तमिलनाडु
तमिलनाडु का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। यद्यपि प्रारंभिक काल के संगम ग्रंथों में इस क्षेत्र के इतिहास का अस्पष्ट उल्लेख मिला है, किंतु तमिलनाडु का लिखित इतिहास पल्लव राजाओं के समय से ही उपलब्ध है।दक्षिण भारत पर कई शताब्दियों तक चोल, चेर और पांड्य राजाओं का शासन रहा। चौथी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में पल्लवों का वर्चस्व कायम हुआ। उन्होंने ही द्रविड़ शैली की प्रसिद्ध मंदिर वास्तुकला का सूत्रपात किया। अंतिम पल्लव राजा अपराजित थे, जिनके राज्य में लगभग दसवीं शताब्दी में चोल शासकों ने विजयालय और आदित्य के मार्गदर्शन में अपना महत्व बढ़ाया। ग्यारहवीं शताब्दी के अंत में तमिलनाडु पर चालुक्य, चोल, पांड्य जैसे अनेक राजवंशों का शासन रहा। इसके बाद के 200 वर्षों तक दक्षिण भारत पर चोल साम्राज्य का अधिपत्य रहा।
मुसलमानों ने भी धीरे-धीरे अपनी स्थिति मजबूत कर ली जिसे चौदहवीं शताब्दी के मध्य में बहमनी सल्तनत कायम हुई। लगभग उसी समय विजयनगर साम्राज्य ने तेजी से अपनी स्थिति मजबूत बना ली और समूचे दक्षिण भारत का अपना प्रभाव बढ़ा लिया। शताब्दी के अंत तक विजयनगर साम्राज्य दक्षिण की सर्वोच्च शक्ति बन चुका था, किंतु 1564 में तालीकोटा की लड़ाई में दक्षिण के सुल्तानों की सामूहिक फौजों से वह पराजित हो गया।
तालीकोटा के युद्ध के बाद कुछ समय तक स्थिति अस्पष्ट रही, लेकिन इस बीच यूरोप के व्यापारी अपने व्यापारिक हितों के लिए दक्षिण भारत में अपने पैर जमाने के लिए एक-दूसरे से होड़ करने लगे थे। पुर्तगाल, हॉलैंड, फ्रांस और इंग्लैंड के लोग एक के बाद एक जल्दी-जल्दी आए और उन्होंने अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित कर लिए, जिन्हें उन दिनों फैक्ट्रीज़ कहा जाता था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1611 में मछलीपत्तनम (जो अब आंध्र प्रदेश में है) में अपनी फैक्ट्री लगाई और धीरे-धीरे उन्होंने स्थानीय शासकों को आपस में लड़ाकर उनके क्षेत्र हथिया लिए। ब्रिटिश लोगों ने भारत में सबसे पहले तमिलनाडु में अपनी बस्ती बसाई। सन् 1901 में मद्रास प्रेसीडेंसी बनी जिसमें दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकतर हिस्से शामिल थे। बाद में संयुक्त मद्रास राज्य का पुनर्गठन किया गया और वर्तमान तमिलनाडु राज्य अस्तित्व में आया।
तमिलनाडु के उत्तर में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, पश्चिम में केरल, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिंद महासागर हैं।
कृषि
तमिलनाडु में मुख्य व्यवसाय कृषि है। राज्य में कुल खेती योग्य क्षेत्र 58.15 लाख हेक्टेयर था। प्रमुख खाद्यान्न फसलें चावल, ज्वार और दालें हैं। प्रमुख व्यापारिक फसलों में गन्ना, कपास, सूरजमुखी, नारियल, काजू, मिर्च और मूंगफली हैं। अन्य पौध फसलें हैं - चाय, कॉफी, इलायची और रबड़। मुख्य वन उत्पाद हैं - इमारती लकड़ी, चंदन की लकड़ी, पल्पवुड और जलाने योग्य लकड़ी। जैव उर्वरकों के उत्पादन और इस्तेमाल में तमिलनाडु का प्रमुख स्थान है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि तकनीक में सुधार किया जा रहा है।
उद्योग और खनिज
राज्य के प्रमुख उद्योग हैं - सूती कपड़ा, भारी वाणिज्यिक वाहन, ऑटो कल-पुर्जे, रेल डिब्बे, विद्युत चालित पंप, चमड़ा उद्योग, सीमेंट, चीनी, कागत, ऑटोमोबाइल और माचिस।
तमिलनाडु के औद्योगिक परिदृश्य में सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी जैसे ज्ञान आधारित उद्योगों को विशेष महत्व दिया गया है। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क, टाईडैल की स्थापना थारामणि, चेन्नई में की गई है। चेन्नई में इस समय 900 आई.टी. कंपनियों में करीब 50,000 सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ कार्यरत हैं। नोकिया, मोटोरोला, फाक्सकॉम, फ्लैक्सट्रॉनिक जैसी बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार कंपनियां यहां उत्पादन कर रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ऑटो कंपनी हुंडई मोटर्स, फोर्ड, हिंदुस्तान मोटर्स और मित्सुबिशी ने तमिलनाडु में उत्पादन इकाइयां शुरू की है। अशोक लेलैंड और टैफे ने चेन्नई में विस्तार संयंत्र लगाए हैं।
