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अपभ्रंश

सामान्य अर्थ में अपभ्रंश भाषा या साहित्य के स्थापित मानदंडों में विकृति है। सामान्य जन अनेकानेक कारणों से भाषा की ध्वनि, उसके व्याकरण तथा शब्द भंडार को अपनी सुविधा के अनुरुप प्रयोग में लाते हैं जिसके कारण अपभ्रंश होता है।

अनेक बार किसी नयी भाषा और साहित्य के विकास में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परन्तु यह स्थापित और समकालीन मान्य साहित्यिक शुद्ध भाषा से अलग होती चली जाती है और किसी नयी भाषा या साहित्य का जन्म होता है।

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अपर, अपर ब्रह्म, अपरिणामवाद, अपस्मार, अपह्नुति, अप्रस्तुत


Page last modified on Monday June 26, 2023 05:58:10 GMT-0000