रामचरितमानस में लोक मंगल की कामना
2010-02-08 16:25 -राम की कथा गोस्वामी तुलसीदास से पहले देववाणी संस्कृत में ही लिखी गर्ई थी और जन साधारण के लिए यह केवल 'श्रवणीय' थी क्योंकि वह भाषा जिसमें रामकथा लिखि गयी थी, उसके लिए सहज ग्राह्य नहीं थी और भाषा की क्लिष्टता के कारण उसकी पठनीयता बाधित थी। बड़े ही साहस के साथ गोस्वामी तुलसीदास ने तत्कालीन बोलचाल की भाषा में रामकथा लिखनी प्रारंभ की।