन हिन्दुस्तान और हिन्दुओं पर उनके कथन असहज ही रहे है। देश के संसाधनो पर मुसलमानों का हक पहले बताना एक धक्का देने वाला बयान था। वित्त मंत्री के रूप में उनकी नीतियों ने देश के लघु उद्यमी को खत्म कर दिया नौबत यहाँ तक आ गयी थी कि रुपये की कीमत कौडी हो गयी। उनके विश्व बैंक की नौकरी के बाद भी अमेरिका के साथ का विशेष प्रेम हमारे विश्वसनीय मित्र रूस से दूर कर चुका। परमाणु करार के लिए कितनी निचले स्तर तक संसद में कारनामे हुऐ सब जानते है। डॉ. मनमोहन सिंह ने कबाड़ के सौदे में देश को शामिल करा कर वाह वाही लेने वाले हवाई नेता की पहचान बनाई है। इस करार के बाद भारत को क्या मिला एक बंधन। हमारी सारी सुरक्षा में सेंध लगाने का अमेरिका को आमत्रण। बहुत कम लोगों ने एम एम सिंह के परमाणु विभाग के सचिव स्तर के अधिकारी को विदेशी समझौते के लिऐ अधिकृत करने का निर्णय वाली बात को तवज्जो दी होगी। अब जाति को जनगणना में शामिल करने का मतलब भी देश को गर्त में ले जाना है। फूट डालो राज करों की गोरों की नीति का नया बीज बोना है। जाति जनगणना अंग्रेजों के जमाने में शुरु हुई थी।

गहलौत सरकार ने सस्ते अनाज की योजना शुरू की

सही अमल के लिए सतर्कता जरूरी
अहतेशाम कुरेशी - 2010-05-11 09:44
जयपुरः राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने एक साहसपूर्ण निर्णय लिया है। उसके तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों को प्रत्येक महीने 2 रुपए किलो की दर से 25 किलो गेहू उपलब्ध कराएगी। यह योजना गांवों के साथ साथ शहरों में भी लागू होगी।

जाति आधारित जनगणना: सही दिशा में उठाया गया कदम

उपेन्द्र प्रसाद - 2010-05-11 09:40
प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह साहसपूर्ण कदम उठाने के लिए जाने जाते हैं। वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने बहुत ही साहसपूर्ण कदम उठाया था। उन नीतियों ने देश को ही बदल दिया। अमूेरिका के साथ परमाणु करार करने के लिए तो उन्होंने अपनी सरकार को ही जोखिम में डाल दिया था। उस करार के बाद अमेरिका के साथ तो अभी तक कोई परमाणु रिश्ता नहीं बना है, लेकिन परमाणु व्यापार में भारत भागीदारी करने में सक्षम हो गया है। अप्रार संधि पर दस्तखत किए बिना भारत इस व्यापार में शामिल होने वाला एकमात्र देश है।