अनभौ
अनभौ वह ज्ञान है जो केवल साक्षात करने से ही प्राप्त होता है, किसी अन्य प्रकार से नहीं।कबीरदास ने अत्मा का ज्ञान प्राप्त करने के सम्बंध में कहा कि मोह, हर्ष तथा विषाद तो तब दूर होता है जब व्यक्ति को उसका साक्षात्कार हो जाये। वाद विवाद को त्यागकर चित्त दीप के जलाने पर यह ज्ञान प्राप्त होता है किसी अन्य प्रकार से नहीं।
अनभौ का एक दूसरा अर्थ भी है। अचरज का भाव उत्पन्न होने को भी अनभौ के रूप में अभिहित किया जाता है विशेषकर तब जब बात अनहोनी सी लगती हो।