तमिलनाडु के नीलगिरी की पहाड़ियां पर स्थित कुन्नूर भारत के प्रसिद्व और खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक है। यहां की हरियाली और मनमोहक दृश्य पर्यटकों को बरबस ही खींच लाते है। समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुन्नूर एक अन्य प्रसिद्व हिल स्टेशन ऊटी से 19 किमी की दूरी पर है। यह स्थान मनमोहक हरियाली, जंगली फूलों और पक्षियों की विविधताओं के लिए जाना जाता है।
यहां ट्रैकिंग और पैदल सैर करने का अलग ही मजा है। चाय बागानों की सैर पयटकों को खूब भाती है। गर्मियों के दिनों में यह स्थान पर्यटकों से भर जाता है। यह स्थान देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं को भी खूब लुभाता है। ई एम फोस्टर के उपन्यास पर आधारित डेविड लीन की फिल्म श्ए पेसेज टू इंडिया, यहीं फिल्माई गई थी। नीलगिरी की पहाड़ियां सदियों से टोडा जनजाति की गृहस्थल रहीं हैं। अंग्रेजों द्वारा इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण हिल स्टेशन घोषित करने के बाद कुन्नूर उन्नीसवीं शताब्दी में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ। अनुकूल जलवायु और तापमान होने के कारण अंग्रेजों ने इस जगह को अपने निवास स्थल के रुप में प्रयोग करने लगे। साथ ही अग्रेजों ने चाय के बागान तथा रेल निर्माण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले चैन्नई का रेल मार्ग मेट्टूपलायम में आकर समाप्त हो जाता था। तब यहां आने के लिए टट्टुओं और बैलगाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। तत्कालीन चैन्नई सरकार ने 1891 में नीलगिरी रेलवे की नींव डाली। 1897 में रेललाइन कुन्नूर तक पहुंच गई। रेललाइन का विस्तार 1908 में ऊटी तक कर दिया गया। वर्तमान में यहां का रेलमार्ग पर्यटकों के आकर्षक का मुख्य केन्द्र रहता है।
यहां ट्रैकिंग और पैदल सैर करने का अलग ही मजा है। चाय बागानों की सैर पयटकों को खूब भाती है। गर्मियों के दिनों में यह स्थान पर्यटकों से भर जाता है। यह स्थान देश-विदेश के फिल्म निर्माताओं को भी खूब लुभाता है। ई एम फोस्टर के उपन्यास पर आधारित डेविड लीन की फिल्म श्ए पेसेज टू इंडिया, यहीं फिल्माई गई थी। नीलगिरी की पहाड़ियां सदियों से टोडा जनजाति की गृहस्थल रहीं हैं। अंग्रेजों द्वारा इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण हिल स्टेशन घोषित करने के बाद कुन्नूर उन्नीसवीं शताब्दी में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ। अनुकूल जलवायु और तापमान होने के कारण अंग्रेजों ने इस जगह को अपने निवास स्थल के रुप में प्रयोग करने लगे। साथ ही अग्रेजों ने चाय के बागान तथा रेल निर्माण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले चैन्नई का रेल मार्ग मेट्टूपलायम में आकर समाप्त हो जाता था। तब यहां आने के लिए टट्टुओं और बैलगाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। तत्कालीन चैन्नई सरकार ने 1891 में नीलगिरी रेलवे की नींव डाली। 1897 में रेललाइन कुन्नूर तक पहुंच गई। रेललाइन का विस्तार 1908 में ऊटी तक कर दिया गया। वर्तमान में यहां का रेलमार्ग पर्यटकों के आकर्षक का मुख्य केन्द्र रहता है।