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भारत में सोनार बांगला तलाशती तसलीमा

स्थायी रूप से रहने की इजाजत कयों नहीं मिलनी चाहिए?
टनिल जेन - 16-09-2015 07:40 GMT-0000
भारत सरकार ने लगभग दो दशक से निर्वासन में जी रहीं चर्चित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के वीजा की अवधि को एक साल के लिए फिर बढ़ा दिया है। यानी अब तसलीमा को अगस्त 2016 तक भारत में रहने की अनुमति मिल गई है।
भारत

असाधारण हृदय का धनी है यह हड्डी रोग विशेषज्ञ

एम.वाई. सिद्दीकी - 14-05-2015 15:20 GMT-0000
डाॅक्टर होने का अर्थ केवल यह नहीं है कि वह केवल मरीजों को दवा दे या पट्टी बांधे या टूटे-फूटे मांस के लोथड़े को पुराने रूप में पहुंचाने का कार्य करे या फिर फटे सिर को सही रूप में लाए। जी हां, डाॅक्टर होने का मतलब यह है कि वह आदमी मानव और भगवान के बीच एक सेतु है, उक्त बातें फेलिक्स मार्टिन इबानेज ने अपनी किताब टू बी ए डाॅक्टर में लिखी है।

दक्षता और मानवीयता का दूसरा नाम है डाक्टर पवन वासुदेव

एम वाई सिद्दीकी - 16-10-2014 17:57 GMT-0000
एक अच्छे डाक्टर की पहचान उसके मधुर व्यवहार, दक्षता, निर्णायक क्षमता से परिपूर्ण और दूसरों का ख्याल करने वाला और दयालु होना ऐसे गुण हैं जो सभी डाक्टरों में एक साथ नहीं मिलते। सबसे बड़ी बात यह कि वह डाक्टर जो रोगी की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए बिना समय गंवाए रोगी का उपचार मानवीय आधार पर करे न किसी विशेष भाव के जो कि आज के समय में विभिन्न व्यवसायिक हितों पर केंद्रित होता चला जा रहा है।

गांधी को किसने मारा

नन्तू बनर्जी - 16-03-2014 08:06 GMT-0000
गांधी को किसने मारा? यह सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है और खड़ा हुआ है राहुल गांधी के उस बयान से जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे के रुप में आरएसएस की पहचान की है। यह सवाल बहुत पुराना है और इसका जवाब आज तक सही सही तरीके से नहीं मिल पाया है। सच कहा जाय तो गांधी की हत्या अभी तक एक रहस्य है।

’’स्तनपान कराना मां का पहला कर्तव्य है’’

अनिल गुलाटी - 05-08-2013 14:11 GMT-0000
किसी बच्चे का जन्म लेना न केवल उसके मां-बाप के लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए खुशियों की सौगात होता है। इस खुशी के मौके पर शिशु के पहले हक की ओर कई परिवारों का ध्यान नहीं जाता एवं कई उसके अधिकारों का हनन कर देते हैं। पर शिशु को पहला हक दिलाने के प्रति छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में स्तनपान परामर्शदात्री सुश्री उज्मा पूरी तरह मुस्तैद रहती हैं। वह कहती हैं, ‘‘मैंने पिछले छह महीने में 100 से ज्यादा परिवारों को जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु को सालों से चली आ रही परंपरा के तहत शहद देने से रोका है। शिशु को मां का पहला दूध पिलवाने में मैं सफल रही हूं, जो कि उनका हक है।’’

आर्कटिक महासागर में शोध कार्य की ओर बढ़ रहा है भारत

रूस के साथ इसके लिए हो सकता है सहयोग
नित्य चक्रबर्ती - 15-06-2013 15:15 GMT-0000
नई दिल्ली: आर्कटिक परिषद की पिछले 15 मई को एक बैठक हुई। उस बैठक में भारत को उस परिषद में ऑब्जर्वर का दर्जा मिला। यह दर्जा प्राप्त कर भारत आर्कटिक महासागर में शोध और संधान की दिशा में कदम उठाने को तत्पर हो गया है। भारत के साथ साथ चीन, इटली, जापान, दक्षिण अफ्रीका और सिंगापुर को भी इस परिषद ने ऑब्जर्वर का दर्जा प्रदान कर रखा है।

भारतीय अध्ययनदृष्टि के अनुसार शिक्षाक्षेत्र की पुनर्रचना

ज्ञान पाठक - 07-04-2013 07:25 GMT-0000
मनुष्य कुछ ज्ञान जन्म के समय ही अपने साथ लेकर आता है, जो उसके चेतन होने के कारण संभव हो पाता है। यह चेतना स्वयं में ज्ञान स्वरुप है जो शरीर के अंगों के संचालन का ज्ञान समटे रहती है। बच्चों का रोना, मुस्कुराना आदि इसी ज्ञान के कारण संभव होता है। परन्तु उसके बाद वह अनवरत ज्ञान अर्जित और संकलित करता रहता है - जो प्रथमत: अनुभवजन्य तथा बाद में चिंतनजन्य होता है। दोनों प्रकार से शिशु ज्ञानार्जन करते हुए और उनका उपयोग करते हुए अपनी आयु के विभिन्न पड़ावों की ओर बढ़ता जाता है। और फिर एक ऐसा पड़ाव आता है जब माता-पिता को निर्णय करना होता है कि वे अपनी संतान को आगे की शिक्षा के लिए पाठशाला भेजें।

स्वामी विवेकानन्द और आज का युवा वर्ग

ज्ञान पाठक - 13-01-2013 07:19 GMT-0000
प्राचीन काल से लेकर अब तक मानव सभ्यता की उम्मीदें युवा वर्ग पर ही बनी रही है। यही कारण है कि सुकरात से लेकर आज के आधुनिक सामान्य जन तक युवाओं को ऐसी दिशा में ले जाने के प्रयास करते रहे हैं जिस रास्ते पर चलकर परिवार, समाज, देश और विश्व का कल्याण संभव हो सके।

स्‍वर्णिम रेशा – पटसन

विशेष संवाददाता - 13-12-2012 12:06 GMT-0000
नई दिल्ली: पटसन भारत के कृषि और औद्योगिक अर्थव्‍यवस्‍था के सबसे पुराने क्षेत्रों में से एक है। भारत कच्‍चे पटसन और इससे तैयार माल का सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है। वर्ष 2012-13 के दौरान पटसन क्षेत्र से निर्यात 38 करोड़ 30 लाख अमरीकी डॉलर मूल्‍य का था। इस वर्ष 50 करोड़ अमरीकी डॉलर मूल्‍य के निर्यात का लक्ष्‍य तय किया गया है। निर्यात की जाने वाली वस्‍तुओं में फर्श पर बिछाने की पटसन से बनीं दरी, वॉल हैंगिंग, सजावटी वस्‍त्र जैसी विभिन्‍न चीजें शामिल हैं।

प्राकृतिक फाईबर कपास – लाखों लोगों की आजीविका का जरिया

प्रवीण सिंह राणा - 16-10-2012 12:04 GMT-0000
देश की प्रमुख वाणिज्यिक फसल कपास न केवल लाखों किसानों की आजीविका का जरिया है बल्कि यह औद्योगिकी गतिविधि, रोजगार और निर्यात की दृष्टि से महत्वपूर्ण कपड़ा उद्योग का प्रमुख प्राकृतिक फाईबर है। कभी देश की कपड़ा मिलों को कपास के आयात पर निर्भर रहना पड़ता था। पिछले कुछ वर्षों के गहन उत्पादन कार्यक्रमों जैसी विशेष योजनाओं के आरंभ होने से देश कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है।