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अनात्मा

अनात्मा का अर्थ है वह सब कुछ जो आत्मा नहीं है। उपनिषदों में बार-बार आत्मा के विचार के समय कहा गया है नेति, नेति। इस प्रकार आत्मा को सही ढंग से समझने के लिए अनात्म भाव की उत्पत्ति हुई। इसका अर्थ यह नहीं है कि आत्मा नहीं है, बल्कि यह है कि ये स्कन्ध आत्मा नहीं हैं।

बाद में बुद्ध के आने के बाद अनात्मवाद का उदय हुआ। बुद्ध ने इसी अनात्म को अनत्त कहा। बुद्ध बार-बार आत्म नाश की बात करते हुए कहते हैं - अहंभाव निरास अत्तजहो। इसका अर्थ था अहंभाव का नाश। आत्मा है या नहीं इस प्रश्न पर तो बुद्ध मौन ही रहे। बुद्ध ने यह भी नहीं कहा कि आत्मा नहीं है और यह भी नहीं कहा कि आत्मा है। उनके मौन के तरह तरह के अर्थ निकाले जाते हैं जिनमें शून्यवाद से लेकर थेरवाद तक है जिसमें आत्मा के इकाई होने को अस्वीकार किया गया।

Page last modified on Tuesday December 10, 2013 06:40:45 GMT-0000