कलापक्ष
साहित्य में कलापक्ष उसका बाह्य स्वरूप है जो उसके अंतरग बोधपक्ष का प्रकटीकरण है।कलापक्ष में शब्दों का चयन, भाषा का प्रवाह, छन्द, अलंकार, तर्क, कल्पनाशीलता, संवेदनाएं, भाव और अर्थ आदि आते हैं।
गद्य तथा पद्य दोनों में कलापक्ष होता है। गद्य में विचार शक्ति की प्रधानता होती है जिसे कलापक्ष और अधिक सशक्त बना देता है। गद्य का उद्देश्य अर्थ बोध ही अधिक होता है। इसलिए इसके कलापक्ष में इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। शब्दों का चयन और भाषा का प्रवाह भी महत्वपूर्ण होता है।
उसी प्रकार पद्य में भावनाएं और संवेदनाएं प्रमुख होती हैं जिसे कलापक्ष और अधिक प्रबल बना देता है। पद्य का एक उद्देश्य आनन्द का सृजन भी है। इसलिए कलापक्ष में इसका भी ध्यान रखा जाता है। इसमें नाद और लय पर विशेष जोर रहता है।
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