Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

अनन्वय

अनन्वय का सामान्य अर्थ है 'जिसका किसी अन्य से सम्बंध न हो'। परन्तु साहित्य में यह एक शब्दालंकार है। यह सादृश्यगर्भ भेदाभेद प्रधान है।

इस अलंकार को कुछ विद्वानों ने स्वतंत्र माना है तो कुछ ने इसे उपमा के अन्तर्गत ही माना।

वामन ने एक ही वस्तु का उपमेय तथा उपमान रूप में वर्णन होने पर अनन्वय का होना बताया है।

उदाहरण -
मिली न और प्रभा रती, करी भारती और।
सुन्दर नन्दकिशोर सों, सुन्दर नन्दकिशोर।

यहां नन्दकिशोर अर्थात् श्रीकृष्ण की शोभा का वर्णन है, परन्तु उनकी सुन्दरता की उपमा और किसी अन्य से संभव नहीं क्योंकि वह अद्वितीय है। इसलिए इस उदहारण में कहा गया कि नन्दकिशोर की सुन्दरता तो नन्दकिशोर की ही है।

स्पष्ट है कि वस्तु तो एक है जो उपमा भी है और उपमेय भी।

आसपास के पृष्ठ
अनभौ, अनलहक, अनहद, अनात्मा, अनित्य, अनिद्रा

Page last modified on Monday June 26, 2023 05:44:19 GMT-0000