ग्रेनाइट, लिग्नाइट और चूना पत्थर राज्य की प्रमुख खनिज संपदा है। राज्य तैयार खालों और चमड़े का सामान, सूती धागे, चाय, कॉफी, मसाले, इंजीनियरिंग सामान, तंबाकू, हस्तशिल्प वस्तुएं और काले ग्रेनाइट पत्थर का प्रमुख निर्यातक है। तमिलनाडु में देश के 60 प्रतिशत चमड़ा शोधन कारखाने हैं।
सिंचाई
विश्व बैंक की सहायता से कार्यान्वित 'प्रणाली सुधार और किसान आय परियोजना' के फलस्वरूप महत्वपूर्ण सिंचाई योजनाओं तथा वर्तमान पेरियार वैगई प्रणाली, पालार थाला प्रणाली और पैरंबीकुलम-अलियार प्रणाली के अलावा छ: लाख एकड़ की अयकाट तथा वेल्लार, पेन्नायर, अरनियार अमरावती, चिथार थाला आदि छोटी सिंचाई प्रणालियां लाभान्वित हुई हैं। विश्व बैंक ने सिंचित कृषि आधुनिकीकरण तथा जलाशय प्रबंधन परियोजना के लिए 2,547 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इससे राज्य के चुने हुए 63 उप-थालों के 617 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ पहुंचेगा। हाल ही में शुरू हुई और धीमी गति से चल रही नौ सिंचाई परियोजनाओं का काम समुचित धन और मार्गदर्शन के बाद तेजी से चल रहा है और शीघ्र पूरा हो जाएगा। तमिलनाडु के एक तिहाई क्षेत्र की सिंचाई करने वाली बड़ी सिंचाई प्रणाली - तालाब सिंचाई प्रणाली - के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और सार्वजनिक निर्माण विभाग के पालार, वैगई तथा ताम्रपर्णी थालों में कार्यरत 620 तालाबों के पुनर्वास और विकास का काम किया जा रहा है। यह परियोजना पूरी होने वाली है और किसानों की पूरी संतुष्टि की गई है। तमिलनाडु 'नदी थाला प्रबंधन' प्रणाली लागू करने वाला ऐसा पहला राज्य है जो ऐसी व्यक्तिगत संस्था द्वारा चलाया जा रहा है जिसमें थाला के प्रतिनिधियों के अलावा किसान भी हैं।
बिजली
राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 10,214 मेगावाट थी। राज्य क्षेत्र की स्थापित क्षमता 5,690 मेगावाट और निजी क्षेत्र की स्थापित क्षमा 1,180 मेगावाट है। इसके अलावा इसे केंद्र क्षेत्र से अपने हिस्से की 2,825 मेगावाट बिजली मिलती है, 305 मेगावाट बाहरी सहायता से तथा 214 मेगावाट अधिगृहीत विद्युत परियोजनाओं से प्राप्त होती है। इसके अलावा पवनचक्कियों से 4270 मेगावाट, सहयोगी उत्पादन परियोजनाओं से 466.10 मेगावाट तथा जैव परियोजनाओं से 109.55 मेगावाट बिजली प्राप्त होती है।
परिवहन
सडकें: तमिलनाडु में सड़कों के संजाल की कुल लंबाई करीब 61641 कि.मी. हैं, जिसमें भूतल सड़कें 60;901 कि.मी. हैं।
रेलवे: राज्य में चेन्नई, मदुरै, तिरुचिरापल्ली, सलेम, अरक्कोणम, कोयंबटूर और तिरुनेलवेली मुख्य जंक्शन हैं। रेलवे लाइनों की कुल लंबाई 3927 किलोमीटर है।
उड्डयन: चेन्नई हवाई अड्डा दक्षिणी क्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होने की वजह से वायुमार्ग का मुख्य केंद्र बन गया है। इसके अलावा तिरुचिरापल्ली, मदुरै, कोयंबटूर और सलेम में भी हवाई अड्डे हैं।
बंदरगाह:चेन्नई और तूतीकोरिन राज्य के प्रमुख बंदरगाह हैं तथा कुड्डालूर और नागापट्टनम सहित सात छोटे बंदरगाह हैं।
त्योहार
