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कृष्ण काव्य

देवकीनंदन वसुदेव पुत्र भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े काव्य को कृष्ण काव्य कहा जाता है।

भारत में कृष्णकाव्य की लम्बी परम्परा रही है और इनमें कृष्ण लीलाओं के विविध रूपों का वर्णन मिलता है। भारत की लगभग सभी भाषाओं में कृष्ण काव्य उपलब्ध होते हैं। लोकगाथाओं और लोकगीतों में भी कृष्णकाव्य उपलब्ध हैं।

कृष्ण के बाल रूप, राधा-कृष्ण का वर्णन, तथा गोपियों के उनके प्रति प्रेम का वर्णन कृष्णभक्ति काव्य के रूप में विख्यात है।

कृष्ण के योगेश्वर रूप का वर्णन श्रीमद्भगवद् गीता में है। महाभारत में उनके राजनयिक रूप का वर्णन भी आता है।

भागवत में आने वाली कृष्ण कथा सबसे व्यापक है।

भक्तिकाल के अष्टछाप कवियों में सूरदास हिन्दी के विख्यात कृष्णकाव्य रचयिता हैं।

निकटवर्ती पृष्ठ
कृष्णदास, कृष्णभक्ति शाखा, केरल, कैमूर अभयारण्‍य, कैलास

Page last modified on Monday May 26, 2025 02:54:39 GMT-0000