फसल कटाई के त्योहार पोंगल में जनवरी माह में किसान अपनी अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करने हेतु सूर्य, पृथ्वी और पशुओं की पूजा करते हैं। पोंगल के बाद दक्षिण तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में 'जल्लीकट्टू' (तमिलनाडु शैली की सांडों की लड़ाई) होता है। तमिलनाडु में अलंगनल्लूर 'जल्लीकट्टू' के लिए विश्व-भर में प्रसिद्ध है। 'चित्तिरै' मदुरै का लोकप्रिय त्योहार है। यह पांड्य राजकुमारी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर के अलौकिक परिणय बंधन की स्मृति में मनाया जाता है। तमिल महीने 'आदि' के अठारहवें दिन नदियों के किनारे 'आदिपेरुकु' पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही नई फसल की बुवाई से संबंधित काम भी शुरू हो जाता है। नृत्य महोत्सव 'मामल्लपुरम' एक अद्भुत महोत्सव है। समुद्र तट से लगे प्राचीन नगर मामल्लपुरम में पल्लव राजाओं द्वारा 13 शताब्दी पूर्व चट्टानों से काटकर बनाए गए स्तंभों का एक खुला मंच है, जिस पर लोकनृत्यों के अलावा नृत्यकला के सर्वश्रेष्ठ और सुविख्यात कलाकारों द्वारा भतरनाट्यम, कुचीपुड़ी, कथकली, और ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। 'नाट्यांजलि' नृत्य महोत्सव में मंदिरों की नगरी चिदंबरम के निवासी सृष्टि के आदि नर्तक भगवान नटराज को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 'महामाघम्' एक पवित्र पर्व है, जो बारह वर्ष में एक बार होता है। मंदिरों की नगरी कुंभकोनम् को यह नाम दैवी पात्र 'कुंभ' से मिला है। ग्रीष्म महोत्सव हर वर्ष 'पर्वतीय स्थलों की रानी' सदाबहार ऊटी, विशिष्ट स्थल कोडाईकनाल या येरूकाड की स्वास्थ्यवर्द्धक ऊंची पहाड़ियों पर मनाया जाता है। कंथूरी उत्सव वास्तव में एक धर्मनिरपेक्ष त्योहार है, जिसमें विभिन्न समुदायों के श्रद्धालु संत फकीर कादिरवाली की दरगाह पर इकट्ठे होते हैं। संत कादिरवाली के शिष्य-वंशजों में से किसी एक को 'पीर' अथवा आध्यात्मिक नेता चुना जाता है और उसकी अर्चना की जाती है। इस उत्सव के दसवें दिन फकीर की दरगाह पर चंदन घिसा जाता है और उस पवित्र चंदन को सब लोगों में बांट दिया जाता है। 'वेलंकन्नी' उत्सव के बारे में अनेक आश्चर्यनजक दंतकथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगाली नाविकों ने कुंवारी मेरी के लिए एक विशाल गिरजाघर बनवाने का संकल्प लिया था, क्योंकि उन्हीं की कृपा से भयंकर समुद्री तूफान से उनके जीवन की रक्षा हुई थी। 'वेलंकन्नी' उत्सव देखने के लिए हजारों लोग नारंगी पट्टियां डालकर उस पवित्र स्थान पर एकत्र होते हैं, जहां जहाज आकर जमीन पर लगा था। कुंवारी मेरी द्वारा रोगियों को ठीक कर देने की चमत्कारी शक्तियों से संबंधित अनेक बातें भी इतनी ही प्रचलित हैं और इसके लिए यह गिरजाघर, पूर्व का लार्डस के नाम से भी प्रसिद्ध है।
'नवरात्रि' पर्व का शाब्दिक अर्थ 'नौ रात्रियां' है जो भारत के विभिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न रूपों में और अनोखे ढंग से मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति, धन और ज्ञान के लिए देवी 'शक्ति' को संतुष्ट करने के लिए मनाया जाता है। तमिलनाडु का प्रकाश-पर्व 'कार्तिगै दीपम्' भी बहुत प्रसिद्ध है। इसमें घरों के बाहर मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं और उल्लासपूर्वक पटाखे छोड़े जाते हैं। तमिलनाडु का संगीत महोत्सव चेन्नई में दिसंबर में मनाया जाता है। इसमें कर्नाटक संगीत की महान और अमूल्य पंरपरा का निर्वाह किया जाता है और इस समारोह में नये और पुराने कलाकारों द्वारा संगीत और नृत्य की अविस्मरणीय प्रस्तुतियां होती हैं।
पर्यटन स्थल
चेन्नई, मामल्लपुरम, पूंपुहार, कांचीपुरम, कुंभकोणम, धारासुरम, चिदंबरम, तिरुअन्नामलै, श्रीरंगम, मदुरै, रामेश्वरम, तिरुनेलवेल्ली, कन्याकुमारी, तंजावुर, वेलंकन्नी, नागूर चित्तान वसाल, कलुगुमलै (स्मारक केंद्र), कोर्टलम, होगेनक्कल, पापनाशम, सुरूली (जल-प्रपात), ऊटी (उदगमंडलम), कोडाईकनाल, यरकाड, इलागिरि कोल्लिहिल्स (पर्वतीय स्थल), गुइंडी (चेन्नई), मुदुमलाई, अन्नामलाई, मुंदांथुरै, कालाकाड (वन्य जीव अभ्यारण्य), वेदंथंगल तथा प्वाइंट केलिमियर (पक्षी अभ्यारण्य) और अरिनगर अन्ना चिड़ियाघर आदि पर्यटन की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण स्थान हैं।